Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: जानें लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी 10 रोचक बातें
Lal Bahadur Shastri Jayanti: एक रेल दुर्घटना के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने हादसे की जिम्मेदारी लेते हुए खुद ही रेल मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। बताया जाता है कि उन्होंने कर्ज लेकर कार खरीदी थी।
Lal Bahadur Shastri Jayanti 2023: 2 अक्टूबर के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी के साथ-साथ देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती होती है। आजादी की लड़ाई में कई बार जेल गए लाल बहादुर शास्त्री ने नए भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनका पूरा जीवन ही देश की सेवा में बीता। सादगी, शालीनता और ईमानदार व्यक्तित्व के धनी शास्त्री जी ने देश की सुरक्षा और संप्रभुता से कभी भी समझौता नहीं किया और उनका ये दृढ़ निश्चयी व्यक्तित्व , 1965 के युद्ध में देखने को मिला, जब पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण कर दिया तो शांत स्वभाव के शास्त्री जी ने न केवल जय जवान जय किसान का नारा दिया बल्कि सेना को माकूल जवाब देने की खुली छूट तक दे डाली और हमारी सेना ने पाकिस्तानी सेना के बुरी तरह परास्त किया। अनाज के मामले में देश को आत्म निर्भर बनाने और हरित क्रांति लाने में भी शास्त्री जी का बेहद अहम योगदान है। शास्त्री जी एक कुशल नेतृत्व वाले गांधीवादी नेता थे और सादगी भरी जीवन व्यतीत करते थे।
आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें...
1. परिवार नन्हे कहकर पुकारता था
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। उनकी माता का नाम राम दुलारी था और पिता का नाम मुंशी प्रसाद श्रीवास्तव था। शास्त्री जी की पत्नी का नाम ललिता देवी था। काशी विद्या पीठ से उन्होंने स्नातक की पढ़ाई की थी। सबसे छोटा होने के चलते उन्हें उनका परिवार नन्हे कहकर पुकारता था।
2. नदी पारकर स्कूल जाते थे
लाल बहादुर शास्त्री ने विषम परिस्थितियों में शिक्षा हासिल की। कहा जाता है कि वह नदी तैरकर रोज स्कूल जाया करते थे। क्योंकि जब बहुत कम गांवों में ही स्कूल होते थे। 16 साल की उम्र में उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और गांधी जी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए। शास्त्री जी का विवाह 1928 में ललिता शास्त्री के साथ हुआ। जिनसे दो बेटियां और चार बेटे हुए।
3. 16 साल की उम्र में जेल गए
लाल बहादुर शास्त्री ने 1921 के असहयोग आंदोलन से लेकर 1942 तक अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। शास्त्री जी 16 साल की उम्र में गांधी जी के साथ देशवासियों के लिए असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। असहयोग आंदोलन के तहत उन्हें जेल जाना पड़ा, लेकिन उस वक्त वो नाबालिग थे इसलिए उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद भी वह कई बार जेल गए।
4. पत्नी के खिलाफ दे दिया था धरना
बताया जाता है कि स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान वो जेल में थे, तो उनकी पत्नी किसी तरह से छुपाकर उनके लिए दो आम जेल में ले गईं। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए अपनी पत्नी के खिलाफ धरना दे दिया था। शास्त्री जी का मानना था कि जेल में कैदी अगर बाहर की चीज खाते हैं तो वो कानून की अवहेलना करना है।
5- जय जवान,जय किसान का नारा
नेहरू जी के निधान के बाद 1964 में शास्त्री जी के देश के दूसरे प्रधानमंत्री बनने के बाद 1965 में भारत पाकिस्तान का युद्ध हुआ जिसमें शास्त्री जी ने विषम परिस्थितियों में देश को संभाले रखा। सेना के जवानों और किसानों के महत्व बताने के लिए उन्होंने 'जय जवान जय किसान' का नारा भी दिया।
6- रेल मंत्री पद से दे दिया था इस्तीफा
लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री बनने से पहले रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री रहे। एक रेल दुर्घटना, जिसमें कई लोग मारे गए थे, के लिए स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था। देश एवं संसद ने उनके इस अभूतपूर्व पहल को काफी सराहा था।
7- तनख्वाह लेना बंद कर दिया था
पाकिस्तान से युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई। देश भुखमरी की समस्या से गुजरने लगा था। उस संकट के काल में लाल बहादुर शास्त्री ने अपनी तनख्वाह लेना बंद कर दिया था। देश के लोगों से लाल बहादुर शास्त्री ने अपील की थी कि वो हफ्ते में एक दिन एक वक्त व्रत रखें।
8. कर्ज लेकर ली कार
शास्त्री जी के बड़े बेटे अनिल शास्त्री ने एक बार एक इंटरव्यू में बताया था, 'मैं अपने स्कूल के आखिरी साल में था जब बाबूजी प्रधानमंत्री बने। इसके बाद ही हमने कार ली थी, वो भी कर्ज लेकर।'
9. हरित और श्वेत क्रांति में योगदान
लाल बहादुर शास्त्री ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय अभियान श्वेत क्रांति को बढ़ावा दिया। उन्होंने भारत में खाद्य उत्पादन बढ़ाने के लिए हरित क्रांति को भी बढ़ावा दिया। श्वेत क्रांति और हरित क्रांति में उनका भी योगदान था। अपनी समर्पित सेवा के दौरान लाल बहादुर शास्त्री अपनी उदात्त निष्ठा एवं क्षमता के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो गए। विनम्र, दृढ, सहिष्णु एवं जबर्दस्त आंतरिक शक्ति वाले शास्त्री जी लोगों के बीच ऐसे व्यक्ति बनकर उभरे जिन्होंने लोगों की भावनाओं को समझा। वे दूरदर्शी थे जो देश को प्रगति के मार्ग पर लेकर आये।
10. कई लोग जताते हैं मौत पर संदेह
11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली थी। 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार के महज 12 घंटे बाद (11 जनवरी) लाल बहादुर शास्त्री की अचानक मृत्यु हो गई। उनकी मौत पर बहुत से लोग आज भी संदेह जताते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।