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Independence Day Poem in Hindi : 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर सरल व छोटी कविताएं और गीत

Independence Day Poem in Hindi : देश की आजादी को 77 बरस पूरे हो गए हैं। देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व के मौके पर आप भी देशभक्ति से जुड़ी कोई कविता या गीत सुनाकर इनाम जीत सकते हैं।

लाइव हिन्दुस्तान नई दिल्लीTue, 13 Aug 2024 03:55 PM
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Independence Day Poem in Hindi : देश की आजादी को 77 बरस पूरे हो गए हैं। 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस का दिन हमारे देश के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दिन है क्योंकि इसी दिन भारत को 200 साल के ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी। हर साल सभी स्कूल, कॉलेज, सरकारी व निजी संगठन और अन्य संस्थान इस दिन तिरंगा फहराकर, राष्ट्रगान गाकर आजादी की सालगिरह का जश्न मनाते हैं और सभी स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। वैसे देश प्रेम की भावना को हर भारतवासी के दिल में जिंदा रखने और उसमें उफान लाने में देश के कवियों और उनकी कविताओं की भी भूमिका अहम रही है। कवियों की ओजपूर्ण कविताएं आज भी लोगों की रगों में जोश भर देती हैं। 15 अगस्त के अवसर पर स्कूल, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में विभिन्न प्रतियोगिताएं शुरू होने वाली हैं। स्कूल के स्टूडेंट्स ने पोस्टर मेकिंग, स्पीच, क्वीज और कविताओं की तैयारी शुरू कर दी हैं। देश के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्व के मौके पर आप भी देशभक्ति से जुड़ी कोई कविता या गीत सुनाकर इनाम जीत सकते हैं। 

आदरणीय प्रिंसिपल, गुरुजनों और मेरे प्यारे दोस्तों,
आज 78वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी महान स्वतंत्रता सेनानियों को नमन करते हुए मैं छोटी सी कविता/छोटा सा गीत सुनाने जा रहा हूं-

कविता 1
सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा

ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता है दिल वतन में
समझो वहीं हमें भी, दिल हो जहाँ हमारा

परबत वो सबसे ऊँचा, हमसाया आसमाँ का
वो संतरी हमारा, वो पासबाँ हमारा

गोदी में खेलती हैं, जिसकी हज़ारों नदियाँ
गुलशन है जिसके दम से, रश्क-ए-जिनाँ हमारा

ऐ आब-ए-रूद-ए-गंगा! वो दिन है याद तुझको
उतरा तेरे किनारे, जब कारवाँ हमारा

मज़हब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम, वतन है हिन्दोस्ताँ हमारा

यूनान-ओ-मिस्र-ओ- रोमा, सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाकी, नाम-ओ-निशाँ हमारा

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर-ए-जहाँ हमारा

‘इक़बाल’ कोई महरम, अपना नहीं जहाँ में
मालूम क्या किसी को, दर्द-ए-निहाँ हमारा

सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा
हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिसताँ हमारा

– सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा / इक़बाल

कविता - 2
प्यारा प्यारा मेरा देश,
सबसे न्यारा मेरा देश।
दुनिया जिस पर गर्व करे,
वो जगमग सितारा मेरा देश।
गंगा जमुना की माला का,
फूलों वाला मेरा देश।
अंतरिक्ष में ऊंचा जाता मेरा देश,
प्यारा प्यारा मेरा देश।
इतिहास में बढ़ चढ़ कर,
नाम लिखाए मेरा देश।
नित नए चेहरों में,
मुस्कानें लाता मेरा देश।।

जय हिंद... जय भारत 

कविता -3
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो। 
जन-जन के जीवन में 
फिर से नव स्फूर्ति, नव प्राण भरो। 
नई प्रात है नई बात है 
नई किरन है, ज्योति नई। 
नई उमंगें, नई तरंगें 
नई आस है, सांस नई। 
युग-युग के मुरझे सुमनों में 
नई-नई मुस्कान भरो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।1।। 

डाल-डाल पर बैठ विहग 
कुछ नए स्वरों में गाते हैं। 
गुन-गुन, गुन-गुन करते भौंरें
मस्त उधर मँडराते हैं। 
नवयुग की नूतन वीणा में 
नया राग, नव गान भरो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।2।। 

कली-कली खिल रही इधर 
वह फूल-फूल मुस्काया है। 
धरती माँ की आज हो रही 
नई सुनहरी काया है। 
नूतन मंगलमय ध्वनियों से 
गुँजित जग-उद्यान करो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।3।।

सरस्वती का पावन मंदिर 
शुभ संपत्ति तुम्हारी है। 
तुममें से हर बालक इसका 
रक्षक और पुजारी है। 
शत-शत दीपक जला ज्ञान के 
नवयुग का आह्वान करो। 
उठो, धरा के अमर सपूतों। 
पुन: नया निर्माण करो।।4।। ( -द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी )

जय हिंद... जय भारत 

कविता - 4
कवि - माखनलाल चतुर्वेदी

प्यारे भारत देश
प्यारेभारत देश
गगन-गगन तेरा यश फहरा
पवन-पवन तेरा बल गहरा
क्षिति-जल-नभ पर डाल हिंडोले
चरण-चरण संचरण सुनहरा
ओ ऋषियों के त्वेष

प्यारे भारत देश।।

वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी
प्रथम प्रभात किरण से हिम में जोत जागी
उतर पड़ी गंगा खेतों खलिहानों तक
मानो आँसू आये बलि-महमानों तक
सुख कर जग के क्लेश

