Hindi Newsकरियर न्यूज़Gandhi Jayanti Special: know about five peaceful movements that led to major social and political changes

गांधी जयंती विशेष :  जानें पांच शांतिपूर्ण आंदोलनों के बारे में जिनसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन हुए

इतिहास में ऐसे कई शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए हैं, जिनसे समाज को एक नई दिशा मिली, लोगों को उनका हक मिला। आइए जानते हैं ऐसे पांच शांतिपूर्ण आंदोलनों के बारे में जिनसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन...

Anuradha Pandey हिन्दुस्तान टीम, नई दिल्लीFri, 2 Oct 2020 08:14 AM
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इतिहास में ऐसे कई शांतिपूर्ण प्रदर्शन हुए हैं, जिनसे समाज को एक नई दिशा मिली, लोगों को उनका हक मिला। आइए जानते हैं ऐसे पांच शांतिपूर्ण आंदोलनों के बारे में जिनसे बड़े सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन देखने को मिले।

दांडी यात्रा
 गांधी ने 1930 में दांडी मार्च की शुरुआत की। उन दिनों अंग्रेजों ने नमक पर कर लगा दिया था, जिसका जबरदस्त विरोध हुआ। गांधी ने मुट्ठी भर नमक को लेने के लिए 240 मील की दूरी तय की और प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व किया। पांच मार्च, 1931 को गांधी व इरविन के बीच समझौता हुआ। इसके तहत नमक बनाने की छूट दी गई। 

सफ्रेज परेड
1913 में सफ्रेज परेड (मताधिकार परेड) की शुरुआत हुई। इस शांतिपूर्ण विरोध में हजारों महिलाओं ने समान राजनीतिक भागीदारी के अधिकार के लिए आवाज उठाई। महिलाओं ने पोस्टर में लिखा, आजादी मांगना अपराध नहीं है। यह याद दिलाता है कि अहिंसा की मदद से कार्य प्रणाली को भी बदला जा सकता है।

डेलानो ग्रेप बॉयकॉट
अमेरिका में मजदूरों को सही मेहनताना नहीं मिलता था, काम के घंटे तय नहीं थे। 1960 के दशक में मजदूर नेता सीजर शावेज ने 25 दिन की भूख हड़ताल का आह्वान किया। दो हजार से अधिक किसानों ने इसमें हिस्सा लिया। करीब 1.7 करोड़ से अधिक अमेरिकियों ने कैलिफोर्निया के अंगूरों का बहिष्कार कर दिया। तब श्रमिकों को बेहतर मजदूरी मिली।

मोंटगोमेरी बस बायकॉट
अमेरिकी राज्य अलबामा की राजधानी मोंटगोमेरी में एक श्वेत व्यक्ति ने एक अश्वेत को सीट देने से मना कर दिया था, जिसके बाद रोसा पार्क्स ने एक मुहिम शुरू की। संदेश फैलाया कि सभी लोग समान सीटों के हकदार हैं। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 1956 में फैसला सुनाया और सभी को बसों में समान अधिकार दिए।

संगीत क्रांति
1988 में सोवियत शासन का विरोध करने के लिए एक लाख से अधिक एस्टोनियाई लोग पांच रात के लिए एकत्र हुए और अपनी स्वतंत्रता के लिए उन्होंने संगीत का सहारा लिया। इसे संगीत क्रांति के रूप में जाना जाता था। तीन साल बाद 1991 में सोवियत शासन ने 15 लाख लोगों के साथ इस देश को स्वतंत्र घोषित किया।

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