राष्ट्रीय शिक्षा नीति : ग्रेजुएशन में हिंदी और अंग्रेजी की पढ़ाई अब अनिवार्य, 20 क्रेडिट का होगा प्रत्येक सेमेस्टर
रज्जू भय्या विश्वविद्यालय ने स्नातक में हिंदी और अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विश्वविद्यालय छात्रों को काबिल बनाने पर जोर देगा ताकि कामयाबी उनके कदम चूमे
प्रोफेसर राजेंद्र सिंह (रज्जू भय्या) राज्य विश्वविद्यालय ने स्नातक में हिंदी और अंग्रेजी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य कर दी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत विश्वविद्यालय छात्रों को काबिल बनाने पर जोर देगा ताकि कामयाबी उनके कदम चूमे। इसके लिए दो-दो क्रेडिट के चार मूल्य वर्धित पाठ्यक्रम अंडरस्टैंडिंग इंडिया, इनवायरनमेंटल स्टडीज, डिजिटल एंड टेक्नोलॉजिकल सॉल्यूशंस और ‘हेल्थ एवं वेलनेस’ शुरू किए जाएंगे। साथ ही संस्कृत विषय की अध्ययन समिति की ओर से तैयार किए गए दो पाठ्यक्रमों डिप्लोमा इन कर्मकांड और डिप्लोमा इन ज्योतिष’ को मंजूरी दी गई।
बुधवार को हुई राज्य विश्वविद्यालय की एकेडमिक काउंसिल की बैठक में कई अहम फैसले लिए गए। कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में सत्र 2024-25 से पांच वर्षीय इंटीग्रेटेड पाठ्यक्रम एमटेक (एआई और डेटा सांइस) शुरू करने के लिए संबंधित पाठ्यक्रम के अध्यादेश को मंजूरी दी गई। विज्ञान संकाय के तहत भौतिक विज्ञान, गणित, रसायन विज्ञान, जंतु विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, कंप्यूटर विज्ञान एवं बायोटेक्नोलॉजी आदि में पांच वर्षीय बीएससी एवं एमएससी पाठ्यक्रम के संचालन की अनुमति प्रदान की गई। संस्कृत विभाग में सत्र 2024-25 से एक वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के संचालन की अनुमति दी गई। तीन वर्षीय स्नातक, चार वर्षीय स्नातक, दो वर्षीय परास्नातक एवं एक वर्षीय परास्नातक में प्रवेश और परीक्षा के लिए तैयार किए गए अध्यादेश का भी अनुमोदन किया। विद्यार्थियों के लिए तीन-तीन क्रेडिट के ‘अनिवार्य संवर्धन पाठ्यक्रम’ को मंजूरी दी गई है, जिनमें ‘हिंदी भाषा कौशल एवं संचार’ और ‘अंग्रेजी भाषा कौशल एवं संचार’ शामिल हैं।
विश्वविद्यालय परिसर एवं संघटक महाविद्यालयों में पीएचडी प्रोग्राम में प्रवेश यूजीसी नेट, आईसीएसआर नेट में शामिल परीक्षार्थियों के स्कोर कार्ड के साथ आवेदित अभ्यर्थियों की मेरिट पर करने को मंजूरी दी गई।
अब 20 क्रेडिट का होगा प्रत्येक सेमेस्टर
एकेडमिक काउंसिल में पांच वर्षीय यानी 10 सेमेस्टर का पाठ्यक्रम 200 क्रेडिट का कर दिया गया है। हर सेमेस्टर 20 क्रेडिट का होगा जबकि पहले हर सेमेस्टर 24 क्रेडिट का होता था। राज्य विवि परिसर और संबद्ध महाविद्यालयों में वर्तमान में पंजीकृत बीए, बीकॉम एवं बीएससी के जो विद्यार्थी तीन वर्ष का पाठ्यक्रम पूरा कर चुके हैं, वे सभी चतुर्थ वर्ष में प्रमोट हो सकेंगे। ऐसे विद्यार्थी चार वर्ष का स्नातक करने के बाद एक वर्ष का परास्नातक पाठ्यक्रम भी कर सकेंगे। इसके तहत 40 क्रेडिट पूरा करने पर प्रमाणपत्र, 80 क्रेडिट पूरा करने पर डिप्लोमा, 120 क्रेडिट पर डिग्री, 160 क्रेडिट पर चार वर्षीय स्नातक डिग्री, 200 क्रेडिट पर परास्नातक की उपाधि मिलेगी।
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