यूपी बोर्ड : बदला नियम, रजिस्टर्ड डाक से ली जा रही छात्रों की शिकायतें, मोबाइल पर मिलेगा अपडेट
यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद अंकपत्र में संशोधन के लिए विद्यार्थियों को क्षेत्रीय कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे। वाराणसी कार्यालय ने ग्रीवांस सेल की पूरी व्यवस्था डाक आधारित कर दी है।
यूपी बोर्ड परीक्षा के बाद अंकपत्र में संशोधन के लिए विद्यार्थियों को क्षेत्रीय कार्यालय के चक्कर नहीं लगाने होंगे। वाराणसी स्थित क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय ने ग्रीवांस सेल की पूरी व्यवस्था डाक आधारित कर दी है। विद्यार्थियों को पूरे प्रपत्रों के साथ रजिस्टर्ड डाक से आवेदन भेजना होगा। यह व्यवस्था दलालों और ठगों के साथ ही कार्यालय में भी भ्रष्टाचार पर नकेल के लिए बदली गई है।
अपर सचिव सतीश सिंह ने बताया कि क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय में परीक्षा परिणाम, अंकपत्र या प्रमाणपत्र ठीक कराने के लिए दूसरे जिलों से आने वाले छात्र और अभिभावकों के अक्सर दलालों या ठगों के शिकार बन जाने की शिकायतें आती थीं। इस वर्ष भी ऐसे कुछ मामले आए जिसके बाद व्यवस्था पूरी तरह डाक आधारित कर दी गई है। सीधे कार्यालय आने वाले छात्रों को वापस किया जा रहा है। क्षेत्रीय बोर्ड कार्यालय में सभी को अपनी शिकायतें सिर्फ रजिस्टर्ड डाक से भेजने को कहा जा रहा है। आवेदन में जरूरी प्रपत्रों के साथ अपना व्हाट्सएप युक्त मोबाइल नंबर जरूर अंकित करने को कहा गया है। ग्रीवांस सेल में इनके आवेदन पर संशोधन होते ही व्हाट्सएप पर संदेश भेज दिया जाएगा। इसके साथ ही रजिस्टर्ड डाक से ही उनका संशोधित रिजल्ट या प्रमाण पत्र भेजा जाएगा।
इन बातों को रखें ध्यान
- बोर्ड के वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय में किसी भी संशोधन के लिए आवेदन सिर्फ रजिस्टर्ड डाक से भेजें।
- आवेदन पत्र में व्हाट्सएप युक्त मोबाइल नंबर जरूर दें। इससे निस्तारण और डिस्पैच की सूचना मिलेगी।
- सभी संशोधन में स्कूल के प्रधानाचार्य की आख्या जरूरी है। वह बताएं कि प्रमाण पत्र में क्या गड़बड़ी है और क्या संशोधन होना चाहिए।
- संशोधन के लिए टीसी पर डीआईओएस का काउंटर साइन, मूल प्रमाण पत्र, रजिस्ट्रेशन कार्ड और 10 रुपये का शपथ पत्र भेजना होगा।
- अंकपत्र पर यदि अनुपस्थित दिखाया गया है तो प्रधानाचार्य और परीक्षा केंद्र प्रभारी से उपस्थिति प्रमाण पत्र, डीआईओएस के काउंटर साइन, मूल प्रमाण पत्र और शपथ पत्र भेजें
- अंक पत्र में किसी विषय में जीरो नंबर दर्ज हैं तो इसका अर्थ है कि कॉपी की जांच की गई है। ऐसी स्थिति में कॉपी की रीचेकिंग कराएं।
- आवेदन के साथ मूल प्रमाण पत्र ही भेजें। संशोधन के बाद नया प्रमाण पत्र रजिस्टर्ड डाक से भेजा जाएगा।
- बोर्ड कार्यालय में सिर्फ तीन साल के भीतर के डेट ऑफ बर्थ के मामलों में संशोधन किया जाएगा। इससे पहले के मामले संज्ञान में नहीं लिए जाएंगे।
- सत्यापन कार्य वर्ष-2003 तक के ऑनलाइन उपलब्ध डेटा पर ही करें। बोर्ड कार्यालय आने की जरूरत नहीं।
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