नालंदा खुला विश्वविद्यालय को नैक से मान्यता पर दाखिला नहीं
NAAC-नालंदा खुला विश्वविद्यालय को नैक से मान्यता मिले हुए एक माह से अधिक हो चुका है, लेकिन अबतक नामांकन की अनुमति नहीं मिली है। विवि को फिर से यूजीसी (डेक) में पंजीयन कराने के लिए आवेदन करना होगा।
नालंदा खुला विश्वविद्यालय को नैक से मान्यता मिले हुए एक माह से अधिक हो चुका है, लेकिन अबतक नामांकन की अनुमति नहीं मिली है। विवि को फिर से यूजीसी (डेक) में पंजीयन कराने के लिए आवेदन करना होगा।
विश्वविद्यालय की ओर से पहले ही पंजीयन के लिए नौ लाख रुपये देकर आवेदन कर दिया गया है। इसके बाद अब तक अनुमति नहीं दी गई है। वहीं विश्वविद्यालय की ओर से यूजीसी को कई पत्र भेजा गया है। लेकिन इसके बाद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका है। ऐसी स्थिति में यूजीसी की वजह से बिहार के हजारों छात्र-छात्राएं जो नालंदा खुला विश्वविद्यालय में नामांकन लेना चाहते हैं। उन्हें परेशानी हो सकती है। एकबार फिर नामांकन में विलंब हो सकता है। इधर विश्वविद्यालय में पिछले वर्ष भी नामांकन नहीं हो सका था। पिछला सत्र शून्य सत्र हो गया था। वहीं राज्य के इकलौते नालंदा खुला विश्वविद्यालय को भी अब तक नए सत्र में नामांकन की मंजूरी नहीं मिल सकी है। इसकी वजह से नामांकन के लिए आवेदन की प्रक्रिया शुरू नहीं हो सका है।
बिहार के 50 हजार छात्र-छात्राओं को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से नामांकन लेने के लिए इंतजार करना होगा। वहीं एक तरह तरफ सत्र को नियमित करने का दबाव है। इधर कुलपति प्रो केसी सिन्हा ने बताया कि नैक से मान्यता मिलने के बाद यूजीसी की ओर से अब तक नामांकन के लिए पोर्टल नहीं खोला गया है। रजिस्ट्रेशन शुल्क भी नौ लाख रुपये जमा कर दिया गया है। नामांकन की प्रक्रिया शुरू कराने के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। लेकिन अबतक यूजीसी ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है।
इग्नू में नामांकन में हुआ इजाफा
बिहार के विश्वविद्यालयों में दूरस्थ शिक्षा से पढ़ाई बंद होने का सबसे ज्यादा फायदा इग्नू को हुआ है। इग्नू में हाल के वर्षों में नामांकन में काफी इजाफा हुआ है। इग्नू के निदेशक अभिलाष नायक ने बताया कि जनवरी और जुलाई सत्र में नामांकन होता है। दोनों सत्रों को मिलाकर 87 हजार से अधिक नामांकन हो चुका है।
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