सिमुलतला आवासीय विद्यालय में भी 11वीं में होगा नामांकन, तैयारी शुरू
सिमुलतला आवासीय विद्यालय में 11वीं में भी नामांकन का मौका छात्रों को मिलेगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। आठ फरवरी को इसको लेकर सिमुलतला आवासीय विद्यालय की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी।
सिमुलतला आवासीय विद्यालय में 11वीं में भी नामांकन का मौका छात्रों को मिलेगा। इसकी तैयारी शुरू कर दी गयी है। आठ फरवरी को इसको लेकर सिमुलतला आवासीय विद्यालय की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया है कि सत्र 2022-23 में 11वीं की रिक्त सीटों को संस्थान के छात्रों से भरा जायेगा। इसमें प्रवेश परीक्षा, मैट्रिक अंक के आधार पर या फिर बिहार बोर्ड के जिला टॉपर का सीधा इंटरव्यू लिया जाएगा। इसको लेकर शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही निर्णय लिया जायेगा। ज्ञात हो कि सिमुलतला आवासीय विद्यालय में हर साल 120 छात्र और छात्राओं का नामांकन कक्षा छह में होता है। मैट्रिक करने के बाद हर साल 70 से 80 फीसदी विद्यार्थी स्कूल छोड़ देते हैं। ऐसे में 11वीं में हर साल सीटें रिक्त रह जाती हैं। इस बार जो सीटें रिक्त रहेंगी, उन सीटों पर बाहरी छात्रों का नामांकन होगा।
59 विद्यार्थियों ने ली टीसी : सिमुलतला विद्यालय प्रशासन की मानें तो हर साल की तरह इस बार भी 119 में 59 विद्यार्थी ने टीसी ले ली है। वहीं 16 विद्यार्थी भी दस मई तक अपना निर्णय विद्यालय को दे देंगे। वहीं, 44 छात्रों ने सिमुलतला में ही रह कर 11वीं की पढ़ाई का निर्णय लिया है।
शिक्षकों की कमी : सिमुलतला आवासीय विद्यालय में छठी से दसवीं तक तो पढ़ाई बढ़िया हो पाती है, लेकिन प्लस टू स्तर के हर संकाय में शिक्षकों की कमी है। इसके अलावा छात्रावास की दिक्कतें हैं। शिक्षकों की कमी को स्कूल प्रशासन द्वारा एडहॉक पर शिक्षक को रख कर पूरा किया जाता है। इससे छात्रों में संतुष्टि नहीं हो पाती है। स्कूल की स्थापना 2010 में की गयी थी। पहला बैच 2014 में दसवीं करके निकला था। उसी साल कई छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया था। इसके बाद लगातार हर साल मैट्रिक के बाद छात्र स्कूल छोड़ देते हैं।
माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के निदेशक मनोज कुमार ने कहा, "11वीं की रिक्त सीटों को भरा जायेगा। प्रवेश परीक्षा या बिहार बोर्ड के जिला टॉपर का इंटरव्यू लेकर भी निर्णय लिया जा सकता है। इससे सिमुलतला की सीटों को भरा जायेगा।"
सिमुलतला आवासीय विद्यालय के पूर्व प्राचार्य शंकर कुमार ने कहा, "दसवीं के बाद बच्चे प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं। लेकिन इसका अभाव स्कूल परिसर में रहता है। उस तरह की शैक्षणिक व्यवस्था नहीं रहती है। इससे पलायन होता है।"
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