Hindi Newsकरियर न्यूज़Speech On Hindi Diwas : best Hindi Diwas Speech and nibandh bhashan 14 september hindi day poem

Speech On Hindi Diwas : हिंदी दिवस पर भाषण जो दिलाएगा आपको इनाम

हिंदी दिवस पर देश भर के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में हिंदी कविता प्रतियोगिता, वाद-विवाद व भाषण प्रतियोगिता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। यहां से आप भाषण का उदाहरण ले सकते हैं।

Pankaj Vijay लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 14 Sep 2023 07:24 AM
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Speech On Hindi Diwas , Essay : देश में हर वर्ष 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। दरअसल 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इस दिन का काफी ऐतिहासिक महत्त्व था। ऐसे में हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। हिंदी के बढ़ावा देने के लिहाज से हिंदी दिवस का महत्त्वपूर्ण स्थान है। हिंदी को प्रोत्साहन देने के लिए इस अवसर पर कई पुरस्कार समारोह आयोजित होते हैं। हिंदी भाषा के क्षेत्र में अहम योगदान करने वालों को सम्मानित किया जाता है। इसके अलावा इस दिवस पर देश भर के विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों में हिंदी कविता प्रतियोगिता, वाद-विवाद व भाषण प्रतियोगिता, निबंध लेखन, पोस्टर व कला प्रतियोगिता, कविता गोष्ठी आदि कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। 

हम यहां स्कूली छात्रों की मदद के लिए एक भाषण का उदाहरण दे रहे हैं। स्टूडेंट्स यहां से अपनी स्पीच का आइडिया ले सकते हैं। - 

हिंदी दिवस भाषण  ( Hindi Diwas Speech 2023)
आदरणीय प्रिंसिपल सर, शिक्षक गण और मेरे प्यारे साथियों... 

आज 14 सितबंर का दिन हर भारतवासी के लिए गर्व का दिन है। आज पूरा देश हिंदी दिवस मना रहा है। आज का दिन पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा हिंदी को समर्पित है। सांस्कृतिक विविधताओं से भरे देश भारत में हिंदी दिवस के दिन की अहमियत बहुत ज्यादा है। भारत के विभिन्न क्षेत्रो में लोगों का खान-पान, रहन-सहन, वेश-भूषा, शारीरिक गठन, यहां तक की विचारधारा भी अलग-अलग प्रकार की है। भारत के विभिन्न भागों में अलग-अलग धर्म हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, बौद्ध, पारसी तथा जैन धर्म के अनुयायी रहते हैं। और ये धर्म विभिन्न जातियों में बंटे हैं। विभिन्न क्षेत्रों के लोग अलग अलग भाषाएं बोलते हैं। धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति की इन विविधताओं के फासलों को हिंदी खत्म कर देती है। हिंदी ही है जो अलग अलग क्षेत्रों के लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है और सभी को एकता के सूत्र में बांधे रखती है। 

कोई भी हिन्दुस्तानी जहां भी हो, दूसरे हिंदुस्तानी से हिन्दी भाषा के जरिए ही अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करता है। अपनी दिल और मन की बात अगर किसी भाषा में सहजता से की जा सकती है तो वो हिंदी ही है। आज देश का शायद ही ऐसा कोई हिस्सा हो जहां हिंदी सहजता से बोली या समझी ना जाती हो। हिंदी केवल हमारी मातृभाषा या राष्ट्रभाषा ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है।

दोस्तों, यह भी जानना जरूरी है कि हिन्दी दिवस क्यों मनाया जाता है। इसकी शुरुआत कब से हुई। 14 सितंबर, 1949 को संविधान सभा द्वारा देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया था। इस दिन का काफी अहमियत थी। इसी को देखते हुए हिंदी को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति के सुझाव पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का मकसद देश में हिंदी के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करना है। 

भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कई देशों में हिंदी बोली जाती है। इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोले जाने वाली भाषा है। 

हिंदी दिवस के मद्देनजर सरकारी कार्यालयों व शैक्षणिक संस्थानों में सितंबर माह में हिंदी पखवाड़ा आयोजित होता है। विभिन्न स्कूलों, कॉलेजों में हिंदी भाषा से जुड़ी वाद-विवाद, हिंदी कविता पाठ, पोस्टर मेकिंग व अन्य कई तरह की प्रतियोगिताए होती हैं। इस प्रकार के कार्यक्रमों से निश्चित ही हिंदी के प्रयोग को नागरिक व प्रशासनिक स्तर पर बढ़ावा मिलता है। लेकिन यह ध्यान देना आवश्यक है कि हिंदी दिवस का महत्त्व औपचारिक-सा बनकर रह गया है। साल में केवल एक दिन हिंदी के प्रयोग का दिखावा कर कर्त्तव्यों से मुंह मोड़ लिया जाता है। सरकारी कार्यालयों में लगभग सारा कार्य अंग्रेजी भाषा के माध्यम से होता है। 

साथियों, आज डॉक्टरी की पढ़ाई और इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी हिंदी में होने लगी है। हर विषय पर हिंदी में किताबें उपलब्ध हैं। हमें अंग्रेजी की अवेहलना किए बगैर हिंदी को बढ़ावा देना होगा। तरक्की अंग्रेजी भाषा पर निर्भर होकर नहीं बल्कि मेहनत, ज्ञान, लगन और कौशल से हासिल होती है जो हिंदी में पढ़कर भी हासिल हो सकती है। हमें इस दिशा में कदम से कदम मिलाकर चलना होगा। हिंदी बोलें, रोजमर्रा के व्यवहारिक जीवन में अमल में लाएं, हिंदी सीखें और सिखाएं। 

कुछ पक्तियों के साथ मैं अपना भाषण खत्म करना चाहूंगा। 
बाकी भाषा को मैंने महज किताबों में रखा 
हिंदी को  सब जगह अपने भावों में रखा।

धन्यवाद। जय हिंद। जय भारत। 

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