Hindi Newsकरियर न्यूज़story of a generous guest teacher who works as a coolie at night for the education of poor children

कहानी दरियादिल अतिथि शिक्षक की: जो गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए रात में कुुली का काम करता है

ओडिशा के गंजाम जिले के 31 वर्षीय नागेशु पात्रो दिन के समय एक निजी कॉलेज में अतिथि शिक्षक (लेक्चरर) के रूप में काम करते हैं और रात में बेरहामपुर रेलवे स्टेशन पर कुली के रूप में काम करते हैं। पात्रो का

Alakha Ram Singh भाषा, बेरहामपुर (ओडिशा)Sun, 11 Dec 2022 05:04 PM
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ओडिशा के गंजाम जिले के 31 वर्षीय नागेशु पात्रो दिन के समय एक निजी कॉलेज में अतिथि शिक्षक (लेक्चरर) के रूप में काम करते हैं और रात में बेरहामपुर रेलवे स्टेशन पर कुली के रूप में काम करते हैं। पात्रो का एक कुली के रूप में काम करना अपनी जेब भरने के लिए नहीं है, बल्कि उन शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने के लिए है जिन्हें उन्होंने एक कोचिंग केंद्र में गरीब छात्रों को मुफ्त में पढ़ाने के लिए रखा है। जैसे ही दिन शुरू होता है पात्रो अतिथि शिक्षक के रूप में एक निजी कॉलेज में जाते हैं, इसके बाद वह गरीब छात्रों के लिए खोले गए अपने कोचिंग केंद्र में मुफ्त में कक्षाएं लेते हैं। रात में वह बेरहामपुर रेलवे स्टेशन पर कुली के रूप में चांदनी रोशनी बिखेरते हैं। 

पात्रो ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान घर में खाली बैठने के बजाय उन्होंने गरीब बच्चों को मुफ्त में पढ़ाना शुरू किया था। छात्रों की संख्या बढ़ने पर उन्होंने कक्षा 8 से 12 तक के छात्रों के लिए एक कोचिंग केंद्र की स्थापना की। वह खुद हिंदी और ओडिया पढ़ाते हैं, जबकि उन्होंने बाकी विषयों के लिए अन्य शिक्षकों की सेवा ली है। पात्रो ने अपने कोचिंग केंद्र में चार अन्य शिक्षकों की सेवा ली है, जिन्हें वह लगभग 10,000 रुपये से लेकर 12,000 रुपये तक का भुगतान करते हैं। लेकिन इतने पैसे देने के लिए वह रेलवे स्टेशन पर कुली के रूप में काम करके कमाते हैं। पात्रो से जब पूछा गया कि क्या खुद लेक्चरर होने के बाद उन्हें कुली का काम करने में शर्म महसूस होती है, तो उन्होंने इसके जवाब में 'पीटीआई-भाषा' से कहा, “लोग जो भी सोचते हैं, उन्हें सोचने दें, मुझे पढ़ाना पसंद है और मैं गरीब छात्रों के लिए इसे जारी रखना चाहता हूं।” 

एक निजी कॉलेज में अतिथि लेक्चरर के रूप में वह जो 8,000 रुपये कमाते हैं, जिसका उपयोग वे अपने परिवार का खर्च पूरा करने के लिए करते हैं, जिसमें उनके पिता-माता शामिल हैं और जो गंजाम जिले के मनोहर गांव में रहते हैं। एक विनम्र पृष्ठभूमि से आने वाले पात्रो वर्ष 2006 की 10वीं की परीक्षा में उपस्थित नहीं हो सके, क्योंकि भेड़-बकरियां चराने वाले उनके पिता के लिए दो जून की रोटी का इंतजाम करना भी मुश्किल था। ऐसी परिस्थितियों में शिक्षा उनके लिए एक दूर का सपना था। तब से पात्रो अधिक से अधिक बच्चों को शिक्षित करने के अभियान में जुटे हैं। वह नहीं चाहते कि वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चे परिवार की आर्थिक समस्याओं के कारण अपनी पढ़ाई छोड़ दें। पात्रो वर्ष 2011 से रेलवे स्टेशन पर कुली के रूप में पंजीकृत हैं। 

उन्होंने वर्ष 2012 में पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से 12वीं कक्षा की परीक्षा देने का फैसला किया। इसके बाद उन्होंने स्नातक और परास्नातक बेरहामपुर विश्वविद्यालय से किया। उन्होंने अपनी सारी उच्च शिक्षा रात में कुली का काम करके जुटाए गए खुद के पैसे से पूरी की। उन्होंने कहा कि आजकल लोग ट्रॉली बैग और एस्केलेटर का उपयोग कर रहे हैं, इसलिए कुली के रूप में कमाई कम हो गई है। उन्होंने रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव से रेलवे स्टेशन पर कड़ी मेहनत करने वाले कुली समुदाय के लिए कुछ करने का आग्रह किया।  

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