राष्ट्रीय शिक्षा नीति : डिस्टेंस छात्र अब रेगुलर कोर्स में ले सकेंगे एडमिशन, UGC ने विश्वविद्यालयों का 70 फीस सिलेबस किया समान
अब उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाला दूरस्थ शिक्षा का कोई शिक्षार्थी अगर चाहे तो आगे की पढ़ाई किसी भी विश्वविद्यालय से नियमित विद्यार्थी के तौर पर कर सकेगा।
भूमंडलीकरण के मौजूदा दौर में एक ओर जहां भौतिक और भौगोलिक दूरियां कमोवेश समाप्त हो गईं हैं वहीं राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने दूरस्थ और नियमित शिक्षा के अंतर को काफी हद तक कम कर दिया है। अब उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में प्रवेश लेने वाला दूरस्थ शिक्षा का कोई शिक्षार्थी अगर चाहे तो आगे की पढ़ाई किसी भी विश्वविद्यालय से नियमित विद्यार्थी के तौर पर कर सकेगा। इसी तरह से नियमित पढ़ाई कर रहा कोई विद्यार्थी आगे चलकर दूरस्थ शिक्षा को अपना सकता है। दोनों ही स्थिति में दाखिला लेने पर छात्र का क्रेडिट संबंधित संस्थान को स्थानांतरित हो जाएगा।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के तहत सभी विश्वविद्यालयों के 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम को कॉमन कर दिया है। 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम लोकल पृष्ठभूमि पर संबंधित संस्थान की ओर तैयार किए गए हैं। मुक्त विश्वविद्यालय ने एनईपी-2020 के तहत पाठ्यक्रम डिजाइन किया है। 40 क्रेडिट प्रति वर्ष के हिसाब से तीन साल का स्नातक कोर्स 120 क्रेडिट का तैयार किया गया है। एक साल में 40 क्रेडिट पाने वालों को ही प्रमाण पत्र दिया जाएगा। एक साल की पढ़ाई पूरी कर 40 क्रेडिट हासिल करने वाला दूरस्थ का कोई शिक्षार्थी किसी कारण से नियमित या नियमित शिक्षा ले रहा कोई विद्यार्थी किसी कारणवश दूरस्थ शिक्षा में जाना चाहता है तो वह जा सकेगा। उसके 40 क्रेडिट संबंधित संस्थान को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे। शेष दो साल की पढ़ाई नियमित या दूरस्थ संस्थान से पूरी कर 80 और क्रेडिट हासिल करने के बाद उसे स्नातक की डिग्री मिल जाएगी। छात्र अंतिम साल यानी तीसरे वर्ष की पढ़ाई जिस संस्थान (दूरस्थ या नियमित) से करेगा डिग्री उसी संस्थान की मिलेगी पर पूर्व के संस्थान से हासिल क्रेडिट का उल्लेख मार्कशीट में रहेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत दूरस्थ शिक्षा से पढ़ाई करने वाले छात्र अब नियमित संस्थान से पढ़ाई कर सकेंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसका प्रावधान है। इसी के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं।- प्रो. सत्यकाम, कुलपति, मुक्त विवि।
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