12वीं बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए खिलाड़ी बने थे हॉकी प्लेयर श्रीजेश
टोक्यो ओलंपिक में जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले गोलकीपर श्रीजेश ने खुलासा किया है कि उन्होंने खिलाड़ी बनने का फैसला क्यों किया। उन्होंने बताया कि केरल में नियम है कि राज्य टीम में खेलने वाले
Hockey Player Sreejesh: भारतीय हॉकी टीम के अनुभवी गोलकीपर पी आर श्रीजेश ने मंगलवार को खुलासा किया कि बोर्ड और 12वीं के इम्तिहान में अच्छे अंक लाने के लिए उन्होंने खेलों को चुना क्योंकि उस समय प्रदेश टीम के लिए खेलने वाले को 60 प्रतिशत अंक दिए जाते थे। तोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ कांस्य पदक के मुकाबले में अहम पेनल्टी बचाकर भारत की जीत के सूत्रधार रहे श्रीजेश की पहली पसंद हॉकी नहीं थी बल्कि उन्होंने एथलेटिक्स को चुना था क्योंकि केरल में वह लोकप्रिय खेल था। उन्होंने हांगझोउ एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर लौटने के बाद कप्तान हरमनप्रीत सिंह, हॉकी इंडिया के अध्यक्ष दिलीप टिर्की और महिला टीम की कप्तान सविता पूनिया के साथ पीटीआई कार्यालय के दौरे पर बातचीत में कहा,' मैने एथलेटिक्स में शॉटपुट से शुरू किया लेकिन जब मैं खेल होस्टल गया तो मुझे पता चला कि मेरा 'फ्लैट फुट' है तो मैने वॉलीबॉल और बास्केटबॉल भी खेला।''
इंचियोन में 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीत चुके श्रीजेश ने कहा ,'' केरल में अगर आप प्रदेश टीम के लिए खेलते हैं तो उस समय 60 प्रतिशत अंक बोर्ड में मिलने का प्रावधान था। मैने सोचा कि सबसे आसान क्या होगा तो हॉकी मुझे सही लगा क्योंकि केरल में लोकप्रिय नहीं होने के कारण इतनी प्रतिस्पर्धा नहीं थी।'' उन्होंने कहा ,'' मैने कभी सोचा नहीं था कि देश के लिए खेलूंगा। प्रदेश में ज्यादातर खिलाड़ियों की सोच होती है कि राष्ट्रीय स्तर पर खेलो और नौकरी लो और मैं भी अलग नहीं था । लेकिन मुझे खुशी है कि मेरे पास ओलंपिक पदक है और मैं भावी पीढी के लिए प्रेरणा बन सका।'' उन्होंने कहा ,'' बचपन में मैने सुना कि पीटी उषा का लॉस एंजिलिस ओलंपिक में मामूली अंतर से पदक चूक गया लेकिन अब मेरे पास दिखाने के लिए ओलंपिक का पदक है।'' उन्होंने कहा कि ओलंपिक कांस्य और एशियाई खेलों के स्वर्ण से युवाओं को हॉकी खेलने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा ,''आजकल युवा सोशल मीडिया पर ज्यादा रहते हैं। हमने भारत के आठ ओलंपिक स्वर्ण जीतने की कहानियां सुनी थी लेकिन आजकल सब आंखों के सामने देखना चाहते हैं। हमने ओलंपिक पदक जीता तो लोगों ने हॉकी को संजीदगी से लेना शुरू किया । हमने एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी जीती, एशियाड जीता तो युवाओं के लिए यह प्रेरणा हो गई कि वे हॉकी खेलें ।''
एशियाई खेलों में स्वर्ण का श्रेय टीमवर्क को देते हुए उन्होंने कहा ,''हमारी टीम साद्या (केरल का पारंपरिक भोजन) जैसी है। जैसे साद्या में हर चीज की अपनी भूमिका होती है , उसी तरह टीम में सभी की अपनी भूमिका है जो उसे निभानी है।'' उन्होंने कहा ,''एशियाई खेलों के रास्ते पेरिस ओलंपिक का सीधे टिकट कटाने से बहुत राहत महसूस हो रही है और अब हम तैयारियों पर फोकस कर सकेंगे। मैने क्वालीफायर की चुनौतियां देखी है और हम क्वालीफायर हारकर 2008 में बीजिंग ओलंपिक नहीं खेल सके थे। अब इन सबसे नहीं गुजरना होगा और पेरिस में पदक का रंग बदलने की कोशिश होगी।''
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