यूपी बोर्ड : परीक्षा केंद्र निर्धारण में गड़बड़ी भी पचा गए अफसर
यूपी बोर्ड परीक्षा 2024 : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं 22 फरवरी से शुरू होने जा रही हैं। लेकिन इससे पहले परीक्षा केंद्रों के निर्धारण व परीक्षकों की ड्यूटी को ले
UP Board 10th, 12th Exam 2024 : यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के लिए केंद्र बनाने में हुई गड़बड़ी को माध्यमिक शिक्षा के अफसर पचा गए। आपके अपने अखबार ‘हिन्दुस्तान’ ने पिछले महीने केंद्र निर्धारण में की गई गड़बड़ियों पर ‘नीति नई, नीयत पुरानी’ टैगलाइन से समाचार शृंखला प्रकाशित की थी। जिसमें राजकीय और एडेड कॉलेजों को केंद्र सूची से बाहर करने सहित केंद्र निर्धारण में हुई अन्य गड़बड़ियों को उजागर किया गया था। इसके बाद माध्यमिक शिक्षा निदेशक और यूपी बोर्ड के सभापति डॉ. महेन्द्र देव ने सभी मंडलीय उप शिक्षा निदेशकों को राजकीय और एडेड कॉलेजों को परीक्षा केंद्र न बनाने की जांच करने और 30 जनवरी तक जांच रिपोर्ट यूपी बोर्ड के सचिव को भेजने के आदेश दिए थे।
हालांकि समयसीमा बीतने के 11 दिन बाद भी 18 में से किसी मंडल के उप शिक्षा निदेशक ने अपनी जांच रिपोर्ट यूपी बोर्ड को नहीं भेजी है। नकल माफियाओं के खेल में सरकारी सिस्टम फेल हो गया। अब मनमाने केंद्रों पर 22 फरवरी से हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा होने जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि ऑनलाइन केंद्र निर्धारण और हर साल नई नीति जारी करने का औचित्य ही क्या है जब केंद्र निर्धारण नकल माफियाओं के इशारे पर ही होना है।
इस मामले में यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल का कहना है कि किसी मंडल से जांच रिपोर्ट नहीं मिली है।
ऑनलाइन केंद्र निर्धारण फेल, जिलों में मनमानी
2024 की परीक्षा के लिए बोर्ड मुख्यालय से ऑनलाइन 7884 केंद्र बनाए गए थे। इनमें प्रदेश के 1017 राजकीय इंटर कॉलेज और 3537 अशासकीय सहायता प्राप्त कॉलेज भी शामिल थे। इन केंद्रों का चयन छह सितंबर 2023 को शासन की ओर से जारी केंद्र निर्धारण नीति के तहत खास सॉफ्टवेयर से किया गया था। चयन से पूर्व माध्यमिक विद्यालय की ओर से यूपी बोर्ड को उपलब्ध कराई गई समस्त आधारभूत सूचनाओं का जिला विद्यालय निरीक्षकों से परीक्षण भी करवाया गया था। हालांकि सॉफ्टवेयर से निर्धारित केंद्रों की सूची जब जिला स्तरीय समिति को भेजी गई तो पूरे प्रदेश में 1017 राजकीय इंटर कॉलेजों में से 461 और 3537 एडेड कॉलेजों में से 58 को बाहर कर दिया गया। इतना ही नहीं केंद्रों की संख्या 7884 से बढ़ाकर 8265 कर दी गई। सरकार की आर्थिक सहायता से चलने वाले इन दोनों श्रेणी के कॉलेजों को इतनी बड़ी संख्या में केंद्र सूची से बाहर करना चौंकाने वाला था क्योंकि केंद्र निर्धारण नीति में स्पष्ट प्रावधान था कि पहले राजकीय फिर एडेड कॉलेजों को केंद्र बनाया जाएगा। उसके बाद वित्त विहीन विद्यालय केंद्र बनाने के निर्देश थे।
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