Hindi Newsकरियर न्यूज़Hindi Diwas: First course of Hindi was made in Mahamana bagiya

Hindi Diwas: महामना की बगिया में बना था हिन्दी का पहला पाठ्यक्रम

हिन्दी दिवस : महामना की बगिया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का हिन्दी भवन वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां हिन्दी के छात्रों के लिए पहली बार पाठ्यक्रम तैयार हुआ था। हिन्दी विभाग के प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ला ने...

Anuradha Pandey कार्यालय संवाददाता, वाराणसीMon, 14 Sep 2020 07:00 AM
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हिन्दी दिवस : महामना की बगिया काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का हिन्दी भवन वह ऐतिहासिक स्थल है, जहां हिन्दी के छात्रों के लिए पहली बार पाठ्यक्रम तैयार हुआ था। हिन्दी विभाग के प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ला ने बताया कि इसी जगह पहली बार रीतिकाल व भक्तिकाल के पाठ्यक्रम तय हुए। 

हिंदी के विकास में आचार्य रामचंद्र शुक्ल की भूमिका जहां तुलसी को धर्म के दायरे से निकालकर कवि के दायरे में प्रतिष्ठित करने की रही, वहीं आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी की भूमिका कबीर को रहस्यवादी दायरे से क्रांतिकारी के रूप में स्थापित करने की थी। हिन्दी साहित्य को लोकोन्मुखी व नवोन्मेषी बनाने में इस हिंदी विभाग का योगदान महत्वपूर्ण है। बाद में इलाहाबाद व लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभागों ने यहीं के पाठ्यक्रम का अनुगमन किया। 1971 में यह विभाग स्वतंत्र भवन के रूप में बना, जहां अध्ययन अध्यापन करते हुए भोलाशंकर व्यास, रुद्र काशिकेय, शिव प्रसाद सिंह, त्रिभुवन सिंह, शुकदेव सिंह, काशीनाथ सिंह जैसे महत्वपूर्ण लेखकों व अध्यापकों ने इसे समृद्ध किया।

प्रो. श्रीप्रकाश ने कहा कि हिंदी के विकास में अगर देश के किसी हिंदी विभाग के योगदान की चर्चा होगी तो बीएचयू के हिंदी विभाग का योगदान शिखर पर होगा। अनिवार्य रूप से बीएचयू में हिंदी की पढ़ाई 1919 में ही शुरू हो गई थी, लेकिन हिंदी विभाग की विधिवत शुरुआत सितंबर 1921 से हुई। बाबू श्याम सुंदर दास यहां पहले विभागाध्यक्ष थे। इस तर्क से यह वर्ष हिंदी विभाग का शताब्दी वर्ष भी है। उस समय यह विभाग आज के कला संकाय के ऊपरी मंजिल के दो कमरों में चलता था, जहां दास साहब के साथ लाला भगवान दीन, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, केशव प्रसाद मिश्र, हरिऔध जी, हजारी प्रसाद द्विवेदी, जगन्नाथ प्रसाद शर्मा और विश्वनाथ प्रसाद मिश्र जैसे हिंदी के दिग्गज लेखक व आचार्य अध्यापन करते थे। 

इसी विभाग के मधुकरी वृत्ति के छात्र के रूप में नामवर सिंह, केदारनाथ सिंह, रवीन्द्र भ्रमर, रवीन्द्र नाथ श्रीवास्तव, रामदरश मिश्र, विश्वनाथ त्रिपाठी जैसे लोग आये, जिन्होंने हिंदी जगत में ऐतिहासिक योगदान किया। अपने नवाचारी दृष्टिबोध, परिवर्तनशील संकल्पनाओं और अभिनव रचनात्मक योगदान के कारण आज भी यह देश का सबसे बड़ा और अग्रणी हिंदी विभाग है। 

हिन्दी पढ़ने आते है विदेशी
बीएचयू के हिन्दी विभाग में विदेशी छात्र भी पढ़ने आते हैं। हिन्दी को व्यावहारिक बनाने में जहां इसके नए पाठ्यक्रम में प्रयोजनमूलक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम जुड़ा है वहीं विदेशी छात्रों के लिए दो वर्षीय डिप्लोमा पाठ्यक्रम ने इस विभाग को वैश्विक पहचान दी है। जापान, कोरिया, फ्रांस व नीदरलैंड जैसे देशों से हिंदी पढ़ने के लिए छात्र आते हैं।  

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