फाइनल ईयर की परीक्षाएं हो सकती हैं रद्द, अक्टूबर से शुरू हो सकता है नया सत्र
कोराना वायरस संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतिम वर्ष के छात्रों की जुलाई में होने वाली परीक्षाएं रद्द की जा सकती हैं। इसी तरह...
कोराना वायरस संक्रमण से पीड़ित लोगों की संख्या में वृद्धि को देखते हुए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में अंतिम वर्ष के छात्रों की जुलाई में होने वाली परीक्षाएं रद्द की जा सकती हैं। इसी तरह नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत को अक्तूबर तक टाला जा सकता है। मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) से कहा है कि वह इंटरमीडिएट और टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षा और शैक्षणिक कलेंडर के संबंध में पहले से जारी दिशा-निर्देशों का पुनरीक्षण करे। अधिकारियों के मुताबिक, हरियाणा विश्वविद्यालय के कुलपति आरसी कुहाड़ की अध्यक्षता में गठित समिति को दिशा-निर्देशों पर फिर से विचार करने और विकल्पों के साथ आने के लिए कहा गया है। पुनरीक्षित दिशा-निर्देशों को यूजीसी एक हफ्ते में घोषित कर सकता है।
छात्रों को पूर्व प्रदर्शन के आधार पर अंक मिले : विशेषज्ञ
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि संशोधित दिशा-निर्देशों का आधार छात्रों और शिक्षकों का स्वास्थ्य और सुरक्षा होगी। कई विशेषज्ञों का मानना है कि संशोधित शैक्षणिक कलेंडर के तहत अधिकतर विश्वविद्यालयों की जुलाई में होने वाली परीक्षाओं को रद्द कर दिया जाए और प्रत्येक विद्यार्थी के पहले के प्रदर्शन के आधार पर उसे अंक दिए जाएं।"
नाखुश छात्रों की परीक्षा कोरोना काल के बाद ली जाए
उन्होंने बताया, "पिछली परीक्षाओं के आधार पर दिए गए अंकों से जो छात्र खुश नहीं होंगे, उन्हें अंक सुधारने के लिए बाद में परीक्षा देने का मौका दिया जा सकता है और यह परीक्षा तब ली जा सकती है जब महामारी मंद पड़ जाए।" अधिकारी ने बताया "इसी तरह से, नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत को अक्तूबर तक टाला जा सकता है। गत योजना के मुताबिक, यह पहले से भर्ती छात्रों के लिए अगस्त में और नए विद्यार्थियों के लिए सितंबर में शुरू होना था। विचार-विमर्श जारी है और इस संबंध में अंतिम दिशा-निर्देश जल्द ही घोषित किए जाएंगे।" उन्होंने कहा, " बहरहाल, जो भी दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे, उनकी कोविड-19 की स्थिति के अनुसार समीक्षा की जा सकेगी।"
यूजीसी ने दो समितियों के आधार पर दिशा-निर्देश दिया था
यूजीसी ने लॉकडाउन के कारण शैक्षणिक नुकसान को टालने और छात्रों के भविष्य के लिए उचित उपायों पर विचार-विमर्श करने के लिए दो समितियां गठित की थीं। एक समिति प्रो. कुहाड़ की अध्यक्षता में गठित की गई थी। जबकि, दूसरी समिति इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के कुलपति नागेश्वर राव की अगुवाई में बनाई गई थी। इसका काम ऑनलाइन शिक्षा में सुधार करने के उपाय सुझाना था। दो समितियों की सिफारिश पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने 29 अप्रैल को दिशा-निर्देश घोषित किए थे, जिनमें अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा जुलाई में लेने की अनुशंसा की गई थी।
शिक्षण संस्थान 16 मार्च से बंद हैं
समूचे देश के विश्वविद्यालय और स्कूल 16 मार्च से बंद हैं। तब कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए शिक्षण संस्थानों को बंद करने की घोषणा की गई थी। इसके बाद 24 मार्च को राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई थी जो अगले दिन से अमल में आया। हालांकि सरकार ने प्रतिबंधों में कई रियायतें दी हैं, लेकिन स्कूल और कॉलेज बंद ही हैं।
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