Hindi Newsकरियर न्यूज़Commission will reinstate teachers in Bihar approval of new teacher recruitment rules from state cabinet

बिहार में आयोग करेगा शिक्षकों की बहाली, राज्य कैबिनेट से नई शिक्षक भर्ती नियमावली को मंजूरी

बिहार में अब पहली से 12 वीं कक्षा तक के शिक्षकों की बहाली आयोग के माध्यम से होगी। इसके लिए आयोग परीक्षा लेगा। कोई भी अभ्यर्थी अधिकतम तीन बार परीक्षा में बैठ सकेंगे। किस आयोग को परीक्षा लेने की जिम्मेद

Alakha Ram Singh हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाMon, 10 April 2023 09:11 PM
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बिहार में अब पहली से 12 वीं कक्षा तक के शिक्षकों की बहाली आयोग के माध्यम से होगी। इसके लिए आयोग परीक्षा लेगा। कोई भी अभ्यर्थी अधिकतम तीन बार परीक्षा में बैठ सकेंगे। किस आयोग को परीक्षा लेने की जिम्मेदारी मिलेगी, राज्य सरकार यह बाद में तय करेगी। मालूम हो कि वर्ष 2006 से ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से राज्य में शिक्षकों की नियुक्ति हो रही थी। 17 वर्षों बाद में इसमें बड़ा बदलाव किया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सोमवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली, 2023 को मंजूरी दी गई। इसके तुरंत बाद शिक्षा विभाग ने इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी है।

नई नियमावली में साफ किया गया है कि सीटीईटी और बीटीईटी (बिहार शिक्षक पात्रता परीक्षा) उत्तीर्ण ही आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में बैठ सकेंगे। साथ ही, बिहार के स्थायी निवासी ही आवेदन कर सकेंगे। पूर्व से नियोजित शिक्षक भी अगर चाहें तो इस परीक्षा में बैठ सकेंगे। इसके लिए उन्हें आयु सीमा में अधिकतम 10 वर्ष तक की सशर्त छूट मिलेगी। नई नियुक्ति नियमावली सोमवार से ही प्रभावी हो गई है। आज के बाद किसी भी शिक्षक की नियुक्ति आयोग की परीक्षा से ही होगी। आयोग के माध्यम से नियुक्त शिक्षक राज्य सरकार के कर्मचारी कहे जाएंगे। मालूम हो कि अब तक ग्राम पंचायत और नगर निकायों के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्ति होती थी। नियमावली में यह भी साफ किया गया है कि वर्ष 2012 से पूर्व नियुक्त एवं कार्यरत शिक्षक, जो दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण होंगे, उनके लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा में उत्तीर्णता अनिवार्य नहीं होगी।

महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण
पूर्व की भांति इस नियमावली में भी पहली से आठवीं कक्षा के शिक्षकों की नियुक्ति में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण मिलेगा। इसके अलावा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा लागू आरक्षण के प्रावधान इसमें भी लागू होंगे। इसके अंतर्गत नौवीं से 12 वीं तक में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। अब शिक्षकों का जिला संवर्ग होगा, लेकिन शिक्षकों का अंतरजिला स्थानांतरण भी हो सकेगा।

आयु : प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक अभ्यर्थियों की न्यूनतम आयु पहली अगस्त को 18 वर्ष तथा माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में न्यूनतम आयु 21 वर्ष होगी। कोटिवार अधिकतम आयु सीमा वही होगी, जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रावधानित किये जाएंगे। पूर्व में पात्रता परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के प्रथम समव्यवहार में अधिकतम 10 वर्ष की छूट होगी, लेकिन पंचायती राज संस्था एवं नगर निकाय संस्था अंतर्गत नियुक्त एवं कार्यरत शिक्षकों के लिए अधिकतम आयु की सीमा शिथिल करने के लिए राज्य सरकार अलग से निर्णय लेगी।

अनुकंपा पर नियुक्ति
इस नियमावली के अधीन नियुक्त विद्यालय अध्यापकों के सेवाकाल में मृत्यु होने पर उनके आश्रित की अनुकंपा पर निुयक्ति के संबंध में अलग से प्रावधान तय किया जाएगा।

आयोग को पदों की सूची भेजेगा विभाग
शिक्षा विभाग शिक्षकों के पद पर सीधी नियुक्ति के लिए जिलास्तर पर रिक्त पदों की गणना कर रोस्टर क्लीयरेंस के साथ सूची आयोग को भेजेगा। विभाग की अधियाचना के आलोक में आयोग विज्ञापन निकालेगा। आयोग द्वारा संचालित परीक्षा के आधार पर की गई अनुशंसा के आलोक में नियुक्ति होगी।

तीन लाख नियुक्ति करेगा आयोग
राज्य में विभिन्न कोटि के करीब तीन लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। इस तरह अब आयोग के माध्यम से इन पदों पर नियुक्ति होगी। वहीं, वर्ष 2006 से लेकर अब तक साढ़े चार लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति ग्राम पंचायतें और नगर निकायों के माध्यम से हुई हैं।

नियुक्ति प्रक्रिया पर लगातार उठ रहे थे सवाल
2006 से लागू ग्राम पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से नियुक्ति प्रक्रिया पर कई सवाल उठ रहे थे। इसमें बदलाव की मांग भी हो रही थी। सबसे बड़ी समस्या थी कि सभी पंचायतें और नगर निकाय की अलग-अलग इकाई थी, जिससे एक अभ्यर्थी एक ही नियुक्ति प्रक्रिया में दर्जनों जगहों पर आवेदन जमा करते थे। काउंसिलिंग के दिन अभ्यर्थी समझ नहीं पाते थे, कि वह कौन सी इकाई में उपस्थित हों। इससे चयन और फिर नियुक्ति में कई परेशानियां होती थीं। साथ ही, पंचायत और निकाय प्रतिनिधियों पर गड़बड़ी के आरोप लगते थे। प्रमाणपत्रों की जांच के लिए नियोजन इकाई कागजात उपलब्ध नहीं कराती थी।

राज्यकर्मियों का महंगाई भत्ता चार प्रतिशत बढ़ा
राज्य सरकार के कर्मियों और पेंशनभोगियों का महंगाई भत्ता 38 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत कर दिया गया है। एक जनवरी, 2023 के प्रभाव से यह लागू होगा। राज्य कैबिनेट ने इसकी स्वीकृति दे दी है। इस निर्णय से राज्य सरकार का सालाना 1690 करोड़ अतिरिक्त खर्च होगा। राज्य में 7.5 लाख से अधिक कर्मियों को इसका लाभ मिलेगा।

बिहार आकस्मिकता निधि कोष के लिए अब 10 हजार करोड़
बिहार आकस्मिकता निधि के स्थायी काय (कोष) जो 350 करोड़ का था, उसे बढ़ाकर वित्तीय वर्ष 2023-24 में 30 मार्च, 2024 तक के लिए अस्थायी रूप से 10 हजार करोड़ कर दिया गया है। मालूम हो कि इस मद की आधी राशि आपदा प्रबंधन व राहत में खर्च की जाती है।

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