मां करती हैं बीड़ी बनाने का काम, पिता दिहाड़ी मजदूर, बेटी ने क्लियर किया UPSC
आज हम आपको उस लड़की कहानी बताने जा रहे हैं, जिनकी मां बीड़ी बनाने का काम करती हैं और पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, ऐसे में जानें उन्होंने कैसे की थी UPSC परीक्षा की तैयारी
UPSC Success Story: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) की ओर से सिविल सर्विसेज परीक्षा 2023 का रिजल्ट घोषित होने के बाद कई उम्मीदवारों का सपना पूरा हो गया है। इन्हीं उम्मीदवारों में से एक नाम एस इंबा का है। जिन्होंने इस परीक्षा में 851वीं रैंक हासिल की है। बता दें उनका जीवन काफी संघर्ष में बीता है। आइए जानते हैं उनके बारे में।
एस इंबा के घर की आर्थिक स्थिति शुरू से अच्छी नहीं है। घर का खर्चा चलाने के लिए उनकी मां- पिता दिन रात मजदूरी करते है। जहां मां बीड़ी बनाने का काम करती हैं, वहीं पिता दिहाड़ी मजदूर हैं। हालांकि अब घर की बेटी ने यूपीएससी क्लियर कर अधिकारी का पद हासिल कर लिया है, ऐसे में उम्मीद है अब धीरे- धीरे घर की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, इंबा का कहना है कि वह साल 2020 में कोयंबटूर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (CIT) में बीई कंप्यूटर साइंस की डिग्री पूरी करने के बाद से सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी कर रही थी। इंबा ने एक इंटरव्यू में बताया, 'जब यूपीएससी की परीक्षा देने का फैसला किया था, तभी सोच लिया था कि मुझे परिवार का भरण-पोषण करने के लिए नौकरी मिलनी चाहिए और आज ये सपना पूरा हो गया है'
इंबा ने बताया कि वह अपने भाई के कहने पर ही यूपीएससी की परीक्षा में शामिल हुई थी। उनके भाई ने इंबा से कहा था कि, कि उन्हें ठीक से पढ़ाई करने का मौक नहीं मिला था, इसलिए वह चाहते थे कि मैं काफी पढ़ाई करूं। उनके भाई ने ही इंबा की पढ़ाई का खर्चा उठाया था। वर्तमान में उनके भाई सऊदी अरब में एक गैस कंपनी में काम करते हैं।
इंबा ने तीसरे प्रयास में सफलता हासिल की है। वह यूपीएससी सिविल सर्विस (प्रारंभिक) में पहले दो प्रयास में असफल हो गई थी। हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और तीसरा प्रयास देने का निर्णय लिया। दिसंबर 2022 में, उन्होंने मुफ्त चेन्नई में सिविल सर्विस रेजिंडेंटल कोचिंग के लिए एंट्रेंस परीक्षा दी थी, जिसमें उन्होंने सफलता हासिल की। बता दें, 2023 में यूपीएससी प्रारंभिक परीक्षा पास करने के बाद, उन्हें नान मुधलवन योजना के तहत 25,000 रुपये की सहायता मिली थी। योजना के तहत 7,500 रुपये की मासिक सहायता से उन्हें तैयारी के लिए चेन्नई में रहने में मदद मिली थी।
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