एमपी में महीनों बाद खुले स्कूल, आए सिर्फ 5 से 10 फीसदी छात्र
कोरोना महामारी की भयावहता के चलते लगभग 9 महीने से बंद भोपाल के स्कूल शुक्रवार से खुल गए हालांकि अभी सिर्फ 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए स्कूल खुले है। उपस्थिति की बात करें तो कोरोना के डर और...
कोरोना महामारी की भयावहता के चलते लगभग 9 महीने से बंद भोपाल के स्कूल शुक्रवार से खुल गए हालांकि अभी सिर्फ 10वीं और 12वीं की कक्षाओं के लिए स्कूल खुले है। उपस्थिति की बात करें तो कोरोना के डर और असमंजस के कारण उपस्थिति औसतन महज 8 फीसदी ही रही। शहर में सभी सरकारी स्कूल खुले, लेकिन यहां बच्चों की उपस्थिति सिर्फ 5 फीसदी ही रही, वहीं ज्यादातर प्राइवेट स्कूल बंद रहे, लेकिन जो खुले उनमें 10 प्रतिशत स्टूडेंट उपस्थित रहे।
हालत यह रही कि शिवाजी नगर स्थित सुभाष एक्सीलेंस स्कूल में 10वीं की एक क्लास में सिर्फ 3 बच्चे ही दिखाई दिए, जबकि इसी क्लास के 22 बच्चे घर पर ऑनलाइन क्लास अटेंड कर रहे थे। कुछ ऐसा ही हाल सरोजिनी नायडू गर्ल्स हायर सेकंडरी का था। यहां पीटीएम में 10वीं के एक सेक्शन में 5 पेरेंट्स और 10 विद्यार्थी ही पहुंचे थे।
प्रधानाचार्यों ने बताया कि इस समय ‘रुक जाना नहीं’ योजना के तहत ओपन बोर्ड की परीक्षा चल रही हैं, इसलिए भी कम बच्चे आए।
कुछ पेरेंट्स खुश
मॉडल स्कूल में 10 बच्चे पहुंचे। एक क्लास में 2-3 बच्चों से ज्यादा नहीं दिखे। 12वीं कक्षा के विद्यार्थी खेमराज के पिता मन्नुलाल कोरी उन्हें स्कूल लेकर आए थे। कहते हैं, घर से पढ़ाई तो हो रही थी, लेकिन स्कूल जैसा माहौल घर पर नहीं मिलता, इसीलिए मैं तो खुश हूं कि आखिर बच्चों का स्कूल तो खुला।
स्कूलों में उपस्थिति कम होने की सबसे खास वजह माता-पिता की कोरोना से बचाव के प्रति चिंता है। स्कूलों में सुरक्षा के क्या इंतजाम हैं? मानीटरिंग कैसे होगी? इन सबको लेकर पेरेंट्स चिंतित दिखे.
टीटी नगर स्थित माडल और कमला नेहरू हायर सेकंडरी स्कूल में कुछ पैरेंट्स ने वहां मौजूद टीचर से यह सवाल भी कर लिया कि हाथ तो सैनिटाइज कर दोगे, लेकिन क्लास में क्या व्यवस्था है। इस पर टीचर चुप रहीं तो छात्रा की मां ने लिखकर दे दिया कि वे बेटी को स्कूल भेजने तैयार नहीं।
भेल इलाके के कार्मल कॉन्वेंट, सेंट जेवियर जैसे स्कूल रहे बंद
शहर के भेल इलाके के मिशनरी स्कूल में ताले पड़े रहे। कार्मल कॉन्वेंट, सेंट जेवियर और भेल शिक्षा मंडल का जवाहर हायर सेकंडरी स्कूल नहीं खुले।
महारानी लक्ष्मी बाई कन्या उमावि में 105 से अधिक छात्राएं पहुंचीं। 9वीं और 11वीं की सप्ताह में दो दिन क्लास लग रही हैं।
भेल के शासकीय महात्मा गांधी स्कूल में 117 विद्यार्थी पहुंचे। ‘रुक जाना नहीं’ परीक्षा में शामिल एक छात्र को खांसी आई तो हाल से बाहर गैलरी में बैठा कर पेपर दिलाया गया।
ऐसे रहे इंतजाम
आनंद विहार स्कूल के एंट्री गेट से लेकर क्लासरूम तक टीचर्स और स्कूल स्टाफ का दल अपने-अपने मोर्चे पर डटा था। करीब 6 टीचर्स स्टूडेंट्स का इंतजार कर रहे थे, एक बच्चों का नाम नोट करने के लिए, एक सहमति पत्र के लिए, एक हैंड सैनिटाइज करने के लिए और दो-तीन सिर्फ इसीलिए कि बच्चे डिस्टेंसिंग न तोड़ें।
ओपन बोर्ड परीक्षा के कारण कम पहुंचे विद्यार्थी
भोपाल के जिला शिक्षा अधिकारी नितिन सक्सेना ने कहा जिले के शहरी व ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में पहले दिन 25 फीसदी विद्यार्थी पहुंचे। परीक्षा भी चल रही है, इसलिए असर हुआ। एसओपी के लिहाज से कोविड-19 को लेकर सभी इंतजाम किए गए हैं। सोमवार से संख्या बढ़ जाएगी।
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