कोटा में फंसे NEET और JEE Main की तैयारी रहे छात्र, कोरोना वायरस लॉकडाउन के बीच हॉस्टल में रहकर यूं कर रहे पढ़ाई
कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच, अध्ययन के लिए कोटा में देशभर से आये करीब 60,000 छात्र-छात्राओं ने पीजी या हॉस्टल में रहते हुए पढाई को प्राथमिकता दी है। पूरे देशभर...
कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन के बीच, अध्ययन के लिए कोटा में देशभर से आये करीब 60,000 छात्र-छात्राओं ने पीजी या हॉस्टल में रहते हुए पढाई को प्राथमिकता दी है। पूरे देशभर से यहां करीब दो लाख छात्र जेईई मेन परीक्षा और नीट की तैयारियों के लिये आते है। लॉकडाउन के बाद कोटा में मौजूद करीब 60,000 छात्र—छात्राएं अपने घर पर नहीं जा सके और उन्हें हॉस्टल और पीजी में ही रहना पड़ रहा है।
कोटा के संभागीय आयुक्त लक्ष्मीनारायण सोनी ने 'भाषा' को बताया कि अभी तक कोटा में कोरोना वायरस का एक भी मरीज नहीं पाया गया है।
उन्होंने कहा ''अभी करीब 60,000 बच्चे हॉस्टल में है। उन सभी का पूरा ध्यान प्रशासन की ओर से रखा जा रहा है। हेल्पलाइ्रन पर जो भी नंबर आता है उसका समाधान किया जाता है। प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के बाद कोटा में रह रहे छात्रों के लिये आठ हेल्पलाइन जारी की गई हैं। उन्हें छात्रावासों में ही रहने और किसी प्रकार की दिक्कत होने पर इन आठ हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करने को कहा गया है।
कोचिंग संस्थानों को ऑनलाइन मॉड्यूल तैयार को कहा गया
उन्होंने बताया कि छ़ात्रों को खाना, चिकित्सा, पुलिस सहायता, मकान मालिक द्वारा परेशान किये जाने पर कार्रवाई सहित सभी बातों पर ध्यान दिया जा रहा है। कोचिंग सस्थानों को ऑनलाईन मॉड्यूल बनाने के लिये कहा गया है ताकि छात्र हॉस्टल में या घर में ही पढ़ाई कर सकें।
सोनी ने कहा ''हेल्पलाइन पर रोज करीब औसतन 250 इनक्वारी आती है। छात्रों के माता—पिता अगर आते हैं तो हम उन्हें समझाते हैं। कलेक्टर की ओर से आडियो वीडियो जारी किया गया है।
एलन नामक कोचिंग संस्था के निदेशक नवीन माहेश्वरी ने 'भाषा' को बताया कि लॉकडाउन के बाद करीब 40,000 बच्चे कोटा में ही रहकर अपनी पढाई कर रहे है। उन्होंने कहा कि आमतौर पर दिसम्बर में कोर्स की समाप्ति पर बच्चे घर चले जाते हैं और मार्च—अप्रैल से नये सेशन में आते है। कई बच्चे अप्रेल के बाद तक रूक कर पढ़ाई करते हैं। कुछ बच्चे 12वीं कक्षा को छोड़ कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो बोर्ड की परीक्षा दे रहे थे वो लॉकडाउन के बाद नहीं जा पाये।
उन्होंने कहा कि कोटा में अभी तक कोरोना वायरस का एक भी मामला नहीं पाया गया है।
माहेश्वरी ने बताया कि एलन संस्था में 3—4 हजार बच्चों का खाना पहुंचाने के लिये तीन चार जगहों पर खाना तैयार किया जा रहा है।
मेस बंद
उन्होंने कहा कि पीजी वाले बच्चों को कुछ दिक्कत है क्योंकि आसपास की मेस बंद हो गई हैं। इसलिए उनके घरों में खाना पहुंचाया जा रहा है ताकि वे बाहर न निकलें। माहेश्वरी ने बताया कि छात्रों को तनाव मुक्त रखने के लिये अध्यापक दूरी बनाकर और वीडियो बनाकर उनसे काउंसलिंग कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कोटा में 90 प्रतिशत बच्चे अलग अलग कमरों में रहते है। 80 प्रतिशत से ज्यादा हॉस्टल और पीजी में सबके अपने अलग अलग कमरे हैं। हर हॉस्टल में पृथक रहने की सुविधा है। पूरी सावधानी बरती जा रही है।
बच्चों के लिये करीब 10,000 मास्क
माहेश्वरी ने कहा 'सभी बच्चों को अध्ययन सामग्री ऑनलाइन दे दी गई है। 80 प्रतिशत बच्चों के पास ऑनलाईन पढाई की सुविधा है। पूरे कोटा में कुन्हाडी, बारां रोड, तलवंडी, जवाहरनगर ओर इंद्रा विहार क्षेत्र मे रह रहे सभी छात्रों को खाने का टिफिन पहुंचाया जा रहा है। बच्चों के लिये करीब 10,000 मास्क बनवाये गए हैं। छात्रों को दो हजार मास्क उपलब्ध करवा दिये गये हैं।'
कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रही कोलकाता के टापशिया की साबिया जाहिद ने बताया ''हॉस्टल में अभी 35 लडकियां हैं। हम पढ़ाई कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद जिला कलेक्टर ओम कसेरा ने एक वीडियो डाल कर हमें सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने किसी भी प्रकार की समस्या के निदान के लिये एक नंबर भी शेयर किया।'
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