चप्पल-जूते ठीक करते हैं पिता, बेटे ने राजस्थान बोर्ड 12वीं में हासिल किए 97.80 फीसदी अंक
कहा जाता है कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बारहवीं कला वर्ग के छात्र यश ने इस बात को साबित भी कर दिया है। उदयपुर में यूनिवर्सिटी रोड पर छोटी पीपली के पास सड़क...
कहा जाता है कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के बारहवीं कला वर्ग के छात्र यश ने इस बात को साबित भी कर दिया है। उदयपुर में यूनिवर्सिटी रोड पर छोटी पीपली के पास सड़क किनारे बैठकर चप्पल-जूते ठीक कर घर का गुजारा चलाने वाले कन्हैया लाल के बेटे यश ने 12वीं कला के नतीजों में 97.80 प्रतिशत अंक हासिल किए है। उन्होंने अपने पिता और परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। अभाव की कमी में यह सफलता चौंकाने वाली बात है।
जानकारी के मुताबिक, यश का परिवार पायड़ा क्षेत्र में कालका माता रोड पर देवडूंगरी बावजी मंदिर के पास एक किराए के मकान में रहता है। मुश्किल हालातों में रहकर यश ने पढ़ाई की है। माता शकुंतला देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। यश आयड के श्री राम उच्च माध्यमिक विद्यालय गोकुलपुरा के छात्र हैं। प्रधानाचार्य मनोहर चौधरी बताते हैं कि यश की प्रतिभा और उसके परिवार की विकट आर्थिक स्थिति को देखते उसका प्रतिवर्ष पढ़ाई का शुल्क केवल 25 प्रतिशत ही लिया जाता था। उसने पहली कक्षा से 12वीं तक का सफर इसी स्कूल से तय किया।
वहीं यश ने बताया कि वह स्कूल के अलावा घर पर करीब आठ घंटे पढ़ाई करते थे। सुबह जल्दी उठकर पढ़ने बैठ जाते। शाम को भी अध्ययन में ही लगे रहते थे। उनके बड़े भाई भी प्रतिभावान रहे हैं, जो कोर्ट में बाबू हैं। यश कहते है कि बड़े भाई ने हमेशा उनकी मदद की। यश का सपना भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में जाकर समाज और देश की सेवा करने का है। वह सफलता का श्रेय विद्यालय के शिक्षक एवं माता-पिता को देते हैं।
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