खो चुकी है आंखों की 75 फीसदी रोशनी, लेकिन टॉपर लिस्ट में जगह बनाकर रचा इतिहास
वह अपनी आंखों की 75 फीसदी रोशनी खो चुकी है। पिता का कारोबार ठप हो चुका है। आर्थिक तंगी के चलते उसके दो भाइयों ने भी अपनी पढ़ाई छोड़ दी। लेकिन ये तमाम मुसीबतें उसके जज्बे और जुनून को छू तक न सकीं। बात...
वह अपनी आंखों की 75 फीसदी रोशनी खो चुकी है। पिता का कारोबार ठप हो चुका है। आर्थिक तंगी के चलते उसके दो भाइयों ने भी अपनी पढ़ाई छोड़ दी। लेकिन ये तमाम मुसीबतें उसके जज्बे और जुनून को छू तक न सकीं। बात हो रही है मध्य प्रदेश के सतना जिले की बेटी कीर्ति कुशवाहा की जिसने एमपी बोर्ड 12वीं कॉमर्स परीक्षा के टॉपरों की सूची में जगह बनाकर इतिहास रच दिया है। सोमवार को जारी किए गए परीक्षा परिणाम में कीर्ति ने 500 में से 472 अंक (94.4 फीसदी) हासिल कर पूरे प्रदेश में 12वीं कॉमर्स स्ट्रीम में 8वां स्थान पाया है।
कीर्ति के प्रियंवदा बिरला हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि 17 वर्षीय कीर्ति ने तमाम चुनौतियों के बावजूद परीक्षा में शानदार प्रदर्शन किया है। उसकी सफलता पूरे स्कूल के लिए एक बड़ी मिसाल बन गई है।
कीर्ति की मां रश्मि कुशवाहा ने कहा, 'कीर्ति की आंखों की रोशनी जन्म से ही 50 फीसदी खराब थी। इसके बाद समय के साथ साथ उसकी 25 फीसदी आंखों की रोशनी और चली गई। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखी। दो साल पहले इसके पिता कवि शंकर कुशवाहा ने एक दुर्घटना में अपना छोटा सा टैंट हाउस का कारोबार भी खो दिया।'
रश्मि ने कहा, 'आर्थिक समस्याओं के चलते घर का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया था। पढ़ाई पर होने वाले खर्च को वहन करना हमारे लिए नामुमकिन था। तब इसके दोनों भाइयों ने अपनी पढ़ाई छोड़ने का फैसला किया लेकिन कीर्ति ने अपनी पढ़ाई छ़ोड़ने से साफ इनकार कर दिया। इसके बाद कीर्ति ने पड़ोस के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर पैसे कमाए और अपनी पढ़ाई की फीस भरी। कीर्ति पढ़ाई में काफी अच्छी थी, इसलिए आसपास के लोग अपने अपने बच्चों को उसके पास भेजने के लिए राजी हो गए थे।'
रश्मि ने आगे कहा, 'कीर्ति का राह इससे भी ज्यादा मुश्किल थी। उसे डॉक्टर ने कहा था कि उसकी आंखों की रोशनी बहुत कमजोर है इसलिए वह रात के समय कम रोशनी में ना पढ़े। पिछले साल जुलाई में हमने बिजली का बिल नहीं भरा था, इसलिए विद्युत विभाग ने हमारे घर की बिजली काट दी थी। अभी हाल ही में बिजली कनेक्शन फिर से जोड़ा गया है लेकिन हम अच्छी और सुचारू बिजली व्यवस्था का खर्चा नहीं उठा सकते। लेकिन कीर्ति ने कभी भी और सुविधाओं और संसाधनों की मांग नहीं की। तमाम अड़चनों के बीच उसने अपनी स्कूल की पढ़ाई, ट्यूशन, सुबह छह से शाम छह बजे तक की पढ़ाई को जारी रखा। उसके जज्बे ने मुझे भी काम करके कुछ पैसे कमाने के लिए प्रेरित किया। मैंने भी घर पर सिलाई का काम शुरू कर दिया। मैं हर माह अब 1500 से 2000 रुपये कमाती हूं हालांकि घर चलाने के लिए यह काफी नहीं है।'
कीर्ति ने कहा, 'मेरी मां और शिक्षकों ने मेरा पूरा साथ दिया। मुझे अच्छे नंबरों की आशा थी लेकिन मेरिट लिस्ट में नाम आने की उम्मीद नहीं थी।'
स्कूल प्रिंसिपल एसके पांडे ने कहा कि कीर्ति काफी अच्छी स्टूडेंट रही है। उसकी उपलब्धि ने हमें गर्वान्वित महसूस कराया है।
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