इंजीनियरिंग छात्र हिन्दी में नहीं करना चाहते पढ़ाई, हिंदी माध्यम की किताबें और प्रशिक्षित टीम है एनआईटी में
हिन्दी पट्टी का संस्थान होने के बावजूद यहां के छात्र हिन्दी में पढ़ना नहीं चाह रहे हैं। संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार मात्र पांच छात्रों ने हिन्दी भाषा को पढ़ाई के विकल्प के रूप में लिया।
प्लेसमेंट और विदेशों में पढ़ाई की चिंता से एनआईटी पटना के इंजीनियरिंग के छात्र हिन्दी में पढ़ाई से दूरी बना रहे हैं। जबकि नई शिक्षा नीति के तहत इंजीनियरिंग की पढ़ाई क्षेत्रीय भाषा में कराने को लेकर सरकार और संस्थान गंभीर हैं। एक साल पहले ही एनआईटी पटना ने हिन्दी माध्यम में अभियांत्रिकी की पढ़ाई का विकल्प छात्रों को दिया था।
हिन्दी पट्टी का संस्थान होने के बावजूद यहां के छात्र हिन्दी में पढ़ना नहीं चाह रहे हैं। संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार मात्र पांच छात्रों ने हिन्दी भाषा को पढ़ाई के विकल्प के रूप में लिया। लेकिन सभी ने बाद में इसे छोड़ अंग्रेजी माध्यम को अपना लिया। नये सत्र के इंडक्शन कार्यक्रम में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई के लिये छात्र-छात्राओं को प्रेरित किया जा रहा है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं दिख रहा है। एनआईटी के डीन (एकेडमिक) संजीव कुमार सिन्हा ने बताया कि विद्यार्थी प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाषायी उलझनों से आशंकित होकर ऐसा कर रहे हैं। नये सत्र में निदेशक प्रो. पीके जैन भी छात्रों को हिन्दी अपनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। प्लेसमेंट कंपनियों को भी हिन्दी भाषी छात्रों के साथ उदारता बरतने की सलाह दी जा रही है। नए छात्रों के लिए भाषा के विकल्प का चयन अभी खुला रखा गया है। इस सत्र में बेहतरी के आसार हैं।
हिंदी माध्यम की किताबें और प्रशिक्षित टीम है एनआईटी में
एनआईटी पटना ने पिछले सत्र में ही अभियांत्रिकी से जुड़ी हिंदी भाषा की किताबें उपलब्ध कराईं थीं। साथ ही शिक्षकों को भी इसके लिये प्रशिक्षित किया गया। क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाई के फायदे से भी छात्रों को अवगत कराया गया। विशेषज्ञों का कहना है कि एक-दो छात्रों की उल्लेखनीय उपलब्धियां ही अन्य छात्रों को क्षेत्रीय भाषा या हिन्दी को विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित कर सकेंगी।
एक भी छात्र ने नहीं बनाया है हिन्दी को विकल्प
एनआईटी पटना में इस बार बिहार से 473, उत्तर प्रदेश 178, आंध्र प्रदेश 75, तेलंगाना 42 एवं झारखंड से 25, तेलंगाना 42, हरियाणा 11, मध्य प्रदेश 15, महाराष्ट्र 21, पश्चिमी बंगाल 10, पंजाब, जम्मू, दादर, असम, हिमाचल एवं अरुणाचल प्रदेश के एक-एक के साथ अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों ने भी एनआईटी में दाखिला लिया है। अब तक 25 राज्यों के छात्र एनआईटी में एडमिशन ले चुके हैं। लेकिन इस वर्ष एक भी छात्र ने हिन्दी को विकल्प के रूप में नहीं अपनाया है।
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