सीसीएसयू एडमिशन: प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म नहीं भरा तो प्रवेश निरस्त होगा
CCSU कॉलेजों में प्रवेश लेने के बावजूद प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म नहीं भरने वाले छात्रों को द्वितीय सेमेस्टर में मौका नहीं मिलेगा। विवि ऐसे छात्रों का प्रवेश निरस्त कर देगा। इसके बाद छात्रों को
कॉलेजों में प्रवेश लेने के बावजूद प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म नहीं भरने वाले छात्रों को द्वितीय सेमेस्टर में मौका नहीं मिलेगा। विवि ऐसे छात्रों का प्रवेश निरस्त कर देगा। इसके बाद छात्रों को फिर से प्रवेश लेते हुए प्रथम सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म भरना होगा। हालांकि, परीक्षा फॉर्म भरने के बाद किन्हीं कारणों से परीक्षा नहीं देने वाले छात्रों पर उक्त नियम लागू नहीं होगा। ऐसे छात्र द्वितीय सेमेस्टर का परीक्षा फॉर्म भरते हुए प्रक्रिया पूरी कर सकेंगे। प्रवेश के बाद प्रथम सेमेस्टर में परीक्षा फॉर्म नहीं भरने की बढ़ती संख्या रोकने के लिए विवि ने यह फैसला लिया है। कुलपति प्रो.संगीता शुक्ला की अध्यक्षता में विवि ने कैंपस से कॉलेजों तक प्रवेश, ओडीएल और प्रोजेक्ट पर विद्वत परिषद एवं प्राचार्यों की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
सात जुलाई से शुरू होगा विवि का सत्र कुलपति प्रो.शुक्ला ने कैंपस एवं कॉलेजों में सात जुलाई से स्नातक प्रथम वर्ष का सत्र शुरू करने की घोषणा की। कुलपति ने कहा कि इससे पहले जो भी प्रवेश होंगे, उसी आधार पर सत्र शुरू हो जाएगा। विवि जून में ही कटऑफ जारी करते हुए प्रवेश प्रक्रिया पूरी करेगा।
छात्रों को सीधे कैंपस नहीं भेजे कॉलेज प्राचार्यों की बैठक में विवि ने कॉलेजों से छात्रों को सीधे कैंपस नहीं भेजने की अपील की। विवि ने कहा कि छात्रों के जो भी काम हैं वह कॉलेज निर्धारित प्रारूप पर विवि को भेजें। इससे छात्रों को अनावश्यक परेशानी से मुक्ति मिलेगी।
बैठक में तीखी नोकझोंक
प्रोजेक्ट मूल्यांकन के लिए कॉलेजों में परीक्षक तय करने का अधिकार प्राचार्यों को देने का प्रो. मौजपाल सिंह और प्रो. विकास शर्मा ने विरोध किया। कहा कि कॉलेजों में प्राचार्य और शिक्षकों में बोलचाल तक नहीं है। विवि के इस फैसले से प्राचार्य निरंकुश हो जाएंगे। उन्होंने डीलिट-डीएससी को पीएचडी नोटिफिकेशन में जगह नहीं देने का मुद्दा उठाया। जब प्रो.शर्मा तेजी से बोलने लगे तो कुलपति को ’डोंट साउट’ यानी चिल्लाओ मत बोलना पड़ा।
परीक्षा पैटर्न में बदलाव पर निर्णय नहीं
सेमेस्टर परीक्षाओं के प्रारूप में बदलाव पर बुधवार को निर्णय नहीं हो सका। विवि का परीक्षाओं का समय तीन घंटे से घटाकर दो घंटे करने और एक ही दिन में छात्रों के दो पेपर कराने का था, लेकिन विद्वत परिषद इस पर सहमत नहीं हुई। अब इस पर निर्णय अगली बैठक में होगा। परिषद में एक एप पर बीएड प्रैक्टिकल कराने और टीसीएस के स्किल कोर्स पर भी निर्णय नहीं हो सका है।
छात्रों को इसी सत्र से बैचलर रिसर्च की डिग्री
विवि में स्नातक एनईपी अंतिम वर्ष उत्तीर्ण करने वाले पहले बैच के छात्रों को जुलाई सत्र से ही बैचलर रिसर्च इन फेकल्टी की डिग्री दी जाएगी। विवि के अनुसार यूजी एनईपी अंतिम वर्ष उत्तीर्ण करने वाले छात्र को पीजी एनईपी में प्रवेश के लिए पंजीकरण कराते हुए निर्धारित प्रक्रिया पूरी कर प्रवेश लेना होगा। पीजी का एक वर्ष पूरा करने पर बैचलर रिसर्च इन फेकल्टी की उपाधि मिल सकेगी। उधर, विवि ने माइनर इलेक्टिव विषयों में हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू एवं संस्कृत को अलग फेकल्टी के रूप में स्वीकृति दे दी है। इससे छात्रों को अब माइनर विषय चुनने में ज्यादा मौके मिलेंगे।
कॉलेजों में पीजी एनईपी, कैंपस में यूजी एनईपी
विवि ने कैंपस एवं कॉलेजों में दो बड़े बदलाव किए हैं। मेरठ मंडल के समस्त कॉलेजों में जुलाई सत्र से पीजी स्तर के सभी कोर्स एनईपी के दायरे में आ जाएंगे। कैंपस में पहले से ही पीजी एनईपी चल रहा है। कॉलेजों में पीजी एनईपी का सिलेबस कैंपस के समान होगा। कॉलेजों में छात्र पीजी में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के दायरे में होंगे। वहीं, कैंपस में भी विवि ने सभी स्नातक कोर्स को एनईपी में शामिल कर दिया है। कॉलेजों में 2020 से ही स्नातक एनईपी लागू है। बुधवार को विवि ने कैंपस में यूजी एनईपी के विभिन्न विषयों के सिलेबस पर भी मुहर लगा दी। ऐसे में छात्रों को अब डीयू का रुख करने की जरूरत नहीं है। वे कैंपस में ही स्नातक एनईपी कर सकते हैं।
कट पेस्ट केवल 10 फीसदी ही मान्य
रिसर्च प्रोजेक्ट, रिसर्च पेपर और थिसिस में छात्रों को दस फीसदी तक ही कट पेस्ट की छूट रहेगी। इससे ज्यादा मिलने पर यह साहित्यिक चोरी के दायरे में आएगा। ऐसा होने पर रिसर्च पेपर, थिसिस एवं प्रोजेक्ट स्वीकार नहीं होगा।
अब कॉलेज शिक्षक चेक करेंगे रिसर्च प्रोजेक्ट
विवि ने यूजी एनईपी अंतिम वर्ष में प्रोजेक्ट जांचने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव करते हुए इसकी जिम्मेदारी कॉलेज शिक्षकों को दी दी है। छात्रों को अंतिम वर्ष में प्रोजेक्ट जमा करना होता है और इसे चेक करने की जिम्मेदारी आंतरिक परीक्षक एवं विवि से नामित बाह्य परीक्षक के पास थी, लेकिन इस प्रक्रिया में देरी की आशंका थी। इससे रिजल्ट में देरी होती। इसी क्रम में विवि ने प्रोजेक्ट जांचने का जिम्मा संबंधित कॉलेज के स्थायी अथवा अनुमोदित शिक्षक को सौंप दिया। स्थाई या अनुमोदित शिक्षक नहीं होने पर विवि परीक्षक नियुक्त करेगा।
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