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NIOS DELEd : संसद में गूंजा डीएलएड का मुद्दा, डिग्री को मान्य बनाने की मांग

देशभर के 14 लाख डीएलएड ( NIOS DELEd ) डिग्रीधारी शिक्षकों की मान्यता का मामला बुधवार को राज्यसभा में उठा। राजद के मनोज झा ने इस मुद्दे को उठाते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया कि...

Pankaj Vijay विशेष संवाददाता, नई दिल्लीWed, 20 Nov 2019 06:58 PM
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देशभर के 14 लाख डीएलएड ( NIOS DELEd ) डिग्रीधारी शिक्षकों की मान्यता का मामला बुधवार को राज्यसभा में उठा। राजद के मनोज झा ने इस मुद्दे को उठाते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय से अनुरोध किया कि इन शिक्षकों की डिग्री को मान्य बनाया जाए। उन्होंने कहा कि यह 14 लाख लोगों का नहीं बल्कि परिवारों का मामला है। शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए झा ने कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान सेवा में तैनात इन शिक्षकों को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी संस्थान (एनआईओएस) के जरिये डीएलएड का कोर्स कराया गया। लेकिन अब इनमें से जो शिक्षक अन्य जगह आवेदन कर रहे हैं, उन्हें कहा जा रहा है कि यह डिग्री मान्य नहीं है। यह सिर्फ सेवारत शिक्षकों के लिए है। जबकि जब इसका विज्ञापन निकला उसमें इस बात का कोई जिक्र नहीं था। उन्हें कहा जा रहा है कि अब उनका नई जगह नियोजन नहीं हो सकता।

झा ने कहा कि यह कोर्स करने वाले देश भर में 14 लाख शिक्षक हैं जिनमें से अकेले चार लाख बिहार में है। यह इतने परिवारों से जुड़ा मामला भी है। इसलिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय इस मामले को फिर से देखे, यदि कोई त्रुटि रह गई है तो उसे दूर करे। यदि ब्रिज कोर्स की जरूरत है, तो उसे कराया जाए लेकिन इन आंदोलनरत शिक्षकों को राहत प्रदान की जाए। मंत्रालय को इस मामले में तुरंत कदम उठाना चाहिए।

कैबिनेट में उठ चुका है डीएलएड का मुद्दा
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की ओर से आयोजित विशेष डीएलएड को बतौर शिक्षक नियुक्ति के लिए मान्यता न देने का मामला केंद्रीय कैबिनेट में भी उठ चुका है। केंद्रीय कैबिनेट में प्रधानमंत्री ने इस मामले पर चिंता जताई थी और मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक को इस मामले में जल्द से जल्द फैसला लेने का निर्देश दिया था।

मालूम हो कि 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को उन लाखों शिक्षकों के लिए आयोजित किया गया था जो अप्रशिक्षित थे और शिक्षा के अधिकार कानून के चलते उनकी नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा था। एनआईओएस ने करीब 13-14 लाख शिक्षकों को यह कोर्स कराया था। इसके लिए संसद में कानून पारित कर विशेष रूप से मंजूरी ली गई थी। हालांकि, यह कोर्स करने के बाद जब बिहार के निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों ने सरकारी भर्ती के लिए आवेदन किया तो बिहार सरकार ने एनसीटीई से इस बारे में राय मांगी कि क्या ये शिक्षक भर्ती के लिए योग्य हैं? इसके जवाब में एनसीटीई ने 18 महीने के डीएलएड कार्यक्रम को अमान्य करार दे दिया। एनसीटीई के इस फैसले से इन 13 लाख शिक्षकों पर तलवार लटक गई है। 

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