Constitution Day 2021 : भारतीय संविधान के निर्माण में इन 15 महिलाओं ने निभाई अहम भूमिका
Constitution Day 2021 : भारत का संविधान भले ही 26 जनवरी 1950 को अमल में आया था, लेकिन देश की संविधान सभा ने इसे 26 नवंबर 1949 को ही स्वीकार कर लिया था। 389 सदस्यीय संविधान सभा में 15 विदुषी महिलाएं...
Constitution Day 2021 : भारत का संविधान भले ही 26 जनवरी 1950 को अमल में आया था, लेकिन देश की संविधान सभा ने इसे 26 नवंबर 1949 को ही स्वीकार कर लिया था। 389 सदस्यीय संविधान सभा में 15 विदुषी महिलाएं भी शामिल थीं। उन्होंने भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम योगदान दिया था। आइए शुक्रवार को संविधान दिवस ( Constitution Day 2021 ) के मौके पर इन महिलाओं के बारे में जानें-
1.अम्मू स्वामीनाथन
-22 अप्रैल 1894 को केरल के पालघाट में जन्मीं अम्मू स्वामीनाथन 1946 में संविधान सभा की सदस्य बनीं
-1917 में एनी बेसेंट, मार्ग्रेट कजिंस और मलाठी पटवर्धन के साथ मिलकर ‘वीमेंस इंडिया एसोसिएशन’ बनाया
-1952 में लोकसभा और 1954 में राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुईं, सेंसर बोर्ड और भारत स्काउट्स की अध्यक्षता की
2.दक्षायनी वेलायुधन
-04 जुलाई 1912 को कोच्चि में जन्मीं वेलायुधन अनुसूचित जाति से जुड़ी संविधान सभा की एकमात्र महिला सदस्य थीं
-1945 में कोच्चि विधान परिषद की सदस्य चुनी गईं, अनुसूचित जाति के लोगों की आवाज उठाने के लिए जानी जाती थीं
3.बेगम एजाज रसूल
-02 अप्रैल 1909 को मालेरकोटला के एक शाही परिवार में पैदा हुईं, संविधान सभा में शामिल एकमात्र मुस्लिम महिला थीं
-भारत सरकार अधिनियम 1935 के अमल में आने के बाद मुस्लिम लीग से जुड़ीं, 1937 में यूपी विधानसभा में निर्वाचित हुईं
-1969 से 1990 के बीच यूपी विधानसभा की सदस्य रहीं, 2000 में समाज सेवा में योगदान के लिए पद्म भूषण से नवाजी गईं
4.दुर्गाबाई देशमुख
-15 जुलाई 1909 को आंध्र प्रदेश के राजमंड्री में जन्मीं दुर्गाबाई देशमुख ने 12 साल की उम्र में असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया
-1930 में मद्रास में नमक सत्याग्रह में शामिल हुईं, 1936 में महिलाओं की शिक्षा एवं विकास के लिए ‘आंध्र महिला सभा’ गठित की
-केंद्रीय सामाजिक कल्याण बोर्ड और राष्ट्रीय महिला शिक्षा समिति की अध्यक्ष रहीं, शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए 1975 में पद्म विभूषण से सम्मानित हुईं
5.हंसा जीवराज मेहता
-03 जुलाई 1897 को बड़ौदा में जन्मीं हंसा मेहता इंग्लैंड से समाजशास्त्र और पत्रकारिता की पढ़ाई करने के बाद भारत लौटीं
-गुजराती भाषा में बच्चों के लिए कई प्रसिद्ध किताबें लिखीं, ‘गुलिवर्स ट्रेवल्स’ सहित कई बाल कहानियों का अनुवाद भी किया
-1945 में अखिल भारतीय महिला सम्मेलन की अध्यक्ष बनीं, अखिल भारतीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड और भारतीय अंतर-विश्वविद्यालय बोर्ड का नेतृत्व भी किया
6.कमला चौधरी
-22 फरवरी 1908 को लखनऊ के एक प्रतिष्ठित परिवार में पैदा हुईं, पढ़ाई जारी रखने के लिए कड़ा संघर्ष किया
-1930 में महात्मा गांधी के सविनय अवज्ञा आंदोलन में शामिल हुईं, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष रहीं
-साहित्य की दुनिया में भी नाम कमाया, आधुनिक भारत के उद्भव के अलावा महिलाओं के अंतर्मन पर लिखने के लिए जानी जाती थीं
7.लीला रॉय
