NEET , JEE Main Coaching : क्या डमी स्कूलों पर लगेगा ताला, जानें क्या बोले शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान
NEET JEE Main Coaching: डमी स्कूल आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि अब समय आ गया है कि डमी स्कूलों के मुद्दे पर गंभीर चर्चा की जाए। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। हालांकि, ऐसे विद्यार्थियों की संख्या कुल विद्यार्थियों की संख्या की तुलना में बहुत अधिक नहीं है पर इस पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए। नीट और जेईई की तैयारी करने वाले कई उम्मीदवार अपने गृह राज्यों के स्कूलों में दाखिला लेते हैं और कोचिंग कक्षाओं के लिए कोटा जाते हैं। ज्यादातर समय वे स्कूल नहीं जाते हैं और सीधे बोर्ड परीक्षा में शामिल होते हैं। डमी स्कूलों के मुद्दे को कई विशेषज्ञों ने उठाया है, जिनका मानना है कि स्कूल नहीं जाने से छात्रों के व्यक्तिगत विकास में बाधा आती है और वे अक्सर अलग-थलग और तनावग्रस्त महसूस करते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने न्यूज एजेंसी भाषा से कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है कि विद्यार्थियों को कोचिंग की आवश्यकता न पड़े। यह पूछे जाने पर कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (सीएबीई) की पिछले तीन वर्षों में बैठक क्यों नहीं हुई, प्रधान ने कहा कि सीएबीई का पुनर्गठन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ''सीएबीई का पुराना संस्करण बहुत व्यापक था... आज की शिक्षा प्रणाली की मांगें अलग हैं। ऐसे समय में जब हम नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के साथ महत्वपूर्ण बदलाव कर रहे हैं, तो सीएबीई को भी नया रूप देने की जरूरत है। अंतत: सीएबीई इस बात की समीक्षा करेगा कि अब क्या पेश किया जा रहा है, चाहे वह नया पाठ्यक्रम हो, नया क्रेडिट ढांचा हो, संबद्धता का विषय हो या कोई अन्य सुधार हो।''
दिल्ली हाईकोर्ट ने भी डमी स्कूलों पर उठाया था सवाल
कुछ दिन पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि डमी स्कूलों की तादाद में तेजी से हो रही वृद्धि उन छात्रों के करियर पर बुरा असर डाल रही है जो वास्तव में स्थानीय शिक्षा मानदंड को पूरा करते हैं। डमी स्कूलों में इजाफे और इस व्यवस्था के चलते अयोग्य अभ्यर्थियों को दिल्ली स्टेट कोटे (डीएसक्यू) के तहत सीटें मिल रही हैं। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में नोटिस जारी किया था और डमी स्कूल की संख्या में बढ़ोतरी के खिलाफ दायर एक याचिका पर दिल्ली सरकार, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय (जीजीएसआईपीयू) से जवाब मांगा था। अदालत ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि 29 नवंबर तय की थी। उच्च न्यायालय दिल्ली स्टेट कोटा के तहत एमबीबीएस या बीडीएस सीटें आवंटित करने के लिए डीयू और जीजीएसआईपीयू द्वारा लागू पात्रता मानदंड को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था। राजीव अग्रवाल द्वारा दायर जनहित याचिका में दावा किया गया है कि डमी स्कूल वाला कॉन्सेप्ट छात्रों को यह दिखाने के लिए एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म देता है कि वे 10वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली आ गए हैं जिसका एकमात्र उद्देश्य किसी तरह दिल्ली स्टेट कोटा सीटों का लाभ उठाना है, जबकि इन सीटों को दिल्ली के वास्तविक निवासियों के बीच आवंटित किया जाना चाहिए।
क्या है डमी स्कूल
'डमी स्कूल' आम स्कूलों की तरह होते हैं बस यहां ऐसे छात्रों को नियमित कक्षाओं के लिये आने की जरूरत नहीं होती जो जेईई मेन, जेईई एडवांस, नीट परीक्षा आदि की तैयारी कर रहे होते हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है।
वर्ष में दो बार बोर्ड परीक्षा पर दोनों देना जरूरी नहीं
10वीं और 12वीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में साल में दो बार शामिल होना अनिवार्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि एक बार अवसर मिलने के डर से होने वाले तनाव को घटाने के लिए यह विकल्प पेश किया जा रहा है। प्रधान ने कहा कि हमारी कोशिश है कि 2024 से साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित की जाएं। जेईई की तरह ही साल में दो बार (10वीं और 12वीं कक्षाओं की बोर्ड) परीक्षा में शामिल होने का विकल्प होगा। वे अपना सर्वश्रेष्ठ स्कोर चुन सकते हैं लेकिन यह वैकल्पिक होगा, कोई बाध्यता नहीं होगी।
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