DU SOL : दिल्ली विश्वविद्यालय एसओएल के पास प्रदर्शन पर रोक
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के बाहर अब प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। एसओएल प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थान के 200 मीटर के दायरे...
दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (एसओएल) के बाहर अब प्रदर्शन करने वाले छात्रों को पुलिस कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। एसओएल प्रशासन ने शैक्षणिक संस्थान के 200 मीटर के दायरे में किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन पर रोक लगा दी है। इसके लिए एसओएल प्रशासन ने उच्च न्यायालय के एक निर्णय का हवाला दिया है।
एसओएल के कार्यवाहक प्रिंसिपल प्रो. उमाशंकर पांडेय का कहना है कि एसओएल से संबद्ध छात्र मेधावी, अनुशासित और अध्ययनशील हैं लेकिन कई ऐसे छात्र और बाहरी लोग हैं जो अनावश्यक विरोध प्रदर्शन कर शैक्षणिक माहौल बिगाड़ रहे हैं। ये वही लोग हैं जिन्होंने पूर्व में एसओएल प्रशासन के अधिकारियों के साथ मारपीट की थी और महिलाओं के साथ अभद्रता की थी।
उन्होंने कहा कि यह निर्णय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में बाधक नहीं है, क्योंकि यह आदेश उच्च न्यायालय ने एक मामले में दिया है कि किसी भी शैक्षणिक संस्थान के 200 मीटर के दायरे में विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है।
पुलिस को भी पत्र : एसओएल प्रशासन ने इस बाबत मॉरिस नगर थाना के एसएचओ को भी पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि पिछले 15 दिनों से देखा गया है जब दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रों के लिए खोला गया है, अनधिकृत व्यक्तियों के कुछ समूह विशेष रूप से क्रांतिकारी युवा संगठन (केवाईएस) से जुड़े लोग विरोध कर रहे हैं। एसओएल मेन गेट के सामने प्रदर्शन और धरना, पिछले हफ्ते भी इस समूह ने एसओएल के सुरक्षा कर्मचारियों के साथ हाथापाई की। एसओएल की छात्र सहायता सेवाओं को बाधित किया, जिससे हजारों छात्रों को नुकसान उठाना पड़ा। अनुरोध है कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश का सख्ती से पालन करें।
जेएनयू और डीयू भी दे चुके हैं ऐसा निर्देश
सबसे पहले 2016 के बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय ने अपने यहां प्रशासनिक भवन के बाहर विरोध प्रदर्शन में उच्च न्यायालय के निर्णय का हवाला दिया था। इसका छात्र संगठनों ने विरोध किया था। बार बार विश्वविद्यालय प्रशासन की चेतावनी के बाद भी छात्र नहीं माने और जेएनयू प्रशासन ने उनपर न केवल अनुशासनात्मक कार्रवाई की, बल्कि आर्थिक दंड भी लगाया। इसके बाद डीयू ने भी इस तरह का नियम अपने यहां निर्धारित किया जिसका न केवल छात्र संगठन बल्कि शिक्षक संगठनों ने भी विरोध किया।
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