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कानपुर में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियों का भंडाफोड़, उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग के नाम से जाली मेल

राज्य में माध्यमिक व उच्च शिक्षा में शिक्षकों की कमी को दूर करने लिए उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग का गठन किया गया था। आयोग ने अभी पूरी तरह से कार्य करना शुरू नहीं कर पाया लेकिन आयोग के नाम से फर्जीवाड

Alakha Ram Singh वरिष्ठ संवाददाता, कानपुरSun, 28 April 2024 08:44 AM
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कानपुर में शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति का भंडाफोड़ हुआ है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के नाम से ई-मेल किए गए फर्जी पैनल (शिक्षक सूची) से शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई। नवंबर में जारी इस सूची से नौ को नियुक्ति पत्र भी दे दिए गए। इसमें से एक ने ज्वॉइन भी कर लिया था। फर्जी शिक्षक को अब तक 2.59 लाख रुपये वेतन भुगतान भी हो चुका है। मामला खुलने पर शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। अपर शिक्षा निदेशक ने शनिवार को शाम पत्र जारी कर प्रदेश भर के जिला विद्यालय निरीक्षकों को सतर्क किया है।

सूत्रों के अनुसार फर्जी सूची ई-मेल के माध्यम से जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) कार्यालय आई थी। इनमें नौ शिक्षकों के नाम थे। इस आधार पर सूची के सत्यापन के बाद बालक विद्यालयों के नियुक्ति पत्र डीआईओएस-प्रथम और बालिका विद्यालयों के पत्र डीआईओएस द्वितीय को जारी करने थे। डीआईओएस द्वितीय ने दो शिक्षिकाओं को नियुक्ति पत्र नवंबर/दिसंबर में ही जारी कर दिए। तत्कालीन डीआईओएस प्रथम का स्थानांतरण हो जाने के कारण बालक विद्यालयों के नियुक्ति पत्र मार्च में जारी किए गए।

फर्जी सूची के आधार पर मिर्जापुर की विनीता देवी (सामाजिक विज्ञान) ने मदन मोहन अग्रवाल इंटर कॉलेज में ज्वॉइन कर लिया। उन्हें वेतन भी मिल रहा है। आर्य कन्या इंटर कॉलेज में वाराणसी की रिक्षा पांडेय ने नागरिक शास्त्र प्रवक्ता पद पर ज्वॉइन करने के लिए प्रबंधक पर दबाव डाला। प्रबंधक ने 27 फरवरी को कार्यभार पत्र तो जारी किया लेकिन शिकायत आयोग से कर दी। शिकायत का कारण बिना पद के नियुक्ति करना था। आयोग ने जांच की तो पता चला जिस पैनल से शिक्षिका को नियुक्ति पत्र मिला वह आयोग ने जारी ही नहीं किया था। इस पत्र से फर्जीवाड़ा खुला।

जिला विद्यालय निरीक्षक अरुण कुमार ने बताया कि कूटरचित पैनल में कुल 09 नाम हैं। एक या दो ने ज्वॉइन भी कर लिया है। मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को इसकी जानकारी दे दी गई है। जांच शुरू कर दी गई है। जांच पूरी होते ही सम्बंधित लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी। विभाग से भी बिना सत्यापन नियुक्ति पत्र न जारी करने के निर्देश मिले हैं। 

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