नौकरी का संकट: बिहार के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट अब भी सपना
बिहार के एनआईटी और आईआईटी में प्लेसमेंट के लिए कंपनियां आती हैं लेकिन अधिकतर इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों के लिए प्लेसमेंट अब भी एक सपना है। ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल नाम मात्र...
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बिहार के एनआईटी और आईआईटी में प्लेसमेंट के लिए कंपनियां आती हैं लेकिन अधिकतर इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्रों के लिए प्लेसमेंट अब भी एक सपना है। ज्यादातर इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल नाम मात्र का है। इस वजह से छात्रों को नौकरी के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है।
यह स्थिति कोई एक इंजीनियरिंग कॉलेज की नहीं बल्कि तीन को छोड़ कर सभी 15 इंजीनियरिंग कॉलेजों की हैं। एमआईटी मुजफ्फरपुर, भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज और नालंदा इंजीनियरिंग कॉलेज को छोड़ दें तो कहीं पर भी प्लेसमेंट की सुविधा नहीं है। कोई भी कंपनी इन इंजीनियरिंग कॉलेज में नहीं आती है। प्लेसमेंट सेल निष्क्रिय है। कंपनी को लाने का प्रयास भी नहीं होता है। प्लेसमेंट नहीं होने से अधिकतर इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र कॉलेज से निकलने के बाद गेट आदि की तैयारी करते हैं। क्योंकि प्राइवेट कंपनी में उन्हें इंटरव्यू देने का मौका नहीं मिल पाता है।
शौचालय, पीने का पानी, क्लास रूम आदि सुविधाओं की बात करें तो दरभंगा, छपरा, बख्तियारपुर और मधेपुरा आदि इंजीनियरिंग कॉलेजों में मूलभूत सुविधा की कमी है। शौचालय तो है लेकिन साफ-सफाई नहीं होती है। कई साल तक तो बेंच-डेस्क की भी कमी थी।
कई सालों से बन रहा है भवन
अब भी कई इंजीनियरिंग कॉलेज पुराने भवन में ही चल रहे हैं। बेगूसराय, दरभंगा, सीतामढ़ी और सहरसा आदि इंजीनियरिंग कॉलेजों के नये भवन बन रहे हैं। लेकिन भवन बनने की गति काफी धीमी है।
लैब में लटका हुआ है ताला, विद्यार्थी परेशान
मोतिहारी इंजीनियरिंग कॉलेज की बात करें तो लगभग पांच-छह साल पहले कॉलेज की कंप्यूटर लैब में आग लग गयी थी। आग लगने के बाद से ही लैब में ताला लटका हुआ है। इससे विद्यार्थियों को काफी परेशानी हो रही है।
- कई सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं की कमी.
- पटना एनआईटी और आईआईटी में प्लेसमेंट के लिए आती हैं कंपनियां.
- कई सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों में मूलभूत सुविधाओं की कमी.
- पटना एनआईटी और आईआईटी में प्लेसमेंट के लिए आती हैं कंपनियां.
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