यूपी के विश्वविद्यालयों में फाइनल ईयर को छोड़कर शेष सभी परीक्षाएं रद्द, 30 सितंबर तक होंगी अंतिम वर्ष की परीक्षाएं
UP University Exams 2020: उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की परीक्षाओं को लेकर गुरुवार को दिशा-निर्देश जारी कर दिए। कोविड-19 वायरस महामारी के प्रसार के खतरे के मद्देनजर...
UP University Exams 2020: उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों की परीक्षाओं को लेकर गुरुवार को दिशा-निर्देश जारी कर दिए। कोविड-19 वायरस महामारी के प्रसार के खतरे के मद्देनजर उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों की फाइनल ईयर या फाइनल सेमेस्टर की परीक्षाएं छोड़कर बाकी परीक्षाएं रद्द करने का फैसला किया गया है। एडवाइजरी के मुताबिक राज्य के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अंतिम वर्ष या सेमेस्टर की परीक्षाएं सितंबर 2020 के अंत तक ऑफलाइन (पेन-पेपर) या मिश्रित तरीके (ऑनलाइन- ऑफलाइन दोनों मोड में) से संपन्न कराई जाएंगी। उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने यह जानकारी दी।
डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के खतरे को देखते हुए अंतिम वर्ष अथवा अंतिम सेमेस्टर को छोड़कर राज्य विश्वविद्यालयों की अन्य सभी परीक्षाएं अब नहीं होंगी। स्नातक व स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष अथवा अंतिम सेमेस्टर की शेष परीक्षाएं सितंबर के अंत तक ऑफलाइन या ऑनलाइन या मिश्रित विधा से कराई जाएंगी।
डॉ. शर्मा गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने बताया कि स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं 30 सितंबर तक कराकर उसका परीक्षा परिणाम 15 अक्तूबर तक और स्नातकोत्तर अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम 31 अक्तूबर तक घोषित किया जाएगा। यह फैसला विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) और केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार लिया गया है।
डॉ. शर्मा ने कहा कि कुछ विश्वविद्यालयों ने सभी परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले करा ली थीं तथा मूल्यांकन कराकर परिणाम भी जारी कर दिया था। वे परीक्षा परिणाम यथावत रहेंगे। इन परीक्षाओं पर वे नियम लागू रहेंगे, जो पहले से लागू थे। इसी तरह कुछ विश्वविद्यालयों ने विभिन्न कक्षाओं की कुछ परीक्षाएं लॉकडाउन से पहले करा ली थीं। उनका मूल्यांकन कराकर अंकों को अंतिम परिणाम में शामिल किया जाएगा।
ये होंगे प्रोन्नति के नियम
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी संकायों की विभिन्न कक्षाओं के ऐसे छात्र जो लॉकडाउन (18 मार्च 2020) के पहले संबंधित विश्वविद्यालय की परीक्षा के प्रश्नपत्रों के मूल्यांकन के आधार पर अपनी कक्षा के प्रत्येक विषय में अलग-अलग उत्तीर्ण हैं अथवा बैकपेपर के लिए अर्ह हैं, उन्हें अगले वर्ष या अगले सेमेस्टर में प्रोन्नत कर दिया जाएगा। उनकी बाकी बची परीक्षाएं स्थगित रहेंगी। ऐसे छात्र जो पूर्व में कराई गई इस परीक्षा के अपूर्ण परिणाम के आधार पर संबंधित विश्वविद्यालय के नियमानुसार बैकपेपर के लिए भी अर्ह नहीं है तथा अनुत्तीर्ण हैं, उनको वर्ष 2020 की परीक्षा में अनुत्तीर्ण घोषित किया जाएगा।
विश्वविद्यालयों से 23 जुलाई तक मांगी गई कार्ययोजना
उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने बताया कि कक्षाओं में प्रोन्नति के नियम बनाने के लिए लिए विश्वविद्यालयों को विकल्प भी दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश राज्य उच्च शिक्षा परिषद की तरफ से सभी विश्वविद्यालयों को मार्गदर्शी गाइडलाइन भेजी गई है और उनसे 23 जुलाई तक अपनी कार्ययोजना बनाकर देने को कहा गया है।
छात्रों को मिलेगा अंक सुधार का मौका
डॉ. शर्मा ने कहा कि ये दिशा-निर्देश विश्वविद्यालयों में संचालित कला, विज्ञान, वाणिज्य, विधि एवं कृषि विषयों के स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के संदर्भ में लागू होंगे। अभियंत्रण एवं प्रबंधन के स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के संबंध में प्राविधिक शिक्षा विभाग से जारी होने वाले निर्देश लागू होंगे। उन्होंने बताया कि प्रथम एवं अंतिम वर्ष सहित सभी वर्षों के ऐसे छात्र जो 2020 की अवशेष परीक्षाओं के परिणाम से संतुष्ट नहीं होंगे, वे 2021 में आयोजित होने वाली बैक पेपर परीक्षा/2021-22 में आयोजित होने वाली वार्षिक/सेमेस्टर परीक्षा के उन सभी/किसी भी विषय में शामिल होकर अपने अंकों में सुधार करने के अवसर प्राप्त कर सकेंगे।
गाइडलाइन इस प्रकार है-
प्रथम वर्ष-द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा (2019-20)
विकल्प 1- प्रथम वर्ष के छात्रों के परिणाम (यूजीसी की संस्तुति के अनुसार) शत-प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित किए जाएं।
विकल्प-2- प्रदेश सरकार द्वारा गठित समिति की संस्तुतियों के अनुसार किया जाए।
1-अ : सभी संकायों के प्रथम वर्ष के वे छात्र जो प्रोन्नत होकर वर्ष 2020-21 की द्वितीय वर्ष की परीक्षा में शामिल होंगे और संबंधित विश्वविद्यालय के नियमों के तहत यदि ये सभी विषयों में अलग-अलग उत्तीर्ण पाए जाते हैं तो द्वितीय वर्ष के सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक ही उसके प्रथम वर्ष के उन अवशेष विषयों/प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा जिनमें 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी।
1-ब : समस्त संकायों के द्वितीय सेमेस्टर के ऐसे छात्र जिनकी 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी है, उनके प्रथम सेमेस्टर की दिसंबर 2019 के सभी सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक ही उसके द्वितीय सेमेस्टर का प्राप्तांक माना जाएगा।
2. यदि 2021 में द्वितीय वर्ष या चतुर्थ सेमेस्टर सेमेस्टर की परीक्षा में शामिल होने वाला छात्र कुछ विषय/विषयों में अलग-अलग उत्तीर्ण होते हुए बैकपेपर या इम्प्रूवमेंट परीक्षा के लिए अर्ह पाया जाता है तो इस छात्र द्वारा उत्तीर्ण किए गए सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक ही उसके प्रथम वर्ष/द्वितीय सेमेस्टर के उन विषयों का प्रातांक माना जाएगा जिनमें परीक्षा 2020 में नहीं हो सकी।
3. यदि कोई छात्र 2021 में द्वितीय वर्ष में संबंधित विश्वविद्यालय के नियमों के तहत अनुत्तीर्ण हो जाता है तो वह 2022 में इस परीक्षा में पुनः शामिल होगा तथा इस परीक्षा में उसके द्वितीय वर्ष के परिणाम के आधार पर ही उसके प्रथम वर्ष 2020 के उन अवशेष विषयों या प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा, जिनमें 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी।
संशय खत्म
