UPSC उम्मीदवारों को सिविल सेवा परीक्षा में नहीं मिलेगा अतिरिक्त मौका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कीं याचिकाएं
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए अतिरिक्त मौका मांगने वाले उन अभ्यार्थियों को राहत देने से इंकार कर दिया है जिनके लिए उम्र सीमा पिछली परीक्षा में समाप्त हो...
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यूपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए अतिरिक्त मौका मांगने वाले उन अभ्यार्थियों को राहत देने से इंकार कर दिया है जिनके लिए उम्र सीमा पिछली परीक्षा में समाप्त हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सिविल सर्विस अभ्यार्थियों की उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिसमें इस साल होने वाले सिविल सर्विस प्री परीक्षा में बैठने के लिए एक अतिरिक्त मौके के मांग की गई थी। आपको बता दें कि ऐसे अभ्यार्थियों का कोरोना के चलते साल 2020 में अंतिम प्रयास पूरा हो चुका था। सिविल सर्विसेज परीक्षा (प्रारंभिक) में अतिरिक्त मौका मांगने वाले अभ्यर्थियों में ऐसे अभ्यार्थी शामिल हैं जो कोरोना (COVID-19) महामारी के दौरान फ्रंटलाइन वर्कर्स की भूमिका में थे। इसलिए अतिरिक्त मौके को लेकर इन अभ्यार्थियों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
जस्टिस एएम खानविलकर, इंदु मल्होत्रा और अजय रस्तोगी ने घोषणा की कि वो इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हैं। इस ऑर्डर की एक कॉपी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर कुछ देर में अपलोड कर दी जाएगी। आपको बता दें कि इससे पहले 9 फरवरी को याचिका कर्ता , केंद्र सरकार और यूपीएससी की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।
याचिकाकर्ताओं की संख्या 100 से ज्यादा है जिन्हें उम्र या प्रयासों की अधिकतम संख्या के कारण इस साल होने वाली परीक्षा में भाग लेने से रोका जा चुका है। हालांकि केंद्र सरकार ने शुरू में याचिका कर्ताओं का विरोध कर कार्रवाही को समाप्त करने की मांग की थी लेकिन केंद्र ने ऐसे अभ्यर्थी जिन्होंने अपने अधिकतम प्रयासों की संख्या पार कर ली है उनके लिए वन टाइम छूट देना का फैसला लिया था।
सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 32 वर्ष की आयु तक सिविल सेवा परीक्षा में भाग लेने के लिए छह मौके मिलते हैं। वहीं ओबीसी कैटेगरी के अभ्यर्थियों को 35 वर्ष की आयु तक 9 मौके मिलते हैं और एससी-एसटी के अभ्यर्थियों को 37 वर्ष की आयुत तक असीमित मौके मिलते हैं।
कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह ऐसे अभ्यर्थियों पर विचार करे जिनकी आयु सीमा पार कर चुकी है। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया था कि कोरोना महामारी के दौरान व्यस्त दिनचर्या में परीक्षाओं के लिए ठीक से तैयारी नहीं कर सके थे।पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने सु्प्रीम कोर्ट को बताया था कि 34000 छात्र ऐसे हैं जो 2020 की प्रारंभिक परीक्षा में अपना आखिरी प्रयास पूरा कर चुके हैं। ऐसे में यदि इन अभ्यर्थियों को यदि राहत दी जाती है तो प्रारंभिक परीक्षा 2021 में शामिल होने के लिए योग्य हो जाएंगे और इस साल की परीक्षा में भाग लेने वाले अभ्यर्थियों के रास्ते को ब्लॉक करेंगे। ऐसा होने पर अन्य अभ्यर्थी भी मांग करेंगे और फिर यह एक अंतहीन साइकिल बन जाएगा। चुंकि यह मामला नीति निर्धारण का है ऐसे में सरकार के ऊपर छोड़ा गया है कि वह अभ्यर्थियों को कोर्स या आयु के आधार प्रयासों की सीमा तय करे।
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