Hindi Diwas: नई शिक्षा नीति से बदली हिन्दी भाषा की सूरत, रोजगार की भाषा बन गई हिन्दी
हिन्दी भी दूसरी भाषाओं के साथ तरक्की कर रही है। अब हिन्दी किस्सा, कहानी, आलोचना, कविता के लिए नहीं बल्कि रोजगार के लिए भी जानी जाने लगी है। प्रेमचंद, निराला, तुलसी, कबीर और सूरदास की रचनाओं से अलग भी
हिन्दी भी दूसरी भाषाओं के साथ तरक्की कर रही है। अब हिन्दी किस्सा, कहानी, आलोचना, कविता के लिए नहीं बल्कि रोजगार के लिए भी जानी जाने लगी है। प्रेमचंद, निराला, तुलसी, कबीर और सूरदास की रचनाओं से अलग भी कुछ रंग दिखा रही है। देश ही नहीं दुनिया में भी हिन्दी ने बुलंदी के झंड़े गाड़े हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू होने के बाद हिन्दी को पंख लग गए। हिन्दी दिवस के मौके पर हिन्दुस्तान टीम ने हिन्दी भाषा के विकास के लिए विभिन्न आयामों पर नजर डाली।
उच्च शिक्षण संस्थानों में हिंदी भाषा को व्यावहारिक बनाने की कोशिश सफल नजर आ रही है। इसके तहत अब हिंदी भाषा को भी रोजगार का सशक्त माध्यम बनाया जा रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी तथा आधुनिक भारतीय भाषा विभाग में वोकेशनल कोर्स के तौर पर प्रयोजनमूलक हिन्दी पढ़ाई जाती है। प्रो. श्रुति का कहना है कि इसके तहत छात्रों की वर्तनी में सुधार आता है। उन्हें कहानी, उपन्यास, मीडिया लेखन, साहित्यिक पत्रकारिता और सिनेमा एवं रंगमंच की जानकारी मिलती है।
एनईपी-2020 से छात्रों को फायदा विभागाध्यक्ष प्रो. रश्मि कुमार ने बताया कि एनईपी-2020 के तहत परीक्षा व्यवस्था में बदलाव किया गया है। विषम सेमेस्टर में लिखित और सम सेमेस्टर में बहुविकल्पीय प्रश्नों पर आधारित परीक्षा होती है। इससे छात्र-छात्राओं को दोनों तरह की परीक्षाएं देने का अनुभव मिलता है। परीक्षा व्यवस्था में बदलाव से विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफलता मिल रही है। एलयू से हिंदी भाषा में स्नातक, परास्नातक की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी उच्च शिक्षा, बैंक, मीडिया में कार्य कर रहे हैं। वहीं पूर्वोत्तर रेलवे हिंदी पखवाड़ा समारोह मनाएगा।
अंग्रेजी के शिक्षक को हिन्दी में राष्ट्रीय पुरस्कार
एलयू के अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार सिंह को हिंदी भाषा में भी महारत हासिल है। उन्होंने हिंदी भाषा में तीन राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार प्राप्त किए हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर आरपी सिंह ने अंग्रेजी और हिंदी लेखन में समान रूप से सक्रिय हैं। इनकी हिंदी-अंग्रेजी कविताएं लगभग 20 साझा संकलनों में हैं। प्रोफेसर सिंह ने हिंदी और अंग्रेजी में बाल साहित्य के तहत लगभग 50 नाटक भी लिखे हैं। प्रो. आरपी सिंह को हिंदी संस्थान के द्वारा मोहन राकेश, डॉ. राम कुमार वर्मा बाल नाटक और भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान सहित 23 पुरस्कार मिले हैं।
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