Gandhi Jayanti 2022: महात्मा गांधी जयंती पर जानें उनके जीवन से जुड़ी 20 दिलचस्प बातें
Gandhi Jayanti 2022: क्या आप जानते हैं कि गांधी जी के नाम के साथ महात्मा कब और किसने जोड़ा? क्या आप जानते हैं 15 अगस्त 1947 को जब भारत आजाद हुआ, तब गांधी जी आजादी के जश्न में नहीं थे।
Gandhi Jayanti 2022: हर साल देश में 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। बापू के जन्मदिवस को पूरा राष्ट्र राष्ट्रीय पर्व के तौर पर मनाता है और उनके सत्य व अहिंसा के विचारों को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है। इस दिन पूरे देश में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस की तरह इस दिन राष्ट्रीय पर्व का दर्जा दिया गया है। गांधी जी के विचारों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित कर रखा है। गांधी ने सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलकर अंग्रेजों को कई बार घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। यह बात सही है कि गांधी जी भारत की आजादी की लड़ाई में 1915 से सक्रिय हुए। और आजादी की जंग उसके कई दशकों पहले से चल रही थी। लेकिन गांधी जी की एंट्री ने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में जबरदस्त जान फूंकी।
2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जन्मे महात्मा गांधी की अहिंसक नीतियों, नैतिक आधारों, अद्भुत नेतृत्व क्षमता ने और अधिक लोगों को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ा। उन्होंने सभी धर्मों को एकसमान मानने, सभी भाषाओं का सम्मान करने, पुरुषों और महिलाओं को बराबर का दर्जा देने और दलितों-गैर दलितों के बीच की युगों से चली आ रही खाई को पाटने पर जोर दिया।
यहां पढ़ें गांधी जी के जीवन से जुड़े रोचक तथ्य:
1. -कवि और नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने गांधीजी को महात्मा की उपाधि दी थी।
2- यह तो सभी जानते हैं कि महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहकर संबोधित किया जाता है, लेकिन बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि उन्हें यह उपाधि किसने दी थी? महात्मा गांधी को पहली बार सुभाष चंद्र बोस ने 'राष्ट्रपिता' कहकर संबोधित किया था। 4 जून 1944 को सिंगापुर रेडिया से एक संदेश प्रसारित करते हुए 'राष्ट्रपिता' महात्मा गांधी कहा था।
3- स्कूल में गांधी जी अंग्रेजी में अच्छे विद्यार्थी थे, जबकि गणित में औसत व भूगोल में कमजोर छात्र थे। उनकी हैंडराइटिंग बहुत सुंदर थी।
4- महान आविष्कारक अल्बर्ट आइंस्टीन बापू से खासे प्रभावित थे। आइंस्टीन ने कहा था कि लोगों को यकीन नहीं होगा कि कभी ऐसा इंसान भी इस धरती पर आया था।
5- उन्हें अपनी फोटो खिचंवाना बिल्कुल पसंद नहीं था।
6- वह अपने नकली दांत अपनी धोती में बांध कर रखा करते थे। केवल खाना खाते वक्त ही इनको लगाया करते थे।
7- उन्हें 5 बार नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। 1948 में पुरस्कार मिलने से पहले ही उनकी हत्या हो गई।
8- उनकी शवयात्रा में करीब दस लाख लोग साथ चल रहे थे और 15 लाख से ज्यादा लोग रास्ते में खड़े हुए थे।
9- श्रवण कुमार की कहानी और हरिश्चन्द्र के नाटक को देखकर महात्मा गांधी काफी प्रभावित हुए थे।
10- राम के नाम से उन्हें इतना प्रेम था की अपने मरने के आखिरी क्षण में भी उनका आखिरी शब्द राम ही था।
11- साल 1930 में उन्हें अमेरिका की टाइम मैगजीन ने Man Of the Year से उपाधि से
नवाजा था।
12- 1934 में भागलपुर में भूकंप पीड़ितों की मदद के लिए उन्होंने अपने ऑटोग्राफ के लिए पांच-पांच रुपये की राशि ली थी।
13- क्या आपको इस बात की जानकारी है कि जब 15 अगस्त 1947 को भारत को आजादी मिली थी तो महात्मा गांधी इस जश्न में नहीं थे। तब वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
14- आजादी की निश्चित तिथि से दो सप्ताह पहले ही गांधीजी ने दिल्ली को छोड़ दिया था। उन्होंने चार दिन कश्मीर में बिताए और उसके बाद ट्रेन से वह कोलकाता की ओर रवाना हो गए, जहां साल भर से चला रहा दंगा खत्म नहीं हुआ था।
15- गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन 24 घंटे का उपवास करके मनाया था। उस वक्त देश को आजादी तो मिली थी लेकिन इसके साथ ही मुल्क का बंटवारा भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में लगातार हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे हो रहे थे। इस अशांत माहौल से गांधीजी काफी दुखी थे।
16. जिस देश के खिलाफ उन्होंने भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी, उसी देश ग्रेट ब्रिटेन ने उनकी मृत्यु के 21 साल बाद उनके सम्मान में एक डाक टिकट जारी किया।
17. गांधी जी और मशहूर लेखक लियो टॉल्सटॉय के बीच पत्रों के जरिए बातचीत होती थी।
18. गांधी अपने जीवन में 12 देशों के नागरिक अधिकार आंदोलनों के साथ जुड़े रहे।
19. गांधी जी फुटबॉल के बड़े फैन थे। जब वह साउथ अफ्रीका में रहा करते थे, तब उन्होंने प्रीटोरिया और जोहान्सबर्ग में दो फुटबाल क्लबों की स्थापना की।
20. गांधी जी की शादी सिर्फ 13 साल की उम्र में हो गई थी। 1882 में उनकी शादी 14 बरस की कस्तूरबा के साथ करा दी गई थी।
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