प्यारे भारत देश।।

तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे
तेरे वन जग उठे पवन से हरित इरादे प्यारे!
राम-कृष्ण के लीलालय में उठे बुद्ध की वाणी
काबा से कैलाश तलक उमड़ी कविता कल्याणी
बातें करे दिनेश

प्यारे भारत देश।।

जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे
हम सब एक, अनेक रूप में, क्या उभरे क्या ऊबे
सजग एशिया की सीमा में रहता केद नहीं
काले गोरे रंग-बिरंगे हममें भेद नहीं
श्रम के भाग्य निवेश

प्यारे भारत देश।।

वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे
उठ आई यह भरत-मेदिनी, शीतल मन्द समीरे
बोल रहा इतिहास, देश सोये रहस्य है खोल रहा
जय प्रयत्न, जिन पर आन्दोलित-जग हँस-हँस जय बोल रहा,
जय-जय अमित अशेष

प्यारे भारत देश।।

कविता - 5
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
सदा शक्ति बरसाने वाला,
प्रेम सुधा सरसाने वाला,
वीरों को हरषाने वाला,
मातृभूमि का तन-मन सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
स्वतंत्रता के भीषण रण में,
लखकर बढ़े जोश क्षण-क्षण में,
कांपे शत्रु देखकर मन में,
मिट जाए भय संकट सारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इस झंडे के नीचे निर्भय,
लें स्वराज्य यह अविचल निश्चय,
बोलें भारत माता की जय,
स्वतंत्रता हो ध्येय हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
आओ! प्यारे वीरो, आओ।
देश-धर्म पर बलि-बलि जाओ,
एक साथ सब मिलकर गाओ,
प्यारा भारत देश हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
इसकी शान न जाने पाए,
चाहे जान भले ही जाए,
विश्व-विजय करके दिखलाएं,
तब होवे प्रण पूर्ण हमारा।।
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
विजयी विश्व तिरंगा प्यारा,
झंडा ऊंचा रहे हमारा।
– विजयी विश्व तिरंगा प्यारा (झंडा गीत) / श्यामलाल गुप्त ‘पार्षद’

कविता -6 
कवि - रामधारी सिंह ‘दिनकर’
नमो, नमो, नमो।
नमो स्वतंत्र भारत की ध्वजा, नमो, नमो!
नमो नगाधिराज – शृंग की विहारिणी!
नमो अनंत सौख्य – शक्ति – शील – धारिणी!
प्रणय – प्रसारिणी, नमो अरिष्ट – वारिणी!
नमो मनुष्य की शुभेषणा – प्रचारिणी!
नवीन सूर्य की नई प्रभा, नमो, नमो!
हम न किसी का चाहते तनिक अहित, अपकार।
प्रेमी सकल जहान का भारतवर्ष उदार।
सत्य न्याय के हेतु, फहर-फहर ओ केतु
हम विचरेंगे देश-देश के बीच मिलन का सेतु
पवित्र सौम्य, शांति की शिखा, नमो, नमो!
तार-तार में हैं गुँथा ध्वजे, तुम्हारा त्याग!
दहक रही है आज भी, तुम में बलि की आग।
सेवक सैन्य कठोर, हम चालीस करोड़
कौन देख सकता कुभाव से ध्वजे, तुम्हारी ओर
करते तव जय गान, वीर हुए बलिदान,
अंगारों पर चला तुम्हें ले सारा हिंदुस्तान!
प्रताप की विभा, कृषानुजा, नमो, नमो!

स्वतंत्रता दिवस पर गीत ( independence day songs , patriotic songs on independence day )
गीत -1

जहां डाल-डाल पर 
सोने की चिड़िया करती है बसेरा 
वो भारत देश है मेरा 
जहां सत्य, अहिंसा और धर्म का 
पग-पग लगता डेरा 
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहां ऋषि-मुनि
जपते प्रभु नाम की माला
जहां हर बालक मोहन है
और राधा है हर एक बाला
जहां सूरज सबसे पहले आकर
डाले अपना डेरा
वो भारत देश है मेरा...

अलबेलों की इस धरती के 
त्योहार भी हैं अलबेले
कहीं दीवाली की जगमग है 
कहीं हैं होली के मेले
जहां राग रंग और हंसी खुशी का
चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा...

जहाँ आसमान से बाते करते
मंदिर और शिवाले
जहाँ किसी नगर मे किसी द्वार पर
कोई न ताला डाले
प्रेम की बंसी जहाँ बजाता 
है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा ...

जय हिंद... जय भारत

गीत 2
मेरा रंगदे बसंती चोला 
मेर रंग दे बसंती चोला
हो आज रंग दे हो माँ ऐ रंग दे
मेर रंग दे बसंती चोला

आज़ादी को चली ब्याहने दीवानों की टोलियाँ
खून से अपने लिखे देंगे हम इंक़लाब की बोलियाँ
हम वापस लौटेंगे लेकर आज़ादी का डोला
मेर रंग दे …

ये वो चोला है के जिस पे रंग न चढ़े दूजा
हमने तो बचपन से की थी इस चोले की पूजा
कल तक जो चिंगारी थी वो आज बनी है शोला
मेर रंग दे …

सपनें में देखा था जिसको आज वही दिन आया है
सूली के उस पार खड़ी है माँ ने हमें बुलाया है
आज मौत के पलड़े में जीवन को हमने तौला
मेर रंग दे …
 

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