एसटीईटी अभ्यर्थियों को फोन कर ठगने वाले गिरोह से चल रही पूछताछ, सरकारी कर्मचारियों से जुड़े हो सकते हैं तार
एसटीईटी अभ्यर्थियों को ठगने की कोशिश में लगे गिरोह के कई लोग गिरफ्तार किए गए हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई अपराधियों से पूछताछ कर रही है। आशंका है आरोपियों से सरकारी कर्मचारियों के तार जुड़े
एसटीईटी अभ्यर्थियों को फोन कर ठगने वाले गिरोह के चार शातिरों को आर्थिक अपराध इकाई की विशेष टीम ने गिरफ्तार किया है। टीम ने गुरुवार की शाम को नवादा जिले शाहपुर ओपी क्षेत्र में छापेमारी कर शिशुपाल कुमार, कन्हैया प्रसाद, मोमो की दुकान चलाने वाले श्याम सुंदर उर्फ बिट्टू और कृष्ण मुरारी को गिरफ्तार किया है। ये सभी शाहपुर और पास के पार्वती गांव के रहने वाले हैं। इनके पास से 11 मोबाइल फोन, 5 लाख 50 हजार रुपये कैश, एसटीईटी परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों की सूची (इसमें इनके रोल और मोबाइल नंबर दोनों मौजूद हैं) और लोन देने के लिए लोगों को फोन करने वालों की लिस्ट शामिल है। साइबर ठगी के इस संगठित गिरोह को शिशुपाल कुमार और कन्हैया प्रसाद चलाता था। ये दोनों नवादा के शाहपुर के ही रहने वाले हैं।
शातिर एसटीईटी अभ्यर्थियों को फोन कर बताते थे कि उनके नंबर कम आ रहे हैं। अगर वे नंबर बढ़वाना चाहते हैं तो इसके लिए पैसे देने होंगे। इसके अलावा यह गिरोह कई लोगों को लोन दिलाने के नाम पर भी फोन कर ठगता था।
ईओयू ने इस मामले में एफआईआर दर्ज की है। एफआईआर में 9 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है। इसमें 4 की गिरफ्तारी हो चुकी है। शेष फरार चल रहे अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है। फरार चल रहे नामजद अभियुक्तों में सुबोध राउत, चंदन कुमार, इसी शहर में फर्जी सिम बेचने वाला नेहा टेलीकॉम का मालिक गौतम शाह, प्रियांशु कुमार एवं हिमांशु कुमार शामिल हैं। अब तक की जांच में यह भी पता चला कि कई दूसरे राज्यों में भी इस साइबर ठग गिरोह ने अपना जाल फैला रखा था और दूसरे राज्यों के लोगों से भी ठगी की थी। फिलहाल इसकी जांच चल रही है। संबंधित राज्यों को भी इनकी गिरफ्तारी के बारे में सूचना दी जाएगी।
परीक्षार्थियों का विवरण कहां से मिला, चल रही जांच
पूरे मामले में सबसे अहम यह है कि इन ठगों के पास परीक्षार्थियों का पूरा विवरण कहां से आया। सभी का मोबाइल फोन, रोल नंबर समेत अन्य डिटेल वाली सूची इन्हें कहां से मिली, इसकी गहन तफ्तीश ईओयू कर रहा है। इसमें सरकारी महकमों के कर्मियों की मिलीभगत भी हो सकती है। गिरफ्तार ठगों से ही इसके बारे में पूछताछ चल रही है। सूची का स्रोत पता चलने पर ईओयू बड़ी कार्रवाई कर सकता है।
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