Hindi Diwas: हिंदी क्यों नहीं बन पाई देश की राष्ट्रभाषा, हिंदी दिवस से कैसे अलग है विश्व हिंदी दिवस, 10 दिलचस्प बातें
Hindi Diwas kyu manaya jata hai : इतने सालों बाद भी हिंदी देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। इसे अभी राजभाषा का दर्जा ही प्राप्त है। हिंदी दिवस 14 सितंबर तो विश्व हिंदू दिवस 10 जनवरी को मनाते हैं
Hindi Diwas 2023: 14 सितबंर हिंदी दिवस का दिन हर भारतीय के लिए गर्व का दिन है। पूरे देश के स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी कार्यालयों में हिंदी दिवस ( Hindi Diwas ) बेहद उत्साह व जोश के साथ मनाया जा रहा है। हिंदी सिर्फ हमारी मातृभाषा ही नहीं बल्कि यह राष्ट्रीय अस्मिता और गौरव का प्रतीक है। यह हिंदी ही है जो देश के धर्म, जाति, भाषा, संस्कृति की विविधताओं के फासलों को खत्म कर देती है। हिंदी अलग अलग क्षेत्रों की लोगों के दिलों की दूरियों को मिटाती है और सभी को एकता के सूत्र में बांधे रखती है। वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा द्वारा हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने के दिन को चिह्नित करने के लिये भारत में प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस या राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस दिन को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया था।
यहां पढ़ें हिन्दी से जुड़ी 10 दिलचस्प बातें
1. मत बंटने से हिंदी नहीं बन पाई देश की राष्ट्रभाषा
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने हिन्दी को जनमानस की भाषा कहा था। वह चाहते थे कि हिन्दी राष्ट्रभाषा बने। उन्होंने 1918 में आयोजित हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी को राष्ट्र भाषा बनाने के लिए कहा था। आजादी मिलने के बाद लंबे विचार-विमर्श के बाद आखिरकार 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में हिन्दी को राजभाषा बनाने का फैसला लिया गया। हिन्दी का राष्ट्रभाषा बनाए जाने के विचार से बहुत से लोग खुश नहीं थे खासतौर पर दक्षिण भारतीय। कइयों का कहना था कि सबको हिंदी ही बोलनी है तो आजादी के क्या मायने रह जाएंगे। ऐसे में हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकी। राजभाषा होने के चलते राज्य इसे अपने राजकाज के काम में लाते हैं।
2. आज 14 सितंबर को होता है राष्ट्रीय हिंदी दिवस और 10 जनवरी को होता है विश्व हिंदी दिवस
हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 1975 में ‘विश्र्व हिंदी सम्मेलन’ का आयोजन शुरू किया गया था। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। हिंदी को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा देने के लिए 10 जनवरी को हर साल विश्व हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है। पहली बार यह वर्ष 2006 में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा मनाया गया था। इसका मकसद दुनिया भर में हिंदी भाषा को बढ़ावा देना है।
3. क्याों मनाया जाता है हिंदी दिवस
आजादी मिलने के दो साल बाद 14 सितबंर 1949 को संविधान सभा में एक मत से हिंदी को राजभाषा घोषित किया गया था। इस निर्णय के बाद हिंदी को हर क्षेत्र में प्रसारित करने के लिए राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, वर्धा के अनुरोध पर 1953 से पूरे भारत में 14 सितंबर को हर साल हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। 14 सितंबर 1953 को पहली बार देश में हिंदी दिवस मनाया गया।
4. इंग्लिश और मंदारिन के बाद हिंदी विश्व की तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है।
5. दुनिया की सबसे प्रसिद्ध ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी (शब्दकोश) हर साल भारतीय शब्दों को जगह दे रही है। ऑक्सफोर्ड आत्मनिर्भरता, चड्डी, बापू, सूर्य नमस्कार, आधार, नारी शक्ति, अच्छा, अरे यार!’, भेलपूरी, चूड़ीदार, ढाबा, बदमाश, चुप, फंडा, चाचा, चौधरी, चमचा, दादागीरी, जुगाड़, पायजामा, कीमा, पापड़, करी, चटनी, अवतार, चीता, गुरु, जिमखाना, मंत्र, महाराजा, मुग़ल, निर्वाण, पंडित, ठग, बरामदा जैसे शब्दों को जगह दे चुका है।
6. भारत के बाहर कई अन्य देशों में भी हिंदी बोली जाती है। दक्षिण प्रशांत महासागर क्षेत्र में फिजी नाम का एक द्वीप देश है जहां हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया गया है।
7. भारत, फिजी के अलावा मॉरीशस, फिलीपींस, अमेरिका, न्यूजीलैंड, यूगांडा, सिंगापुर, नेपाल, गुयाना, सुरिनाम, त्रिनिदाद, तिब्बत, दक्षिण अफ्रीका, सूरीनाम ,यूनाइटेड किंगडम, जर्मनी और पाकिस्तान में कुछ परिवर्तनों के साथ ही सही लेकिन हिंदी बोली और समझी जाती है।
8. हिन्दी सिर्फ भाषा या संवाद का ही साधन नहीं है, बल्कि हर भारतीय के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक सेतु भी है। हिंदी का महत्व इस बात से पता चलता है कि दुनिया भर के 170 से अधिकविश्वविद्यालयों में हिंदी एक भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। अमेरिका में लगभग एक सौ पचास से ज्यादा शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी का पठन-पाठन हो रहा है।
9. हिंदी में उच्चतर शोध के लिए भारत सरकार ने 1963 में केंद्रीय हिंदी संस्थान की स्थापना की। सरकार हिंदी में योगदान के लिए हर साल कई पुरस्कार प्रदान करती है।
10. हिंदी का नाम फारसी शब्द ‘हिंद’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है सिंधु नदी की भूमि। फारसी बोलने वाले तुर्क जिन्होंने गंगा के मैदान और पंजाब पर आक्रमण किया, 11वीं शताब्दी की शुरुआत में सिंधु नदी के किनारे बोली जाने वाली भाषा को ‘हिंदी’ नाम दिया था। यह भाषा संयुक्त अरब अमीरात में एक मान्यता प्राप्त अल्पसंख्यक भाषा भी है।
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