DSSSB शिक्षक भर्ती : 10 साल में 4 बार भर्ती पर 70 फीसदी सीट खाली
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के 10 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकारी व नगर निगम स्कूलों में कम से कम दो की बात छोड़िए, एक-एक विशेष शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई। विशेष शिक्षकों की...
दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के 10 साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी सरकारी व नगर निगम स्कूलों में कम से कम दो की बात छोड़िए, एक-एक विशेष शिक्षकों की नियुक्ति भी नहीं हो पाई। विशेष शिक्षकों की लगभग 70 फीसदी सीटें खाली पड़ी हैं। उच्च न्यायालय के आदेश पर दिल्ली अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड (डीएसएसएसबी) ने सरकारी व नगर निगम के स्कूलों के लिए विशेष शिक्षकों की कुल 2,869 पदों पर भर्तियां निकाली थी। लेकिन, इनमें से कुल 2,043 सीटों को भरने के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिले। नगर निगम की ओर से जस्टिस ए.के. चावला के समक्ष दाखिल हलफनामे के अनुसार इस बार निगम स्कूलों के लिए 1540 विशेष शिक्षकों के बहाली निकाली गई थी। लेकिन इनमें से महज 443 पदों को ही भरा जा सका है। निगम के हलफनामे के अनुसार अभी तक महज 315 विशेष शिक्षकों ने पदभार संभाला है।
इसी तरह कुछ दिन पहले, डीएसएसएसबी द्वारा पेश आंकड़ों के अनुसार सरकारी स्कूलों के लिए विशेष शिक्षकों की कुल 1329 सीटों में 281 सीटों को भरा जा सका है और 63 सीटों का परिणाम लंबित रखा गया है। डीएसएसएसबी विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 2011 से लेकर चार दौर की भर्ती आयोजित कर चुकी है। खाली पदों को डीएसएसएसबी ने सरकार और नगर निगम को वापस भेज दिया है।
वजह
विशेष शिक्षकों की सीटें खाली रह जाने की तीन प्रमुख वजह बताई जा रही हैं। इन वजहों को दूर करने के लिए उच्च न्यायालय के साथ-साथ दिव्यांगजनों के लिए राज्य आयुक्त की अदालत में अलग-अलग मुकदमा लंबित है।
1. अधिक उम्रसीमा
विशेष शिक्षकों की सीटें खाली रह जाने के पीछे इसके लिए योग्य उम्मीदवारों की उम्रसीमा अधिक होने को भी प्रमुख वजह माना जा रहा है। अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि योग्य उम्मीदवारों की कमी नहीं है। लेकिन तय मानक से उनकी उम्र अधिक हो चुकी है।
2 सीटीईटी अनिवार्य होना
विशेष शिक्षकों की नियुक्ति के लिए केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) की अनिवार्यता को भी प्रमुख वजह माना जा रहा है। अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ के उप महासचिव नवीन कुमार ने कहा कि सीटीईटी अनिवार्य होने के कारण ही हर बार विशेष शिक्षकों की सीटें खाली रह जाती है। उन्होंने कहा कि विशेष शिक्षकों की नियुक्ति में सीटीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने की मांग को लेकर दिव्यांगजनों के लिए राज्य आयुक्त की अदालत में मुकदमा भी दाखिल है। याचिका में भारतीय पुनर्वास परिषद (अरसीआई) द्वारा तय मानकों के हिसाब से विशेष शिक्षकों की नियुक्ति करने की मांग की गई है।
3. प्रशिक्षण संस्थानों की गुणवत्ता में गिरावट
नवीन कुमार ने बताया कि विशेष शिक्षक हो या सामान्य शिक्षक, इनके प्रशिक्षण व पाठ्यक्रम के लिए अधिकांश संस्थान निजी हैं। सभी पैसे लेकर प्रमाण पत्र बांट रहे हैं, यही वजह है कि छात्रों के पास डिग्री है लेकिन भर्ती परीक्षा में न्यूनतम अहर्ता अंक भी नहीं ला पाते हैं। उन्होंने इसे भी विशेष शिक्षकों की सीटें खाली रहने की प्रमुख वजह बताया।
अनुबंध पर रखे जाएं
अखिल दिल्ली प्राथमिक शिक्षक संघ के उप महासचिव नवीन कुमार ने कहा है कि सरकार और नगर निगमों को इन खाली सीटों को भरने तक अनुबंध पर विशेष शिक्षक रखने चाहिए। ताकि मूक बधिर, दृष्टिहीन व मानसिक रूप से कमजोर छात्रों को समुचित शिक्षा मिल सके।
निजी स्कूलों में भी पालन नहीं
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि उच्च न्यायालय ने निजी स्कूलों को भी मूक, बधिर, नेत्रहीन और मानसिक तौर पर कमजोर छात्रों को समुचित शिक्षा मुहैया कराने के लिए विशेष शिक्षक नियुक्त करने का आदेश दिया था। लेकिन, निजी स्कूलों ने भी आदेश का पालन नहीं किया।
यह था न्यायालय का आदेश
उच्च न्यायालय ने गैर सरकारी संगठन सोशल ज्यूरिस्ट की जनहित याचिका पर फैसला देते हुए 16 सितंबर, 2009 को सभी सरकारी व नगर निगमों के स्कूलों में कम से कम दो-दो विशेष शिक्षकों की नियुक्ति किए जाने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद सरकार और नगर निगमों ने विशेष शिक्षकों के कुल 2500 विशेष शिक्षकों की भर्ती निकाली थी।
सरकारी स्कूलों के लिए कब-कब भर्ती निकली
2011 : डीएसएसएसबी ने 858 विशेष शिक्षकों की भर्ती निकाली। बाद में इसे रद्द करना पड़ा।
2013 : डीएसएसएसबी ने 927 विशेष शिक्षकों की भर्ती निकाली। 695 सीटें खाली रह गईं।
2014 : डीएसएसएसबी ने 670 विशेष शिक्षकों की भर्ती निकाली। 419 सीटें खाली रहीं।
2017 : डीएसएसएसबी ने सरकारी स्कूलों के लिए 1,329 और नगर निगम के स्कूलों के लिए 1,540 विशेष शिक्षकों की भर्ती निकाली थी। करीब 2000 सीटें खाली रह गईं।
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