होम्योपैथी डॉक्टर ने MBBS एडमिशन के लिए दिए 16 लाख रुपये, 1 माह बाद आ गई डिग्री, सच जान पैरों तले खिसकी जमीन
एक होम्योपैथी डॉक्टर के साथ एमबीबीएस में एडमिशन दिलवाने के नाम पर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामना आया है। उन्होंने एमबीबीएस एडमिशन पाने के लिए 16.32 लाख रुपये दिए और फर्जी डिग्री घर आ गई।
गुजरात में एक होम्योपैथी डॉक्टर के साथ एमबीबीएस में एडमिशन दिलवाने के नाम पर ठगी का चौंकाने वाला मामला सामना आया है। पांच साल पहले मेहसाणा के रहने वाले सुरेश पटेल ने यूपी की एक यूनिवर्सिटी में एमबीबीएस एडमिशन पाने के लिए 16.32 लाख रुपये दिए और पूरी राशि का भुगतान करने के बाद बिना कोई क्लास किए उन्हें एक माह के भीतर डिग्री और सर्टिफिकेट्स मिल गए। वर्ष 2019 में जब उन्हें यह पता चला कि उन्हें मिली एमबीबीएस की डिग्री फर्जी है, तो उन्होंने शिकायत के लिए पुलिस का रुख किया। लेकिन इस मामले में एफआईआर पांच साल बाद 14 जून 2024 को दर्ज की गई।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक, जुलाई 2018 में 41 वर्षीय सुरेश पटेल इंटरनेट पर मेडिकल लाइन में उच्च शिक्षा के बारे में इंटरनेट पर सर्च कर रहे थे। तब उन्हें ऑल इंडिया अल्टरनेटिव मेडिकल काउंसिल नाम की एक फोरम का पता चला जो एमबीबीएस की डिग्री दिलवाने का दावा कर रही थी। वेबसाइट पर मिली डिटेल्स लेकर उन्होंने डॉ. प्रेम कुमार राजपूत नाम के शख्स से फोन पर संपर्क किया। पटेल ने टीओआई को बताया, "राजपूत ने मुझे आश्वासन दिया कि मुझे मेरी कक्षा 12वीं के अंकों के आधार पर एमबीबीएस की डिग्री मिल जाएगी। मुझे संदेह था... लेकिन उन्होंने मुझे आश्वासन दिया कि सब कुछ कानूनी होगा।" राजपूत ने पटेल से यह भी कहा कि उन्हें इंटर्नशिप करनी होगी, परीक्षा भी देनी होगी। पांच साल में डिग्री मिल जाएगी। पटेल ने आगे बढ़ने का फैसला किया और 50,000 रुपये का भुगतान किया, जिसके बाद उसे झांसी में बुंदेलखंड विश्वविद्यालय से प्रवेश पत्र मिला।
पटेल ने कहा, "राजपूत ने मुझसे करीब 25 बार बात की। उन्होंने मुझे बताया कि तीन अन्य लोग - डॉ. सौकेत खान, डॉ. आनंद कुमार और अरुण कुमार - मुझे एमबीबीएस कोर्स पूरा करने में मदद करेंगे। उनके निर्देश पर, मैंने 10 जुलाई, 2018 से 23 फरवरी, 2019 के बीच 16.32 लाख रुपये का भुगतान किया और अपनी क्लास शुरू होने का इंतजार करने लगा।"
हालांकि, क्लासेज कभी शुरू नहीं हुईं। उन्होंने कहा, "मार्च 2019 में, मुझे कुरियर से एक पैकेज मिला जिसमें एमबीबीएस की मार्कशीट, एक डिग्री सर्टिफिकेट, इंटर्नशिप ट्रेनिंग सर्टिफिकेट और मेरे नाम का एक रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट था, जिस पर मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) की मुहर लगी हुई थी।" पटेल ने एमसीआई से संपर्क किया और उसे पता चला कि उनके साथ धोखा हुआ है। डिग्री फर्जी थी। उन्होंने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, जिसकी जांच बाद में 2019 में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को सौंप दी गई।
उन्होंने कहा, '2019 में मैं मेहसाणा पुलिस टीम के साथ दिल्ली गया, जहां कथित तौर पर डॉ. आनंद कुमार रहते थे और संगठन चलाते थे, लेकिन उनके पते पर कोई नहीं था। बाद में हम दिल्ली में एक निजी बैंक की शाखा में गए और इस बात के पर्याप्त सबूत जुटाए कि आरोपियों ने कई अन्य लोगों को भी ठगा है।," इसके बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई। आरोपियों का कभी पता नहीं चला। इस बीच पटेल ने और सबूत जुटाए और दिसंबर 2023 में मेहसाणा एसपी के कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई।
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