झारखंड में छात्रों का ऑनलाइन मूल्यांकन होगा
राज्य के स्कूली बच्चों का ऑनलाइन मूल्यांकन किया जाएगा। हर दिन उपलब्ध कराए जा रहे डिजिटल कंटेंट के आधार पर बच्चों से इस महीने के अंत में या अगले महीने प्रश्न पूछे जाएंगे। बच्चों को उसे हल कर...
राज्य के स्कूली बच्चों का ऑनलाइन मूल्यांकन किया जाएगा। हर दिन उपलब्ध कराए जा रहे डिजिटल कंटेंट के आधार पर बच्चों से इस महीने के अंत में या अगले महीने प्रश्न पूछे जाएंगे। बच्चों को उसे हल कर विभाग की ओर से दिए जाने वाले व्हाट्सएप नंबर पर भेजना होगा। स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग इसकी तैयारी कर रहा है।
इसके लिए एक एजेंसी की भी मदद ली जाएगी, जिसमें अलग-अलग क्लास के लिए अलग-अलग व्हाट्सएप नंबर जारी किए जाएंगे। ऑब्जेक्टिव सवालों का जवाब अपनी क्लास के व्हाट्सएप नंबर पर बच्चों को भेजना होगा। इसमें अच्छा प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया जाएगा और सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
वर्तमान में प्राथमिक से प्लस टू स्कूल तक के बच्चों को सोमवार से शुक्रवार तक डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराया जाता है। शनिवार को सप्ताह भर में दिए गए कंटेंट में से कुछ चुनिंदा प्रश्न पूछे जाते हैं ताकि उनका रिवीजन हो सके। इसमें अच्छा करने वाले बच्चों के नाम सर्टिफिकेट भी जारी किया जाता है।
ऑनलाइन किताब भी पढ़ सकेंगे बच्चे: स्कूली बच्चों को फिलहाल डिजिटल कंटेंट और दूरदर्शन के माध्यम से पाठ्य सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है। किताबें बांटने की भी प्रक्रिया शुरू की जा रही है।
साथ ही, किताबों का कंटेंट जेसीईआरटी की वेबसाइट पर अपलोड किया जा रहा है। इसमें क्लास के आधार पर छात्र-छात्राएं अपनी किताबें डाउनलोड कर सकते हैं। नौवीं-दसवीं के लिए एनसीईआरटी की किताबें भी वेबसाइट से छात्र छात्राओं को आसानी से मिल सकेगी। इसके लिए बच्चों को व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए लिंक भी दिए जा रहे हैं।
डिजिटल मैग्जीन में प्रकाशित होगी बच्चों की कला: पहली से बारहवीं तक के बच्चों को एक जून से पढ़ाई से अलग समर कैंप के आधार पर कंटेंट उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो 13 जून तक दिए जाएंगे। इसमें बेहतर कला का प्रदर्शन करने वाले छात्र-छात्राओं की कला का प्रकाशन डिजिटल मैग्जीन में किया जाएगा। इसके लिए हर स्कूल को हर क्लास से एक छात्र या छात्रा के किए काम की जानकारी देनी होगी। राज्य स्तर पर इनका चयन किया जाएगा और प्रकाशित किया जाएगा।
छोटे बच्चों को पढ़ाना शिक्षकों के लिए चुनौती
सरकारी स्कूलों के छोटे बच्चों को पढ़ाना सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। पांचवीं तक के बच्चे डिजिटल कंटेंट का कितना उपयोग कर पा रहे हैं, इसे देखा जा रहा है। डिजिटल कंटेंट के जरिए जो वीडियो दिए जा रहे हैं, वह भी सौ फीसदी नहीं देखे जा रहे हैं। जो वीडियो दो मिनट के भी हैं उसे भी आधा देखने के बाद बंद कर दिया जा रहा है। ऐसे में डिजिटल कंटेंट को सार्थक और रोचक बनाने की तैयारी भी की जा रही है।
वन-वे ओरिएंटेशन को दूर करने के लिए एसेसमेंट डिजिटल कंटेंट उपलब्ध कराने और दूरदर्शन के जरिए पढ़ाने से फिलहाल वन-वे ओरिएंटेशन हो रहा है। इसका कितना फायदा बच्चों तक पहुंच रहा है इसे देखने के लिए असेसमेंट होगा। स्कूल बंद होने से जिन समस्याओं का समाधान क्लास रूम में होता था और कई तरीकों से उसे समझाया जाता था, वह नहीं हो पा रहा है। शिक्षक भी बच्चों की जिन जिज्ञासाओं को शांत करते थे, वह नहीं हो पा रहा है। जिस क्लास में एक-दो घंटी किसी चीज को समझाया जाता था, उसे आधे घंटे के अंदर एक पक्ष से ही पूरा हो रहा है।
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