आईटीआई की परीक्षा के लिए लगानी पड़ रही है 60 किलोमीटर की दौड़
उत्तराखंड में जौनसार-बावर के युवाओं को कुशल श्रमिक बनाकर रोजगार के लिए तैयार करने वाले राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान फजीहत का सबब बने हुए हैं। क्षेत्र के तीन संस्थानों में से किसी में भी परीक्षा...
उत्तराखंड में जौनसार-बावर के युवाओं को कुशल श्रमिक बनाकर रोजगार के लिए तैयार करने वाले राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान फजीहत का सबब बने हुए हैं। क्षेत्र के तीन संस्थानों में से किसी में भी परीक्षा केंद्र की सुविधा न होने के चलते युवाओं को परीक्षा के लिए साठ किमी की दूरी नापकर विकासनगर आना पड़ता है।
यूं तो सरकार ने जौनसार-बावर परगने के युवाओं को तकनीकी ज्ञान देकर कुशल श्रमिक बनाने के लिए तीन आईटीआई खोले हैं, आलम यह है कि इनमें प्रशिक्षण ले रहे युवाओं की दशा बदलने की उम्मीद बेहद कम नजर आ रही है। कहीं भवनों का अभाव है तो कहीं अनुदेशकों की कमी बनी हुई है। जबकि यहां किसी भी संस्थान में प्रधानाचार्य का पद ही सृजित नहीं है। इतना ही नहीं स्थापना के चार दशक से अधिक समय बीत जाने के बाद भी किसी भी संस्थान में अभी तक परीक्षा देने की सुविधा मुहैया नहीं कराई गई है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को स्वयं के संसाधनों पर विकासनगर के राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में परीक्षा देने आना पड़ता है।
कई बार मार्ग अवरुद्ध होने के चलते ग्रामीण युवा परीक्षा से वंचित रह जाते हैं, जिससे उनका दो वर्ष का प्रशिक्षण बेकार चला जाता है। सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को रोजगार परक तकनीकी शिक्षा के नाम पर दी जा रही आधी-अधूरी सुविधा युवाओं के लिए मुसीबत साबित हो रही है। उधर, राज्य औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के उप निदेशक जेएम नेगी ने बताया कि भारत सरकार के श्रम मंत्रालय के नियमों के अनुसार एक निश्चित छात्र संख्या पर ही परीक्षा केंद्र बनाए जाते हैं। जौनसार-बावर परगने के किसी भी राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में मानक के अनुरूप छात्र संख्या नहीं है।
आईटीआई संस्थानों की स्थिति
- आईटीआई ग्वासापुल (चकराता)- पंजीकृत युवाओं की संख्या 150, विकासनगर की दूरी 60 किमी
- आईटीआई लाखामंडल- पंजीकृत युवाओं की संख्या 22, विकासनगर की दूरी 60 किमी
- आईटीआई साहिया- पंजीकृत युवाओं की संख्या 50, विकासनगर की दूरी 32 किमी
- आईटीआई कालसी-पंजीकृत युवाओं की संख्या 100, विकासनगर की दूरी 16 किमी
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