बाल दिवस पर गुरुग्राम की बच्ची की पेंटिंग बना गूगल का डूडल
हरियाणा के गुरुग्राम की सात वर्ष की छात्रा दिव्यांशी सिंघल की पेंटिंग बाल दिवस पर गूगल के होम पेज पर डूडल के रूप में छाई रही। पिछले दिनों दिव्यांशी ने ऑनलाइन प्रतियोगिता में गूगल डूडल के लिए यह...
हरियाणा के गुरुग्राम की सात वर्ष की छात्रा दिव्यांशी सिंघल की पेंटिंग बाल दिवस पर गूगल के होम पेज पर डूडल के रूप में छाई रही। पिछले दिनों दिव्यांशी ने ऑनलाइन प्रतियोगिता में गूगल डूडल के लिए यह पेंटिंग बनाई थी। इसमें दिव्यांशी ने प्रदूषण से पर्यावरण पर पड़ रहे असर को दर्शाया था।
डूडल में यह संदेश दिया
शहर के सेक्टर-51 में रहने वाली दिव्यांशी ने डूडल में पेड़-पौधों को जूते पहनाकर चलते हुए दिखाया और इसे 'वॉकिंग ट्री' का नाम दिया। 'हिन्दुस्तान' से बातचीत में दिव्यांशी ने बताया कि वर्तमान में प्रदूषण से तो पर्यावरण पर असर पड़ ही रहा है, बढ़ते शहरीकरण और विकास के नाम पर भी पेड़ों की बलि चढ़ाई जा रही है। इन चित्र में उन्होंने यह दर्शाया है कि यदि पेड़ों के पास अपने पैर होते तो वे प्रदूषण से बचकर कहीं शुद्व वातावरण वाले स्थान पर चले जाते। इस तरह वे विकास की भेंट चढ़ने से भी बच जाते। दिव्यांशी सेक्टर-45 स्थित दिल्ली पब्लिक स्कूल में दूसरी की छात्रा है। उनकी माता दीप्ति सिंघल ने बताया कि उसे पेड़-पौधों से बेहद लगाव है। उन्होंने बताया कि सितंबर में ब्राजील के अमेजन के जंगलों में लगी आग में जले पेड़ों की घटना से दिव्यांशी काफी आहत थी।
पेंटिंग सितंबर में भेजी थी
गूगल की ओर से हर साल 14 नवंबर को डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। इस साल इस प्रतियोगिता की थीम ‘वेन आई ग्रो, आई होप’ रखी गई थी। प्रतियोगिता का आयोजन अगस्त और सितंबर माह के बीच हुआ था। दिव्यांशी की ओर से यह डूडल बनाकर सितंबर में गूगल को ऑनलाइन जमा कराया गया था। गूगल की ओर से इस परिणाम अक्तूबर में जारी किया गया। इसमें 20 फाइनलिस्ट चुने गए थे, उनमें दिव्यांशी का नाम भी शामिल था। दिव्यांशी की मां ने बताया कि इसके बाद गूगल की ओर से चुने गए चित्रों की 25 अक्तूबर से 6 नवंबर तक ऑनलाइन वोटिंग कराई गई। इसमें सबसे ज्यादा वोट दिव्यांशी की पेंटिंग को मिले और गूगल की ओर से उसे राष्ट्रीय विजेता चुना गया।
पांच लाख की छात्रवृत्ति मिली
डूडल फॉर गूगल प्रतियोगिता में राष्ट्रीय विजेता का खिताब जीती दिव्यांशी को पुरस्कार स्वरूप गूगल की ओर से पांच लाख रुपये की छात्रवृत्ति दी गई है। गूगल की ओर से दिव्यांशी के स्कूल प्रबंधन को भी दो लाख रुपये तकनीकी विकास के लिए दिए गए हैं। इसके अलावा दिव्यांशी को प्रमाणपत्र, ट्रॉफी देने के साथ ही उसे गूगल के कार्यालय में जाने का अवसर मिला।
चित्रकला मां से सीखी
दिव्यांशी के पिता नितिन सिंघल गुरुग्राम स्थित एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में एचआर प्रबंधक हैं जबकि उनकी माता दीप्ति सिंघल ड्राइंग की शिक्षिका हैं। दिव्यांशी ने चित्रकारी अपनी मां से ही सीखी है। दीप्ति ने बताया कि कम उम्र से ही दिव्यांशी को चित्रकला का शौक है। वे खुद उसे चित्रकारी सिखाती हैं।
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