Hindi Newsकरियर न्यूज़Private institutes will not be able to give admission in courses like D-Pharma without polytechnic entrance exam

पॉलिटेक्निक प्रवेश परीक्षा के बिना प्राइवेट संस्थान नहीं दे पाएंगे डी-फार्मा जैसे कोर्स में प्रवेश

प्रावधिक शिक्षा में निजी संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाते हुए शासन ने स्पॉट काउंसलिंग पर रोक लगा दी है। अब पालिटेक्निक प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों को ही निजी संस्थानों को डी-फार्मा, फैश

Alakha Ram Singh आनंद सिन्हा, लखनऊSat, 29 July 2023 05:52 PM
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प्रावधिक शिक्षा में निजी संस्थानों की मनमानी पर लगाम लगाते हुए शासन ने स्पॉट काउंसलिंग पर रोक लगा दी है। अब पालिटेक्निक प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों को ही निजी संस्थानों को डी-फार्मा, फैशन डिजाइनिंग, इंजीनियरिंग और कृषि डिप्लोमा में प्रवेश देना अनिवार्य होगा। उन्हें आनलाइन काउंसलिंग के जरिये ही प्रवेश लेना होगा। इस संबंध में शासनादेश भी जारी कर दिया गया है। इससे निजी संस्थानों द्वारा किए जा रहे मनमाने प्रवेश पर अंकुश लगेगा। साथ ही मनमानी फीस वसूली भी रुकेगी।

प्रावधिक शिक्षा मंत्री आशीष पटेल ने बताया कि प्रदेश में पालिटेक्टिन प्रवेश परीक्षा दो अगस्त को होनी है। इसमें करीब चार लाख अभ्यर्थियों के बैठने की उम्मीद है। इन अभ्यर्थियों को सरकारी और निजी दोनों पालिटेक्निकों संस्थानों में करीब 2 लाख 38 हजार 388 सीटों पर प्रवेश दिया जाएगा। प्रदेश में अभी तक निजी पालिटेक्टिनिक प्रवेश के नाम पर मनमानी कर रहे थे। ऐसे छात्रों को स्पाट काउंसलिंग कर लाखों की फीस वसूल कर प्रवेश दिया जा रहा था, जबकि प्रवेश परीक्षा में पास होने और बैठने वाले गरीब व मध्यम वर्ग के हजारों छात्र प्रवेश से वंचित रह जाते थे। उन्हें मजबूरन करीब 50 हजार रुपये ज्यादा फीस देनी पड़ती थी।

उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर विभाग में इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई है। अब ऐसे सभी अभ्यर्थी जो प्रवेश परीक्षा में बैठेंगे उन्हें प्रवेश मिलना तय है। निजी पालिटेक्निकों और संस्थानों को अब ऐसे सभी अभ्यर्थियों को प्रवेश देने के लिए बाध्य कर दिया गया हैं, जो संयुक्त प्रवेश परीक्षा परिषद उप्र द्वारा कराई जाने वाली आनलाइन काउंसलिंग में हिस्सा लेंगे। इसी तरह तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अब निजी पालिटेक्निकों और संस्थानों को मुख्य कोर्स जैसे डी-फार्मा, इंजीनियरिंग, फैशन डिजाइनिंग आदि की परीक्षाएं राजकीय पालिटेक्निकों में करानी होंगी। पहले निजी संस्थान आपस में तय कर परीक्षा केंद्र निर्धारित करवा लेते थे। इससे नकल माफिया सक्रिय होकर बड़े पैमाने पर नकल कराता था।

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