Hindi Newsकरियर न्यूज़Lal Bahadur Shastri Jayanti speech: How Lal Bahadur Shastri handled country in difficult times bhashan

Lal Bahadur Shastri Jayanti speech : कैसे मुश्किल दौर में लाल बहादुर शास्त्री ने संभाला देश को, पढ़ें उनके जीवन से जुड़ी बातें

उन्होंने इस मुश्किल दौर में देश का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। तब लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश के लोगों से दो महत्वपूर्ण आह्वान किये थे। एक तो हर खाली जमीन पर अनाज और सब्जियां बोई जाएं और दूसरा यह कि ह

Anuradha Pandey लाइव हिंदुस्तान टीम, नई दिल्लीMon, 2 Oct 2023 08:08 AM
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मुगलसराय उत्तर प्रदेश के शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और राम दुलारी के घऱ में लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म हुआ था। उनका नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था लेकिन उनकी पढ़ाई लिखाई के कारण उन्हें शास्त्री के उपाधि दी गई। उन्होंने न सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया बल्कि उनकी प्रतिबद्धता के कारण उन्हें देश के बड़े नेताओं में शामिल किया जाता है। उनकी विजन और इंडिन नेशनल कांग्रेस में उनकी योगदान के लिए उन्हें देश का दूसरा प्रधानमंत्री 1964 में बनाया गया। उन्हें जीवनभर देश सेवा की। 

आपको बता दें कि शास्त्री जी ऐसे संकट के समय में प्रधानमंत्री बने, तब भारत खाने-पीने की चीजों के संकट से जूझ रहा था। दरअसल उस समय एक तरफ पाकिस्तान के साथ लड़ाई झिड़ी हुई थी, वहीं देश में सूखे की भी स्थिति बनी हुई थी। लेकिन ऐसे मुश्किल दौर में शास्त्री जी ने बतौर पीएम मजूबूती से कमांड संभाली। उन्होंने देश के लोगों से दो महत्वपूर्ण आह्वान किये थे। एक तो हर खाली जमीन पर अनाज और सब्जियां बोई जाएं और दूसरा यह कि हर कोई सप्ताह में एक दिन उपवास रखे।

लाल बहादुरशास्त्री को एजुकेशन सिस्टम को सुधारने और और महिला सशक्तिकरण के लिए जाना जाता है। उन्होंने समाज में जरूरी बदलावों को करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। यही नहीं इसके अलावा देश के विकास में भी उनका योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। आज के दिन हमें उनके विचारों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लेना चाहिए।

देश में हरित क्रांति और दुग्ध क्रांति के पीछे शास्त्री जी बड़ा योगदान था। देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने और किसानों के शोषण को रोकने के लिए उन्होंने जय जवान जय किसान का नारा दिया। अनाजों की कीमतों में कटौती, भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में सेना को खुली छूट देना, ताशकंद समझौता जैसे उनके महत्वपूर्ण कदम और गजब की नेतृत्व क्षमता आज भी याद किए जाते हैं। 1966 में ताशकंद में उनका निधन हो गया।


इसी के साथ मैं अपने भाषण का समापन करता हूं।
 
धन्यवाद।
जय हिन्द! जय जवान जय किसान

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