Constitution of India : 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर जानें संविधान की 15 खास बातें, भाषण में आएंगी काम
Constitution of India , 75th Republic Day of India : 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। इस ऐतिहासिक दिन की याद में हर वर्ष देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है।
Constitution of India : 26 जनवरी 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत देश एक लोकतांत्रिक, संप्रभु तथा गणतंत्र देश घोषित किया गया था। इस ऐतिहासिक दिन की याद में हर वर्ष देश में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। इस दिन देशभर में राष्ट्रीय अवकाश रहता है। हमारा संविधान देश के नागरिकों को लोकतांत्रिक तरीके से अपनी सरकार चुनने का अधिकार देता है। यह संविधान ही है तो हमें मौलिक अधिकारों की गारंटी देता है। देश की सरकार किन नियमों से चलेगी व बनेगी, उसकी शक्तियां व सीमाएं क्या होंगी, कानून कायदे क्या होंगे, इन सबका उल्लेख संविधान में ही होता है। संविधान से ही ये सारी व्यवस्था चलती है।
Constitution Day of India : यहां पढ़ें भारतीय संविधान की खास बातें
1. दो महीने बन चुका था संविधान
26 जनवरी को जो संविधान लागू किया गया लेकिन वह दो माह पहले 26 नवंबर को बनकर तैयार हो चुका था। 26 नवंबर को देश ने संविधान अपना लिया था। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।
2. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है। पूरा संविधान तैयार करने में 2 वर्ष, 11 माह 18 दिन लगे थे। यह 26 नवंबर, 1949 को पूरा हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ था।
3. बैग ऑफ बोरोविंग - भारत के संविधान में कई देशों के संविधान की विशेषताओं को अपनाया गया है। भारत के संविधान को ‘Bag of Borrowings’ भी कहा जाता है क्योंकि इसके ज्यादातर प्रावधान अन्य देशों से लिए गए हैं। इसके कई हिस्से यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिये गये हैं। इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है। विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का क्या काम है, उनकी देश को चलाने में क्या भूमिका है, इन सभी बातों का जिक्र संविधान में है।
4. - टाइप नहीं हाथ से लिखी है संविधान की ऑरिजनल कॉपी
भारतीय संविधान की ये मूल प्रतियां टाइप या मुद्रित नहीं थीं। संविधान की असली कॉपी अंग्रेजी में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने हाथ से लिखी थी। ये बेहतरीन कैलीग्राफी के जरिए इटैलिक अक्षरों में लिखी गई है। इसके हर पन्ने को शांतिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) के कलाकारों राममनोहर सिन्हा और नंदलाल बोस ने सजाया था।
5. कहां रखी हैं संविधान की प्रतियां
संविधान की हस्तलिखित प्रतियों को संसद के पुस्तकालय में हीलियम में रखा गया है। कांच से बने इन पारदर्शी मगर सीलबंद बक्सों में नाइट्रोजन भरी है, जो पांडुलिपि के कागज को खराब नहीं होने देती। ये दोनों बॉक्स अमेरिका की एक कंपनी ने कैलिफोर्निया में बनाए थे।
6. कैसी दिखती है मूल प्रति
- 16 इंच चौड़ी है संविधान की मूल प्रति
- 22 इंच लंबे चर्मपत्र शीटों पर लिखी गई है
- 251 पृष्ठ शामिल थे इस पांडुलिपि में
7. - संविधान की असली प्रतियां हिंदी और इंग्लिश दो भाषाओं में लिखी गई थीं।
8. भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।
9. डॉ. भीमराव आंबेडकर को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है। भारत के पहले कानून मंत्री डॉ. भीमराम अंबेडकर संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
10. भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है।
11. भारत के संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया था। भारत की संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों से निपटने के लिये कुल 13 समितियों का गठन किया था।
12. अंबेडकर ने क्यों कही थी संविधान जलाने की बात
आजादी के बाद एक बार ऐसा मौका आया था जब भारतीय संविधान के निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर इस संविधान को जलाना चाहते थे। 2 सितंबर 1953 को राज्यसभा में राज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने के मुद्दे पर जोरदार बहस हो रही थी। तब अंबेडकर ने कहा था, 'मेरे मित्र मुझसे कहते हैं कि मैंने संविधान को बनाया है, लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि इसे जलाने वाला पहला व्यक्ति भी मैं ही होउंगा। मुझे इसकी कोई जरूरत नहीं है क्योंकि ये किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। बहुसंख्यक यह नहीं कह सकते हैं कि अल्पसंख्यकों को महत्व देने से लोकतंत्र को नुकसान होगा। असल में अल्पसंख्यकों को नुकसान पहुंचाना सबसे ज्यादा नुकसानदायक होगा।’ अंबेडकर हमेशा से बहुसंख्यकों द्वारा अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के सख्त खिलाफ थे। बाद में उन्होंने ऐसी बात कहने का कारण बताते हुए कहा था, 'अगर हम भगवान के रहने के लिए कोई मंदिर बनाते हैं। लेकिन उसमें कोई राक्षस आकर रहने लगे। ऐसे में हमारे पास मंदिर तोड़ने के लिए अलावा कोई रास्ता नहीं बचेगा। क्योंकि हमने तो मंदिर भगवान के लिए बनाया था, राक्षस के लिए नहीं।'
13. 432 निब घिसीं
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को हाथ से संविधान लिखने में 6 महीने लगे और कुल 432 निब घिस गईं।
14. लिखने की कोई फीस नहीं ली
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान लिखने की कोई फीस नहीं ली थी। उन्होंने हर पेज पर अपना नाम और अंतिम पेज पर अपने गुरु व दादा मास्टर राम प्रसाद सक्सेना का नाम लिखने की शर्त रखी थी।
15. संविधान की हिंदी कॉपी कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखी है।
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