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हाईटेक तरीके से परीक्षा करवाने वाला यूपी बोर्ड ऑनलाइन पढ़ाई में सीबीएसई से पिछड़ा

यूपी बोर्ड ने फरवरी-मार्च में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं करवाईं। कई स्तरों पर एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया गया मगर लॉकडाउन के दौरान जब छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई की जरूरत महसूस हुई तब सीबीएसई और...

Pankaj Vijay वरिष्ठ संवाददाता, वाराणसीSat, 11 April 2020 11:36 AM
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यूपी बोर्ड ने फरवरी-मार्च में 10वीं और 12वीं की परीक्षाएं करवाईं। कई स्तरों पर एडवांस तकनीक का इस्तेमाल किया गया मगर लॉकडाउन के दौरान जब छात्रों की ऑनलाइन पढ़ाई की जरूरत महसूस हुई तब सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूल आगे निकल गए। सरकारी स्कूलों के बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए न किसी एप का प्रयोग शुरू हुआ और न ही उसे लेकर कोई पहल होती दिखी। इन स्कूलों में सिर्फ कोर्स से जुड़ी किताबें ही ऑनलाइन हो पाई हैं।
 
गौर करने वाली बात यह भी है कि सीबीएससी और आईसीएसई बोर्ड की तुलना में यूपी बोर्ड के विद्यालयों और छात्रों की संख्या कहीं अधिक है। 

यूपी बोर्ड की परीक्षा के दौरान सीसीटीवी कैमरे से लेकर वॉइस रिकॉर्डर तक की व्यवस्था कराई गई। पूरे प्रदेश के परीक्षा केंद्रों की वेबकास्टिंग हुई। मगर पढ़ाई में सरकारी स्कूल हाईटेक नहीं हो पाए। वहीं, नगर के सीबीएसई स्कूल विभिन्न एप के जरिए अपने छात्रों से जुड़े हुए हैं। उनकी नियमित कक्षाएं चल रही हैं। असाइनमेंट दिए जा रहे हैं। केंद्रीय विद्यालयों ने भी तकनीक की मदद ली है। आईसीएसई स्कूल पहले से ही स्नेप होमवर्क के जरिए छात्रों को दिशा निर्देश दे रहे हैं। यूपी बोर्ड के विद्यालयों के शिक्षकों को अब इसकी कमी महसूस हो रही है ।

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आदर्श इंटर कॉलेज में भौतिक विज्ञान के प्रवक्ता डॉक्टर मनराज का कहना है कि यूपी बोर्ड के विद्यालय तकनीक के मामले में पिछड़ गए हैं। सामान्य परिवारों से आने वाले छात्रों के पास अपने कंप्यूटर, लैपटॉप या टैबलेट नहीं हैं। इस वजह से यूपी बोर्ड के स्कूलों में पढ़ाई का माहौल नहीं बन पाया।

शिक्षकों ने भी पहल नहीं की 
जानकारों का यह भी कहना है कि शिक्षकों की ओर से भी ऐसी कोई पहल नहीं हुई है। जबकि प्राइमरी स्कूल के शिक्षकों ने ह्वाट्सएप पर छात्रों के ग्रुप बनाकर पढ़ाई का तरीका खोज निकाला है। 
जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. वीपी सिंह भी मानते हैं कि यूपी बोर्ड के स्कूलों में संसाधनों की कमी है।
 

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