-अंतिम वर्ष व अंतिम सेमेस्टर की परीक्षाएं 30 सितंबर तक होंगी
-विश्वविद्यालयों से 23 जुलाई तक मांगी गई कार्ययोजना
-छात्रों को मिलेगा अंक सुधार का मौका
-15 अक्तूबर तक घोषित करना होगा स्नातक अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम
-31 अक्तूबर तक परास्नातक अंतिम वर्ष का परीक्षा परिणाम घोषित होगा
इंटरमीडिएट कक्षाओं की परीक्षा (जहां तीन/चार/पांच वर्षीय पाठ्यक्रम संचालित हैं, उनके प्रथम एवं अंतिम वर्ष को छोड़कर)
विकल्प 1- इंटरमीडिएट कक्षाओं के छात्रों की सेमेस्टर/वार्षिक परीक्षाओं का परिणाम (यूजीसी दिशा-निर्देशों के अनुसार) 50 प्रतिशत विगत परीक्षा परिणामों के आधार पर तथा 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर घोषित किया जाए।
विकल्प 2- सभी संकायों के द्वितीय वर्ष/चतुर्थ समेस्टर के छात्रों को प्रथम वर्ष (2019)/प्रथम-तृतीय (सभी तीन) सेमेस्टर के सभी विषयों के प्राप्तांकों का औसत अंक उनके द्वितीय वर्ष (2020)/चतुर्थ सेमेस्टर (2020) के उन शेष विषयों या प्रश्नपत्रों का प्राप्तांक माना जाएगा जिनमें 2020 में परीक्षा नहीं हो सकी। (समिति की संस्तुतियों के अनुसार)। अन्य सभी पारंपरिक पाठ्यक्रम, जिनमें पाठ्यक्रम की कुल अवधि तीन वर्ष/छह सेमेस्टर से अधिक हों, उनमें भी इसी व्यवस्था के आधार पर क्रियान्वयन विश्वविद्यालयों के स्तर पर किया जाएगा।
कई राज्य रद्द कर चुके हैं फाइनल ईयर समेत सभी परीक्षाएं
यूजीसी की रिवाइज्ड गाइडलाइंस आने के बाद तमाम राज्यों में कंफ्यूजन की स्थिति पैदा हो गई है। दिल्ली, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल की सरकारें अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों में सभी परीक्षाएं रद्द कर चुकी हैं। जबकि यूजीसी ने सभी राज्यों से अपील की थी कि वह अपने यहां के सभी विश्वविद्यालयों के फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षा जरूर कराएं। यूजीसी ने कहा है कि देश में उच्च शिक्षा स्तर में एकरूपता होना बेहद जरूरी है। इसके लिए ही गाइडलाइंस स्वीकार की जाती हैं और उनका अनुसरण किया जाता है। उन राज्यों को भी यूजीसी की गाइडलाइंस माननी चाहिए और फाइनल ईयर की परीक्षाएं करानी चाहिए। अगर हम फाइनल ईयर के छात्रों की परीक्षाएं नहीं कराएंगे तो इससे उनकी डिग्री की वैधता पर एक सवाल उठता है। यूनिवर्सिटी और कॉलेज ऑनलाइन, ऑफलाइन या ब्लेंडेड किसी भी मोड से परीक्षाएं आयोजित कर सकते हैं। अगर कोई स्टूडेंट सितंबर में आयोजित होने वाली परीक्षाओं में नहीं बैठ पाता है तो यूनिवर्सिटी ऐसे छात्रों के लिए स्पेशल एग्जाम करवाएगी।'
शिक्षाविदों ने यूजीसी से कहा, परीक्षा कराने के फैसले को लेकर दोबारा विचार करें
शिक्षाविदों ने यूजीसी को पत्र लिखकर फाइनल ईयर की परीक्षाएं कराने के फैसले पर दोबारा विचार विमर्श करने के लिए लिखा है। यूजीसी की प्रमुख डीपी सिंह को लिखे पत्र में लिखा है कि परीक्षाओं पर यूजीसी की लेटेस्ट एडवाइजरी दुर्भाग्यपूर्ण है। ये हमें आगे ले जाने की बजाय पीछे ले जाएंगे। पत्र में लिखा गया है कि यूजीसी के इस फैसले से इससे राज्यों के अनिश्चितता का दौर शुरू हो जाएगा। क्योंकि कई राज्य पहले ही परीक्षाएं रद्द करने का फैसला ले चुके थे। इसमें यूजीसी के पूर्व चैयरमेन सुखदेव थोराट समेत कई शिक्षाविदों ने हस्ताक्षर किए हैं।
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