पीएचडी की डिग्री में रेगुलेशन का जिक्र नहीं, विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने जताई आपत्ति
भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय की पीएचडी डिग्री को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। पीएचडी डिग्री में रेगुलेशन नहीं होने पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने आपत्ति जताई है। आयोग ने ऐसे आवेदकों को पत्र भेजकर
बीआरएबीयू की तरफ से जारी पीएचडी की डिग्री में रेगुलेशन का जिक्र नहीं होने पर विश्वविद्यालय सेवा आयोग ने आपत्ति जताई है। इस वजह से बीआरएबीयू से जिन लोगों ने सहायक प्राध्यापक पद के लिए आवेदन किया है, उनका आवेदन फंस गया है। आयोग ने इस बारे में आवेदकों को पत्र लिखा है और एक अधिसूचना भी जारी की है। आयोग का कहना है कि पीएचडी की डिग्री पर यह लिखना जरूरी है कि वह 2009 रेगुलेशन की है या 2016 रेगुलेशन की। बिना रेगुलेशन वाली डिग्री के छात्रों से आयोग ने जवाब भी मांगा है। लगभग एक सौ छात्र इससे प्रभावित हैं। अब ऐसे छात्र बीआरएबीयू का चक्कर लगा रहे हैं। बीआरएबीयू के रजिस्ट्रार प्रो. संजय कुमार ने बताया कि रेगुलेशन डिग्री पर नहीं नोटिफिकेशन पर लिखा रहता है। लेकिन, परेशानी न हो इसके लिए हमलोग ऐसे छात्रों को रेगुलेशन का सर्टिफिकेट बनाकर दे रहे हैं।
बांटी हैं दो तरह की डिग्रियां : पीएचडी के छात्रों ने बताया कि बीआरएबीयू ने पीएचडी 2009 रेगुलेशन की दो तरह की डिग्रियां बांटी हैं। जो डिग्रियां हाथ से लिखी गई हैं, उनपर रेगुलेशन 2009 का जिक्र है। जो डिग्रियां कंप्यूटर से छपी हैं, उनपर इसका जिक्र नहीं है। विवि सेवा आयोग कंप्यूटर से छपी हुई डिग्रियों पर ही सवाल खड़े कर रहा है।
वर्ष 2018 में भी हो चुका है डिग्री पर विवाद
बीआरएबीयू की पीएचडी डिग्री पर वर्ष 2018 में भी विवाद हो चुका है। उस समय सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग से होती थी। रेगुलेशन के कारण उस समय भी बिहार लोक सेवा आयोग ने डिग्री पर सवाल उठाये थे। इसके अलावा वर्ष 2018 में कई छात्रों की डिग्री पर विवि ने ही सवाल खड़े कर दिये थे। इसके बाद ऐसे छात्रों को दूसरा सर्टिफिकेट दिया गया, जिससे उनकी डिग्री वैध हुई।
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