गांधी जयंती विशेष : एएमयू में तीन बार आए गांधीजी, एएमयू छात्र संघ की दी गई थी आजीवन सदस्यता
Gandhi Jayanti Special: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अलीगढ़ से गहरा नाता रहा है। 100 साल पहले एएमयू छात्र यूनियन की ओर से उनको यूनियन की पहली आजीवन सदस्यता प्रदान की गई थी। इतना ही नहीं, गांधीजी...
Gandhi Jayanti Special: राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का अलीगढ़ से गहरा नाता रहा है। 100 साल पहले एएमयू छात्र यूनियन की ओर से उनको यूनियन की पहली आजीवन सदस्यता प्रदान की गई थी। इतना ही नहीं, गांधीजी की अपील पर कैंपस में छात्रों ने विदेशी कपड़ों की होली जलाई थी। वह एएमयू तीन बार आये हैं। उन्हीं से प्रभावित होकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र ने शहर के रसलगंज में खादी भंडार खोला था।
विख्यात इतिहासकार एवं प्रो. एमरेट्स इरफान हबीब ने महात्मा गांधी के अलीगढ़ आगमन की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपिता पहली बार वर्ष 1916 में एमएओ कॉलेज आए थे। वह निशात कोठी जो वर्तमान में अलीगढ़ पब्लिक स्कूल हैं, वहां आमिर मुस्तफा शेरवानी के यहां रुके थे। इसके बाद दूसरी बार 12 अक्टूबर 1920 को आए। इस बार विश्वविद्यालय की छात्र यूनियन की ओर से उन्हें छात्र संघ की आजीवन सदस्यता प्रदान की गई। उस समय वह कैंपस में ही हबीब बाग में अब्दुल मजीद ख्वाजा के मकान में ठहरे थे। वह तीसरी बार पांच नवंबर 1929 को अलीगढ़ आए थे। इस बार वह पत्नी कस्तूरबा गांधी को भी साथ लेकर आये थे।
बापू ने की थी खादी के इस्तेमाल की अपील :
एएमयू विद्यार्थियों से महात्मा गांधी ने खादी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल की अपील की थी। पूर्व छात्र मो. हरसत मोहानी ने रसलगंज में खादी भंडार खोलकर स्वदेशी आंदोलन का हवा दी थी। उन्होंने यह भंडार गांधाजी के विचारों से प्रभावित होकर ही खोला था। इतना ही नहीं, उनके आह्वान पर कैंपस में विदेशी सामान की होली भी जलाई गई थी।
एएमयू के लाइब्रेरी में आज भी संरक्षित है गांधीजी द्वारा लिखे पत्र :
महात्मा गांधी की ओर से अब्दुल मजीद ख्वाजा व छात्रसंघ के पूर्व सचिव अब्दुल बारी को कई पत्र लिखे गये। यह पत्र वर्तमान में यूनिवर्सिटी की मौलाना आजाद लाइब्रेरी में संरक्षित हैं। जिनको हर बार प्रदर्शनी के रूप में रखा जाता है।
दसवीं की पढ़ाई करते समय पहली बार देखे थे गांधीजी : इरफान हबीब
-इतिहासकार इरफान हबीब यादगार पलों को याद करते हुए बताते हैं कि वह जब दसवीं की पढ़ायी कर रहे थे, उस समय पहली बार गांधीजी को देखा था। यह बात वर्ष 1946-47 की है। गांधीजी की प्रार्थना सभा में उनके पिताजी शामिल हुए थे। उन्हीं के साथ जाने का अवसर मिला था।
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