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Republic Day 2020 Special:प्रस्तावना के पहले 5 शब्द बताते हैं संविधान का स्वरूप, जानें क्या है इनका मतलब

Republic Day 2020 Special: भारत आज 26 जनवरी 2020 को अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। लेकिन बहुत कम ही लोग यह बात जानते हैं कि प्रस्तावना के प्रारंभिक 5 शब्द हमारे संविधान के स्वरूप को दर्शाते...

Manju Mamgain लाइव हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीSun, 26 Jan 2020 08:55 AM
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Republic Day 2020 Special: भारत आज 26 जनवरी 2020 को अपना 71वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। लेकिन बहुत कम ही लोग यह बात जानते हैं कि प्रस्तावना के प्रारंभिक 5 शब्द हमारे संविधान के स्वरूप को दर्शाते हैं। प्रस्तावना के शब्द न सिर्फ संविधान को अंगीकार किए जाने के पहले की घटनाओं को समाहित करते हैं, बल्कि इनसे  पिछले 70 वर्षों में देश को मजबूती भी मिली है। वहीं प्रस्तावना के अंतिम शब्द संविधान के उद्देश्य के बारे में बताते हैं आइए जानते हैं आखिर कैसे। 

प्रस्तावना के प्रारंभिक पांच शब्द हमारे संविधान के स्वरूप को दर्शाते हैं।
-संपूर्ण प्रभुत्व संपन्न : इसका मतलब है कि भारत अपने आंतरिक और बाहरी निर्णय लेने के लिए स्वंतत्र है।
-समाजवादी : संविधान वास्तव में समाजवादी समानता की बात करता है। भारत ने 'लोकतांत्रिक समाजवाद' को अपनाया है।
-पंथनिरपेक्ष : इसका तात्पर्य है कि राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है। जो भी धर्म होगा वह भारत की जनता का होगा।
-लोकतंत्रात्मक : लोकतंत्रात्मक का अर्थ है ऐसी व्यवस्था जो जनता द्वारा जनता के शासन के लिए जानी जाती है।
-गणराज्य : ऐसी शासन व्यवस्था जिसका जो संवैधानिक/ वास्तविक प्रमुख होता है, वह जनता द्वारा चुना जाता है।

अंतिम शब्द उद्देश्य को दर्शाते हैं-
-न्याय : सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक स्तर पर देश के संविधान के तहत न्याय दिया जाएगा। लेकिन धार्मिक स्तर पर न्याय नहीं दिया जाएगा।
-स्वतंत्रता : इसका अर्थ है कि भारत के नागरिक को खुद का विकास करने के लिए स्वतंत्रता दी जाए ताकि उनके माध्यम से देश का विकास हो सके।
-समता : इसका मतलब यहां समाज से जुड़ा हुआ है, जिसमें आर्थिक और समाजिक स्तर पर समानता की बात की गई है।
-गरिमा : इसके तहत भारतीय जनता में गरिमा की बात की जाती है, जिसमें जनता को गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार है।
-राष्ट्र की एकता-अखंडता : भारत विविधता में एकता वाला देश है, जिसे बनाए रखने के लिए प्रस्तावना में कहा गया है।
-बंधुता : इससे तात्पर्य है सभी भारतीय नागरिकों में आपसी जुड़ाव की भावना पैदा होना। इन सभी बातों को प्रस्तावना के माध्यम से संविधान का उद्देश्य बताया गया है।

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