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यूपी: सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्रिंसिपल बनने की आयु सीमा बढ़ी, हुई 62 साल

चिकित्सा शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्राचार्य अब 62 वर्ष की उम्र तक के डॉक्टरों को बनाया जा सकेगा। वहीं 55 वर्ष की आयु तक वाले डॉक्टरों को प्रोफेसर के पदों पर सीधी...

प्रमुख संवाददाता लखनऊThu, 29 Nov 2018 07:47 PM
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चिकित्सा शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहे सरकारी मेडिकल कॉलेजों में प्राचार्य अब 62 वर्ष की उम्र तक के डॉक्टरों को बनाया जा सकेगा। वहीं 55 वर्ष की आयु तक वाले डॉक्टरों को प्रोफेसर के पदों पर सीधी भर्ती के लिए योग्य माना जाएगा। सरकार ने सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भर्ती के लिए आयुसीमा सहित कई तरह के प्रावधानों में बदलाव किया है।

प्रदेश में पुराने 13 सरकारी मेडिकल कॉलेज हैं जबकि नए 13 अन्य भी खुल रहे हैं। इतनी बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भारी कमी है। पुराने मेडिकल कॉलेजों में भी 30 से 40 फीसदी तक शिक्षकों की कमी है। सरकार ने नए नियमों के तहत अब प्राचार्य पदों के लिए आयु सीमा 55 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी है। वहीं प्रोफेसर पदों पर 45 वर्ष की आयु सीमा बढ़कर अब 55 वर्ष हो गई है।

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इसी तरह सहायक प्रोफेसर के पदों पर भर्ती की न्यूनतम आयु 21 वर्ष से बढ़ाकर 26 वर्ष और अधिकतम आयु सीमा 35 से बढ़ाकर 40 वर्ष कर दी गई है। आरक्षण कैटगरी में यह सीमा अलग होगी। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा डॉ. रजनीश दुबे की ओर से जारी आदेश में चिकित्सा शिक्षकों के वेतनों में भी बढ़ोत्तरी की गई है। यह पहले की अपेक्षा 20 से 30 फीसदी अधिक होगा। प्राचार्य और प्रोफेसर पद पर वेतन एक समान किया गया है। इन्हें अब 1.44 लाख रुपये प्रतिमाह मिलेगा। वहीं एसोसिएट प्रो. को 1.31 लाख, सहायक आचार्य को 68900 रुपये और प्राध्यापक को 57700 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा।

पहले प्राध्यापक के तौर पर तीन वर्ष काम करने के बाद सहायक प्रोफेसर के पद पर प्रमोशन या नियुक्ति मिलती थी। इसे घटाकर अब एक वर्ष कर दिया गया है। एक वर्ष बाद ही सहायक प्रोफेसर का ग्रेड वेतन और पदनाम दे दिया जाएगा। सरकार का प्रयास है कि अधिक उम्र के चिकित्सा शिक्षकों को मेडिकल कॉलेजों से जोड़ा जाए। नए मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने के लिए सहायक प्रोफेसरों को आकर्षक पैकेज पर बुलाया जा रहा है।

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