-02 अक्तूबर 1900 को असम के गोलपाड़ा में जन्मीं रॉय ने महिलाओं को मताधिकार सहित अन्य अधिकार देने के लिए आवाज बुलंद की
-1923 में दीपाली संघ और स्कूलों की स्थापना कर देशभर में चर्चा पाई, 1938 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बनाई महिला उपसमिति से जुड़ीं
8.मालती चौधरी
-1904 में पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) में जन्मीं मालती चौधरी की गिनती बालिका एवं महिला शिक्षा के बड़े पैरोकारों में होती है
-1927 में नवकृष्ण चौधरी (जो आगे चलकर ओडिशा के मुख्यमंत्री बने) से शादी की, नमक सत्याग्रह में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया
-पिछड़े वर्ग के हक की आवाज उठाने के लिए भी जानी-जाती थीं, 1975 में भारत में लागू आपातकाल का जबरदस्त विरोध किया था
9.पूर्णिमा बनर्जी
-समाजवादी विचारधारा से प्रेरित पूर्णिमा बनर्जी किसानों, मजदूरों और ग्रामीणों से जुड़े मुद्दे उठाने के लिए जानी जाती थीं
-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन से जुड़े होने के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने उन्हें जेल भेजा था
10.राजकुमारी अमृत कौर
-02 फरवरी 1889 को लखनऊ में जन्मीं अमृत कौर भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री थीं, दस साल तक इस पद पर काबिज रहीं
-अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भारतीय टीबी संघ और कुष्ठ रोग प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान की स्थापना की
11.रेणुका रे
-आईसीएस अधिकारी संतीष चंद्र और सामाजिक कार्यकर्ता चारुलता मुखर्जी की बेटी रेणुका ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से बीए किया था
-पश्चिम बंगाल में अखिल बंगाल महिला संघ और महिला समन्वयक परिषद का गठन किया था, समान नागरिक संहिता के लिए आवाज बुलंद की
12.सरोजिनी नायडू
-13 फरवरी 1879 को हैदराबाद में जन्मीं सरोजिनी नायडू किसी भारतीय राज्य के राज्यपाल पद पर काबिज होने वाली पहली महिला थीं
-किंग्स कॉलेज लंदन और गिरटन कॉलेज कैंब्रिज से उच्च शिक्षा हासिल की, 1914 में इंग्लैंड में बापू से मुलाकात के बाद उनसे प्रभावित हुईं
-भारत की आजादी के लिए जीवन समर्पित कर दिया, असहयोग आंदोलन सहित कई आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए जेल भी गईं
13.सुचेता कृपलानी
-1908 में अंबाला में जन्मीं सुचेता कृपलानी को भारत छोड़ो आंदोलन में अग्रणी भूमिका के लिए याद किया जाता है
-कांग्रेस की महिला इकाई गठित की, किसी भारतीय राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने की उपलब्धि उन्हीं के नाम दर्ज है
14.विजयलक्ष्मी पंडित
-18 अगस्त 1900 को इलाहाबाद में जन्मीं विजयलक्ष्मी पंडित देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं
-कैबिनेट मंत्री के पद पर काबिज होने वाली पहली भारतीय महिला थीं, 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा की अध्यक्ष बन इतिहास रचा था
15.एनी मसकैरिनी
-तिरुवनंतपुरम के लातिन कैथोलिक परिवार में जन्मीं एनी ने त्रावणकोर राज्य में चल रहे स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुखता से हिस्सा लिया
-1939 से 1947 के बीच राजनीतिक गतिविधियों के चलते कई बार जेल भेजी गईं, केरल से सांसद चुनी जाने वाली पहली महिला थीं
स्रोत : एजेंसियां
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