Hindi Newsकरियर न्यूज़Inequality in posting: UP Shikshak Samayojan Teachers stuck in schools unable to make adjustments

तैनाती में असमानता: स्कूलों में जमे शिक्षक, नहीं कर पा रहे समायोजन

लंबे समय से सरकारी व अर्ध सरकारी स्कूलों में सेवा दे रहे शिक्षकों को समायोजन नहीं हो पा रहा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इस समस्या पर ध्यान दिया है। विभाग ने समायोजन प्रक्रिया के लिए कार्रवाही फिर शुरू क

Alakha Ram Singh प्रयागराज, प्रयागराजMon, 15 Jan 2024 07:58 AM
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UP Shikshak Samayojan 2024: राजकीय और सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में बार-बार आदेश के बावजूद शिक्षकों का समायोजन नहीं हो पा रहा। प्रदेश के 2363 राजकीय विद्यालयों में छह साल और 4512 एडेड कॉलेजों में सवा साल में भी समायोजन में विफल माध्यमिक शिक्षा विभाग ने एक बार फिर से प्रक्रिया शुरू की है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने 22 दिसंबर 2023 को एडेड कॉलेजों और दस जनवरी 2024 को राजकीय विद्यालयों में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन के आदेश दिए हैं।

विभाग के अफसर राजकीय स्कूलों में छात्रसंख्या के आधार पर सरप्लस शिक्षकों का समायोजन करना चाहते हैं, जबकि शिक्षक संगठन सृजित पद पर कार्यरत शिक्षकों को हटाने के विरोध में हैं। इसी विवाद के कारण 2018 के बाद से समायोजन नहीं हो सका है। निदेशक ने इस बार मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में समायोजन के लिए समिति गठित की है। मंडलीय उप शिक्षा निदेशक और जिला विद्यालय निरीक्षक समिति के सदस्य होंगे। समिति को मंडल स्तर पर सरप्लस शिक्षकों की सूचना 20 जनवरी तक ई-मेल से देनी है।

नियोक्ता मैनेजर, कैसे होगा तबादला
निदेशक ने 22 दिसंबर 2023 को एडेड कॉलेज में सरप्लस शिक्षकों के समायोजन का आदेश तो दिया है, लेकिन उसमें अड़चन है। इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम 1921 में समायोजन का प्रावधान ही नहीं है। एडेड कॉलेजों में संस्था ही चयन की इकाई होती है और प्रबंधक नियोक्ता होता है। चयन तिथि से ही वरिष्ठता निर्धारित की जाती है। ऐसे में समायोजन से वरिष्ठता को लेकर विवाद होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इससे समायोजित होने वाले शिक्षक के पूर्व के वर्षों का अनुभव शून्य हो जाएगा। समायोजित शिक्षक नए स्कूल में सबसे जूनियर हो जाएगा। सेवा वर्ष के शून्य होने से शिक्षक को आर्थिक क्षति होगी। यदि समायोजित शिक्षक की वरिष्ठता बरकरार रखी जाती है तो उस स्कूल में पूर्व से कार्यरत शिक्षक अपनी वरिष्ठता बनाए रखने के लिए कोर्ट का सहारा ले सकते हैं। 

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