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68500 सहायक अध्यापक भर्ती : 500 से अधिक अभ्यर्थियों की फिर से जांची जाएगी कॉपी

परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में तकरीबन 500 अभ्यर्थियों की कॉपी फिर जांची जाएगी। इनमें तकरीबन आधे ऐसे हैं जिनकी दो बार कॉपी जांची जा चुकी है लेकिन वह परिणाम से संतुष्ट नहीं...

Pratima Jaiswal वरिष्ठ संवाददाता, प्रयागराजWed, 11 Dec 2019 09:56 AM
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परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में तकरीबन 500 अभ्यर्थियों की कॉपी फिर जांची जाएगी। इनमें तकरीबन आधे ऐसे हैं जिनकी दो बार कॉपी जांची जा चुकी है लेकिन वह परिणाम से संतुष्ट नहीं है। आधे अभ्यर्थी ऐसे हैं जो पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन नहीं कर सके थे और हाईकोर्ट में याचिका करके पुनर्मूल्याकंन कराने का अनुरोध किया है।

कोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को जनवरी तक कॉपी जांचने का निर्देश दिया है। 14 अगस्त 2018 को घोषित लिखित परीक्षा के परिणाम में कई फेल अभ्यर्थियों को पास कर दिया गया था। दो अभ्यर्थी ऐसे थे जो परीक्षा में शामिल नहीं हुए और पास हो गए। इसे गंभीरता से लेते हुए शासन ने तत्कालीन सचिव सुत्ता सिंह को 8 सितंबर को निलंबित कर दिया था। पूरे प्रकरण की जांच 9 सितंबर 2018 को प्रमुख सचिव संजय भुसरेड्डी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी थी। कमेटी में सर्व शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक वेदपति मिश्र और बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह सदस्य थे। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट 5 अक्तूबर को सरकार को सौंपी।

रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन रजिस्ट्रार जीवेन्द्र सिंह ऐरी और उप रजिस्टार प्रेम चन्द्र कुशवाहा को निलंबित कर दिया गया था। इसके बाद अभ्यर्थियों से ऑनलाइन आवेदन लेकर एससीईआरटी में दोबारा कॉपियों की जांच कराई गई। लेकिन कई अभ्यर्थी पुनर्मूल्यांकन के परिणाम से भी असंतुष्ट थे और कोर्ट में याचिका कर तीसरी बार जांच कराने का अनुरोध किया था। जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। 200 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी हैं जो पुनर्मूल्यांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन नहीं कर सके थे। उन लोगों ने आवेदन का अवसर मांगा था जिसे कोर्ट ने मान लिया।
 

कॉपियों के मूल्यांकन में परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के तत्कालीन अफसरों ने अपने ही निर्देशों का पालन नहीं किया। नियम के मुताबिक कॉपी के ऊपर दिए जाने वाले अंक का अंकेक्षण और अंकचिट पर चढ़ाने वाले नंबर से मिलान कराना था। हड़बड़ी में कॉपी का अंकेक्षण और अंकचिट के अंकों का मिलान नहीं कराया गया। कुछ शिक्षकों ने आपत्ति की तो कॉपियों पर चढ़े नंबर का अंकेक्षण तो कराया गया लेकिन अंकचिट से उसका मिलान नहीं कराया गया। इस कारण कॉपी और अंकचिट के नंबर में अंतर हो गया। सूत्रों के मुताबिक यदि कॉपी और अंकचिट के नंबरों का मिलान कराया गया होता तो यह गड़बड़ी नहीं होती।

 

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