42000 प्रारंभिक शिक्षक भर्ती में चयनित 562 अभ्यर्थियों के टेट-सीटेट प्रमाणपत्र फर्जी
राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों के लिए अंतिम रूप से चयनित 42 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट-सीटेट) के प्रमाण पत्रों की जांच में शिक्षा विभाग को कुल 920 अभ्यर्थियों की पात्रता...
राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों के लिए अंतिम रूप से चयनित 42 हजार शिक्षक अभ्यर्थियों की शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट-सीटेट) के प्रमाण पत्रों की जांच में शिक्षा विभाग को कुल 920 अभ्यर्थियों की पात्रता संदेहास्पद मिली है। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने प्रेस कांफ्रेंस में इसका खुलासा किया।
मंत्री ने कहा कि 920 अभ्यर्थियों में से 562 के पात्रता प्रमाण फर्जी व फेक पाये गये हैं। वहीं 358 अभ्यर्थियों की पात्रता संदेह के घेरे में हैं। इनकी जांच और गहनता से की जा रही है। उन्होंने बताया कि सेंट्रल टीईटी के 93 सर्टिफिकेट भोजपुर में मिले हैं। 65 फेक प्रमाण पत्र वाले पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर में 29, नालंदा में सीटीईटी के 13 फर्जी प्रमाण पत्र मिले हैं। बात बिहार टीईटी की करें तो नालंदा में इसके 25 जबकि सीवान में 35 डिग्री सत्यापन में फर्जी पाये गये हैं। खासबात यह है कि ये सभी डिग्रीधारी तीन चरणों में सम्पन्न नियोजन प्रक्रिया से गुजरते हुए अंतिम रूप से चयनित हुए हैं।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि फेक डिग्री वाले सभी 562 अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ इनपर आपराधिक मुकदमा दर्ज होगा। संबंधित जिला शिक्षा प्रशासन द्वारा इनपर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इन्होंने नियोजन प्रक्रिया को न सिर्फ बाधित किया है बल्कि दूसरे मेधावी उम्मीदवारों की हकमारी भी की है। उन्होंने अपील की कि आगे की नियोजन प्रक्रिया में कोई भी फर्जी प्रमाण पत्र वाले आवेदन न करें। विभाग अब इन सभी 562 फर्जी टेट-सीटेट प्रमाण पत्र वालों के अन्य प्रमाण पत्रों की भी जांच कराई जाएगी। श्री चौधरी ने बताया कि केवल टेट-सीटेट सत्यापन में सही पाए गए चयनित अभ्यर्थी बहाल तो किये जा रहे हैं लेकिन प्रशिक्षण प्रमाण पत्रों की जांच में कोई फर्जी निकला तो न सिर्फ उनकी नौकरी जाएगी बल्कि उनको भुगतेय राशि की वसूली तथा कानूनी कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
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